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पश्चिम बंगाल: मूल्य वृद्धि, कालाबाज़ारी के ख़िलाफ़ वाम मोर्चे का महंगाई विरोधी पखवाड़ा का आह्वान

16 जून को मीडिया को संबोधित करते हुए वाम मोर्चा के अध्यक्ष बसु ने कहा था कि पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमतों में रिकॉर्ड 21 गुना की वृद्धि हुई है, जिससे वस्तुओं की क़ीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है।
पश्चिम बंगाल: मूल्य वृद्धि, कालाबाज़ारी के ख़िलाफ़ वाम मोर्चे का महंगाई विरोधी पखवाड़ा का आह्वान
प्रतिकात्मक फ़ोटो। साभार: पीटीआई

कोलकाता: पश्चिम बंगाल वाम मोर्चे की 16 जून को हुई  बैठक में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ महामारी के बीच भी देश भर में ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतों में हो रही वृद्धि और बड़े पैमाने पर कालाबाज़ारी में उसकी भूमिका को लेकर महंगाई विरोधी पखवाड़ा आह्वान किया गया।

बुधवार को हुई बैठक के बाद वाम मोर्चा के अध्यक्ष विमान बसु ने मीडिया को बताया कि पांच वाम दलों की तरफ़ से अखिल भारतीय स्तर विरोध प्रदर्शन के आह्वान को ध्यान में रखते हुए इस विरोध प्रदर्शन को 30 जून तक राज्य भर में भी आयोजित किया जायेगा।

चीज़ों की आसमान छूती क़ीमतों को सामने रखते हुए बसु ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमतों में रिकॉर्ड 21 गुने की वृद्धि हुई है। इसका नतीजा यह हुआ है कि परिवहन लागत बढ़ गयी है और इस चलते ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा, "खाद्य फ़सलों और विनिर्मित वस्तुओं, दोनों की क़ीमतों में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है।"

मूल्य वृद्धि और कालाबाज़ारी में केंद्र की भूमिका

वाम मोर्चा के अध्यक्ष ने बाज़ार की ताक़तों को नियंत्रित नहीं करने और पूरे देश में कालाबाज़ारी करने वालों और जमाखोरों को खुली छूट देने के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की। महामारी से निपटने में सरकार की लापरवाही की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी विकट स्थिति के बीच भी केंद्र चिकित्सा आपूर्ति की क़ीमत को नियंत्रित करने में सरकार नाकाम रही है।

इसलिए, वाममोर्चा ने सरकार से मांग की है कि क़ीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए तत्काल क़दम उठाये जायें और वस्तुओं की कालाबाज़ारी और जमाखोरी पर रोक लगायी जाये। इतना ही नहीं, बसु ने कहा कि प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना पर्याप्त नहीं है और इस तरह, हर व्यक्ति को राशन के रूप में 10 किलो खाद्यान्न दिया जाना चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता ने कहा कि ज़रूरतमंद परिवारों को खाद्यान्न के अलावे दाल, चीनी, खाद्य तेल आदि भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

वाम मोर्चे ने महामारी से पैदा होने वाले इस संकट से निपटने के लिए आयकर के दायरे से बाहर के परिवारों को छह महीने की अवधि के लिए प्रति माह 7, 500 रुपये की वित्तीय सहायता देने की भी मांग उठायी है।

राज्य के मामलों में राज्यपाल के हस्तक्षेप की आलोचना

बसु ने राज्य के मामलों में केंद्र सरकार के बढ़ते हस्तक्षेप पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह ठीक नहीं है। उन्होंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की निंदा करते हुए कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन रहे हैं और भाजपा नेताओं के साथ राज्य का दौरा करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सदस्य की तरह पेश आ रहे हैं।

वाम मोर्चे ने राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा की जीएसटी परिषद में कोविड-19 से जुड़ी दवाओं, चिकित्सा आपूर्ति और आवश्यक वस्तुओं पर कर वापस लेने की मांग का भी समर्थन किया है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार प्राथमिकता के आधार पर राज्य भर में सार्वभौमिक टीकाकरण और दवाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुनिश्चित करे।

बसु ने कहा कि केंद्र सरकार ने तो महज़ 25 फ़ीसदी वैक्सीन ही निजी हाथों में होने का ऐलान किया था, लेकिन कई जगहों पर तो वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है, यह केंद्र सरकार की विफलता है।

सार्वजनिक परिवहन को फिर से शुरू किया जाये

इसके अलावा, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि निजी और सार्वजनिक कंपनियों के 25% कर्मचारियों को ही काम पर आने के लिए कहा गया है, बसु ने राज्य परिवहन प्रणाली को फिर से शुरू करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “जब लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल ही नहीं कर सकते, तो श्रमिक काम पर कैसे लौटेंगे? इतना ही नहीं, परिवहन के सार्वजनिक साधनों के उपलब्ध नहीं होने के चलते दैनिक मज़दूरी करने वालों को भी काफ़ी परेशानी हो रही है। इसलिए, हम राज्य सरकार से इस सिलसिले में तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं।” 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

West Bengal: Left Front Calls for Protest Fortnight Against Price Hike, Black Marketing

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