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तमिलनाडु: अंडा उत्पादन की लागत बढ़ी, मुर्गीपालक संकट में

मुर्गीपालन करने वाले किसानों का कहना है कि उत्पादन लागत में लगभग 30% की वृद्धि हुई है और इससे उनकी कमाई पर भारी दबाव पड़ा है।
तमिलनाडु: अंडा उत्पादन की लागत बढ़ी, मुर्गीपालक संकट में

27 जून को तमिलनाडु के थोक बाजार में मुर्गी के एक अंडे की कीमत 5.5 रुपये पर पहुंच गई। यह तमिलनाडु के मुर्गीपालन के इतिहास के 50 वर्षों में सबसे अधिक अंडे की कीमत थी।

जून 2022 की शुरुआत से अंडे की कीमत में लगातार वृद्धि हुई है। 1 जून को यह 4.80 रुपये, 13 जून तक 5.05 रुपये, 24 जून को बढ़कर 5.35 रुपये और फिर 27 जून को 5.50 रुपये हो गई। पिछले चार दिनों से स्थिर है।

पिछली बार अंडे की कीमत अक्टूबर 2010 में बढ़ी थीं, जब 12 दिनों के लिए इसकी कीमत 5.25 रुपये थी।

मुर्गीपालन करने वाले किसानों का कहना है कि उत्पादन लागत में लगभग 30% की वृद्धि हुई है और इससे उन पर काफी दबाव पड़ा है। वे अभी भी घाटे में हैं। इसके अलावा, तमिलनाडु पोल्ट्री फार्मर्स एसोसिएशन (टीएनपीएफए) ने घोषणा की है कि थोक मूल्य आने वाले दिनों में 6 रुपये को पार कर जाएगा।

नमक्कल पोल्ट्री फार्म

तमिलनाडु के लगभग 75% पोल्ट्री फार्म नमक्कल जिले में और उसके आसपास स्थित हैं जिसमें हजारों फार्म हैं जिनमें 5 से 7 करोड़ मुर्गियां हैं जो प्रति दिन लगभग 50 करोड़ अंडे देती है।

इस क्षेत्र की शुष्क मौसम की स्थिति कृषि के लिए अनुकूल नहीं है। यही वजह है कि 1980 के दशक में व्यापक रूप से अंडे का उत्पादन शुरू किया गया था। तब से, इस क्षेत्र में अंडे की खेती उन्नत हुई है और बड़े फार्मों ने घरों में होने वाले उत्पादन पर कब्जा कर लिया है।

नमक्कल में उत्पादित लगभग 40% अंडे तमिलनाडु के पौष्टिक भोजन कार्यक्रम में जाते हैं और केरल को निर्यात किए जाते हैं और बाकी राज्य के अन्य हिस्सों में खुदरा बाजार में जाते हैं।

लेकिन, पिछले कुछ महीनों में चिकन के खाने पीने की चीजों और श्रम की ऊंची कीमत ने किसानों को उन्हें अपना व्यवसाय चलाना मुश्किल बना दिया है और उनमें से कई ने अपने फार्मों को बेच दिया है।

उत्पादन मूल्य वृद्धि

नमक्कल पोल्ट्री के किसानों का कहना है कि इन कीमतों में बढ़ोतरी अंडे की नहीं बल्कि उत्पादन लागत से हुई है।

टीएनपीएफए वेबसाइट के अनुसार, "इन किसानों को मक्का, सोया डीओसी इत्यादि जैसे कच्चे अनाज की कमी के कारण बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जो अंडे की दर को तय करता है और इस प्रकार हजारों मुर्गीपालन करने वाले किसानों और उनके मजदूरों की आजीविका को भी तय करता है"।

इसमें आगे लिखा गया कि, “हाल के दिनों में, अंडा पोल्ट्री किसानों को बाजारों में कच्चे माल की उपलब्धता न होने या बढ़ती कीमतों के कारण भारी नुकसान हुआ है। इस प्रकार पोल्ट्री फार्म चलाना एक बहुत ही मुश्किल काम हो गया।”

नमक्कल में एक पोल्ट्री फार्म के मालिक रामासामी कलियानन ने कहा, “75 किलोग्राम दाने की लागत 2,500 रुपये है और एक चिकन को प्रति दिन 110 ग्राम दाने की आवश्यकता होती है और इसे कुल 75 सप्ताह तक खिलाना पड़ता है तब जाकर प्रत्येक मुर्गी लगभग 300 अंडे देती है। इसके अलावा अन्य इनपुट लागतें भी शामिल हैं।"

दाने की लागत के अलावा किसानों को रखरखाव और श्रम पर खर्च करना पड़ता है जिसकी लागत भी बढ़ गई है।

कई फार्म बंद हो गए

उत्पादन लागत में भारी वृद्धि का सामना करने में असमर्थ मुर्गीपालन करने वाले कई किसानों ने अपने फार्मों को बेच दिया है या अपने फार्मों का एक बड़ा हिस्सा खाली छोड़ दिया है।

एक पोल्ट्री फार्म के मालिक सिंगराजू ने कहा, “पूरे भारत में 40% फार्म खाली हैं। किसानों को प्रति मुर्गी पर 200 से 250 रुपये का नुकसान हो रहा है। अगर किसी के पास एक लाख मुर्गियां हैं तो आप समझ सकते हैं कि उनकी क्या स्थिति होगी। कई लोगों ने चिकेन का उत्पादन करना बंद कर दिया है, उन्हें मांस के लिए बेच दिया और मुर्गी पालन बंद कर दिया है।

उन्होंने आगे कहा, "यह देखते हुए कि उत्पादन कुल मिलाकर कम हो गया है, 100 अंडों की जगह पर केवल 60 अंडों का उत्पादन होता है, जिसका मतलब है कि खपत भी कम हो गई है।"

एक अफवाह है कि कीमतों में वृद्धि स्कूलों के फिर से खुलने के कारण मांग में वृद्धि होने के चलते हुई है, बारिश के दिनों में खपत में वृद्धि और राज्य के पौष्टिक भोजन कार्यक्रम के कारण हुई है। मुर्गी पालन करने वाले किसानों ने स्पष्ट किया कि ये झूठे कारण हैं और मूल्य वृद्धि उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण हुई है।

कालियानन ने कहा, "हम कृषि उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं और अगर हम उनसे खरीदना बंद कर देते हैं तो बहुत सारे किसान प्रभावित होंगे। नमक्कल में प्रतिदिन कई लाख टन दाने का उपयोग किया जाता है।

अगले दो हफ्तों में अंडों का थोक भाव 6 रुपये प्रति पीस और खुदरा भाव 6.50 रुपये तक पहुंच जाएगा।

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