100 से ज़्यादा फिल्मकारों की भाजपा को वोट न देने की अपील

चुनावों के दौरान फिल्मी जगत का रवैया भी नज़र रखने लायक होता है। बाज़ार की चालाकियों को अपनाकर पैसा कमाने वाले ज्यादातर कलाकार चुनावों के दौरान परंपरागत पार्टियों में से किसी एक का हिस्सा बनते हैं। इनके लिए बोलते हैं, प्रचार करते हैं और गोलबंदी बनाने का काम करते हैं। लेकिन कुछ फिल्मकार ऐसे होते हैं जिन्हें बाजार की चालाकियों से कोई लेना देना नहीं होता। बाज़ार जिनपर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं डालता। जिनका असल मकसद समाज की हक़ीक़त को दिखाना होता है। मानवीय संवेदनाओं का झकझोर कर एक संवेदनशील समाज बनाना होता है। ये चुपचाप अपना काम करते रहते हैं। ऐसे ही बहुत से कलाकार इन दिनों परेशान और बचैन हैं। वजह है देश के हालात। शायद यही वजह है कि ये अब खुलकर सामने आए हैं और चुनाव के संदर्भ में अपना स्टैंड साफ किया है। ऐसी ही 100 से अधिक फिल्मकारों ने जनता से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगामी आम चुनावों में वोट ना देने की अपील की है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द हिंदू’ में छपी ख़बर के मुताबिक 100 से अधिक फिल्म निर्माता, जिनमें अधिकांश स्वतंत्र फिल्म निर्माता हैं, लोकतंत्र बचाओ मंच के तहत एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोगों से भाजपा को वोट न देने की अपील की है। इनमें आनंद पटवर्धन, एसएस शशिधरन, सुदेवन, दीपा धनराज, गुरविंदर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, कबीर सिंह चौधरी, अंजलि मोंटेइरो, प्रवीण मोरछले देवाशीष मखीजा और फेस्टिवल के निर्देशक और संपादक बीना पॉप जैसे नामी फिल्मकार भी शामिल हैं। उन्होंने अपना यह बयान शुक्रवार को आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया डॉट कॉम वेबसाइट पर डाला है।
इनका मानना है कि भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के शासनकाल में धुव्रीकरण और घृणा की राजनीति में बढ़ोतरी हुई है। दलितों, मुसलमान और किसानों को हाशिये पर धकेल दिया गया है। सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संस्थानों को लगातार कमजोर किया जा रहा है और सेंसरशिप में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा और भी अन्य कारण हैं। फिल्म निर्माताओं का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में समझदारी से मतदान नहीं करेंगे तो फासीवाद हमें मुश्किल में डाल देगा। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि 2014 में भाजपा सत्ता में आने के बाद से देश का धार्मिक रूप से धुव्रीकरण किया किया जा रहा है और सरकार अपने वादों को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रही है। उनका आरोप है कि मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) और गोरक्षा के नाम पर देश को सांप्रदायिकता के आधार पर बांटा जा रहा है। बयान में कहा गया है कि भाजपा देशभक्ति को तुरुप के इक्के की तरह इस्तेमाल कर रही है। कोई भी व्यक्ति या संस्था सरकार के प्रति थोड़ी सी भी असहमति जताता है तो उसे राष्ट्र विरोधी या देशद्रोही करार दिया जाता है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि भाजपा देशभक्ति को अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। साथ ही सशस्त्र बलों को अपनी रणनीति में शामिल करके राष्ट्र को युद्ध में उलझाने की कोशिश कर रही है।
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