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क्या आगरा के पारस अस्पताल का मामला यूपी की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा है?

22 मरीजों की कथित मौत के मामले में फिलहाल पारस अस्पताल को प्रशासन द्वारा सीज़ कर दिया गया है लेकिन विपक्ष राज्य की बीजेपी सरकार से इन मौतों की जिम्मेदारी पूछ रहा है।
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क्या आप सोच सकते हैं कि किसी अस्पताल में मौत का भी मॉक ड्रिल हो सकता है। शायद नहीं, लेकिन आगरा के श्री पारस अस्पताल पर यही आरोप लग रहे हैं कि अस्पताल ने मरीजों की छंटनी के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई को कुछ मिनटों के लिए बाधित कर दिया, जिसके चलते 22 मरीजों की मौत हो गई। मामले के तूल पकड़ते ही पारस हॉस्पिटल को सीज करने के आदेश दे दिए गए, अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया । वहीं अस्‍पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत एफआईआर हो गई है। हालांकि विपक्ष इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है और इस घटना को प्रदेश की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा बता रहा है, राज्य की बीजेपी सरकार से मौतों की जिम्मेदारी पूछ रहा है।

आपको बता दें कि पारस हॉस्पिटल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को आगरा के ‘कैलाश सत्यार्थी’ कहे जाने वाले नरेश कुमार पारस ने एक चिट्ठी लिखी। जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने भी इस घटना पर संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर लिया है।

क्या है पूरा मामला?

आगरा का पारस अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते साल अस्पताल पर महामारी फैलाने का आरोप लगा था। लेकिन इस साल मामला 22 मरीजों की कथित मौत का है। पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन की आवाज़ वाले 4 वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हैं। इस बातचीत के दो वीडियो काफी सनसनीखेज़ है। इनमें डॉक्टर अरिंजय का चेहरा तो नहीं दिख रहा, लेकिन उनकी आवाज़ जरूर सुनाई दे रही है।

वीडियो 26 अप्रैल 2021 का बताया जा रहा है। तब आगरा में कोरोना संक्रमण चरम पर था। हॉस्पिटल प्रशासन ने ऑफिशियली उस दिन सिर्फ 3 लोगों की मौत दिखाई। लेकिन वायरल वीडियो में डॉक्टर अरिंजय की बातें कुछ और ही कहानी बता रही हैं। वीडियो में डॉक्टर अरिंजय और कुछ लोगों में बातचीत चल रही है। डॉक्टर साहब किस्सा सुना रहे हैं। इनमें वह ये दावा करते सुने जा सकते हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों को छांटने के लिए मॉक ड्रिल की गई थी। उस वक्त अस्पताल में 96 कोरोना मरीज भर्ती थे। इनमें से 74 बचे।

एक वीडियो में डॉक्टर अरिंजय कह रहे हैं कि मॉक ड्रिल सुबह 7 बजे की। सुन्न कर दिए 22 मरीज। छंट गए 22 मरीज। नीले पड़ने लगे। छटपटाने लगे थे। तुरंत खोल दिए। तभी दूसरा शख्स पूछता है कि कितने देर की मॉक ड्रिल थी? डॉक्टर साहब बताते हैं 5 मिनट की। दूसरा आदमी फिर पूछता है 5 मिनट में 22 गए? डॉक्टर साहब जवाब देते हैं 96 में से 74 बचे। उनके तीमारदारों से हमने कहा कि अपना-अपना सिलेंडर लेकर आओ, यह सबसे बड़ा प्रयोग रहा।

एक अन्य वीडियो में डॉक्टर अरिंजय बोलते हैं कि इसके बाद फैसला हो गया कि कोई कहीं नहीं जाएगा। हमने कहा, इतना बड़ा कांड हो गया। लास्ट ईयर कांड तो कुछ भी नहीं था। अब लिखा जाएगा कि पारस में 96 मरीजों की मौत। एक दूसरा शख्स कहता है मौत का मंजर देखने को मिलेगा। तब डॉक्टर कहते हैं कि अब तो हो गया खेल खत्म। अब कैरियर भी खत्म। 304 लिखवाएंगे पत्रकार, मानेंगे नही, जेल भी होगी। आखिरी रात है।

