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वड़ोदरा : होटल में सीवर साफ करने के दौरान 4 सफाईकर्मियों समेत 7 की मौत

एक बार फिर स्वच्छता के सिपाहियों को जान गंवानी पड़ी है। एक बार फिर सीवर ने सफाईकर्मियों की जान ले ली। और इस बार हादसा हुआ है मोदी जी और रुपाणी के ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में। और ये कोई पहली बार नहीं हुआ है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो साभार: The Indian Express

गुजरात के वड़ोदरा जिले में एक होटल में सीवर साफ करने के दौरान दम घुटने से चार सफाईकर्मियों सहित सात लोगों की शनिवार को मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि वड़ोदरा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर डभोई तहसील के फर्तिकुई गांव में स्थित दर्शन होटल में यह हादसा आधी रात के करीब हुआ।

हादसे में मारे गए लोगों में तीन होटल कर्मचारी भी शामिल हैं। वड़ोदरा की जिलाधिकारी किरण झावेरी ने कहा, ‘‘सफाईकर्मियों को मेनहोल साफ करने के लिए बुलाया गया था। जब एक सफाईकर्मी मेनहोल से बाहर नहीं आया तो अन्य उसे देखने अंदर गए। सभी की दम घुटने से मौत हो गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घटना की जानकारी मिलते ही हम मौके पर पहुंचे। वड़ोदरा नगर पालिका का दमकल विभाग और डभोई के स्थानीय निकाय के कर्मियों ने बचाव कार्य शुरू किया। तीन घंटे की मेहनत के बाद उन्होंने सभी शवों को बाहर निकाला।’’

पोस्टमॉर्टम के बाद शवों को उनके परिजन को सौंप दिया गया। होटल का मालिक हसन अब्बास इस्माईल बोरानिया फरार है। डभोई विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक शैलेष मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि चारों सफाईकर्मी पड़ोस के थुवावी गांव के रहने वाले थे। उन्हें सफाई के लिए बुलाया गया था।

उन्होंने कहा कि यह हादसा दर्शाता है कि मजदूरों की सुरक्षा का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जाता है। पुलिस ने बताया कि जहरीली गैस की चपेट में आकर सभी कर्मी बेहोश हो गए और उनकी मौत हो गई।

इसबीचगुजरात सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजन के चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने पुलिस को होटल मालिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के मुताबिक पिछले 25 साल में सेप्टिक टैंकों और सीवरों की पारंपरिक तरीके से सफाई के दौरान 634 सफाई कर्मचारियों की जान जा चुकी है। इस मामले में पूरे देश में गुजरात दूसरे नंबर पर है। यहां 122 सफाई कर्मियों की मौत सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान हुई है। हालांकि गैरसरकारी संस्थाओं के सर्वे के मुताबिक ये आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा है। आपको बता दें कि देश में सीवर और सेप्टिक टैंकों की पारंपरिक तरीके से साफ-सफाई पर 1993 में रोक लगा दी गई थी। 

सफाई कर्मचारी आंदोलन से जुड़े लोग कहते हैं कि ये बेहद अफसोस की बात है कि सीवर और सेप्टिक टैंक में लगातार मौतें हो रही हैं लेकिन सरकार के स्तर पर कोई चिंता नहीं दिखाई दे रही। आज देश चंद्रयान और मंगलयान की बात कर रहा है लेकिन सीवर में मशीन से सफाई की व्यवस्था नहीं हो सकी है। उनका कहना है कि दरअसल ये मामला मानसिकता का भी है, और सफाई भले ही सरकार की प्राथमिकताओं में हो लेकिन सफाईकर्मी उसकी प्राथमिकता में कभी नहीं रहे।  

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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