फिर एक शख्स बोला कि आप तो डिप्रेशन में आ गए होंगे? इस पर डॉक्टर कहते हैं क्या करते। फिर मैंने ऑक्सीजन का ग्रुप पकड़ा, उस पर एक बड़ा पत्र डाला। अपनी मजबूरी लिखी। मैंने पत्र डाला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है। त्यागी वेंडर्स आदि से मदद मांगी। कुछ लोगों का रिप्लाई आया। एक ने 5 सिलेंडर देने की बात कही। मैंने कहा, इससे क्या होगा। दो लाख, पांच लाख, दस लाख की गाड़ी ले लो, लेकिन सिलेंडर दे दो। कहीं से भी दिलवाओ। जिंदगी बचानी थी, कैरियर बचाना था। मैंने कहा, सोने का भाव लगा दो, टैंकर खड़ा करो, कैसे भी खड़ा करो। मुख्यमंत्री भी सिलेंडर नहीं दिलवा सकता था।’

प्रशासन ने अस्पताल को सीज़ करने के आदेश दिए

वायरल वीडियो सामने आने के बाद आगरा के डीएम ने 22 मरीजों की मौत के आरोपों को गलत बताया। आगरा के डीएम पी.एन. सिंह ने कहा कि पारस अस्पताल में ऑक्सीजन की लगातार सप्लाई की गई है। जिस दिन का यह वीडियो बताया जा रहा है, उस दिन सिर्फ 3 मौतें पारस में हुई हैं। वहां आईसीयू में बेड खाली थे, फिर भी वीडियो की जांच के बाद आगे जो होगा, कार्रवाई की जाएगी। हालांकि इसके बाद उन्होंने खुद मौके पर जाकर करीब 2 घंटे जांच की और फिर हॉस्पिटल सीज़ करने के आदेश जारी कर दिए।

उन्होंने कहा, “26 और 27 को ऑक्सीजन की कमी हुई थी। हमने शासन द्वारा और आगरा में सिकन्दरा प्लांट और अन्य ऑक्सीजन प्लांट के दम पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई थी। बाद में एयरफोर्स की मदद से और खराब पड़े खन्दौली प्लांट की मरम्मत के बाद हमने हालात पर काबू पा लिया था।

अस्पताल संचालक का क्या कहना है?

डॉ. अरिंजय जैन ने मीडिया से बातचीत में माना कि वीडियो में आ रही आवाज उनकी ही है लेकिन उनका आशय किसी की मौत से नहीं था। डॉ अरिंजय ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया।

उन्होंने कहा, “मैंने वायरल हो रहे इस वीडियो को देखा। वीडियो में बताया गया विषय अप्रैल का है, जब दूसरी लहर चरम पर थी। गलती से या मासूमियत से मैंने वीडियो में 'मॉक ड्रिल' शब्द का जिक्र किया था, लेकिन अस्पताल में ऐसा कोई मॉक ड्रिल नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल का मतलब था कि किस मरीज को कितनी न्यूनतम आक्सीजन की जरूरत थी। उसकी गणना कर असेस्मेंट किया गया था। जिससे किसी भी मरीज की आक्सीजन की किल्लत से मौत न हो। 22 मौतों की खबर पूरी तरह बेसलेस है।”

आईएमए ने सीलिंग प्रक्रिया का जताया विरोध

उधर, श्री पारस अस्पताल को सील करने का आईएमए ने विरोध किया है। आईएमए पदाधिकारियों ने ऑनलाइन बैठक कर जांच से पहले प्रशासन की कार्रवाई पर विरोध जताया। जनरल बॉडी की बैठक बुलाई है, इसमें आगे की रणनीति तय करने की बात कही है। 

अध्यक्ष डॉ. राजीव उपाध्याय ने कहा कि बिना जांच किए ही अस्पताल को सील कर दिया है। यह एकतरफा कार्रवाई है। गोल्ड मेडलिस्ट चिकित्सक ऐसा नहीं कर सकता है। पदाधिकारियों से बातचीत करने के बाद बुधवार को जनरल बॉडी की बैठक की जाएगी। इस प्रकरण पर आगे क्या करना है, तभी तय होगा। 

 क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री?

इस मामले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी और सीएमओ डिटेल रिपोर्ट देंगे। रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि मॉक ड्रिल वाले दिन अस्पताल में कितने मरीज थे। उनकी क्या स्थिति थी। अस्पताल के पास कितने ऑक्सीजन सिलेंडर थे। सभी जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उसी हिसाब से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष ने बोला हमला

उधर, मामला सामने आने के बाद विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिल गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि आगरा के एक अस्पताल में ऑक्सीजन मॉक ड्रिल में 22 लोगों की मौत की ख़बर बेहद दुःखद है। दिवंगतों को श्रद्धांजलि! ये घटना उत्तर प्रदेश की ‘चिकित्सा व्यवस्था’ पर एक बड़ा धब्बा है. शासन-प्रशासन द्वारा इस मामले को दबाना घोर आपराधिक कृत्य है। उप्र की भाजपा सरकार अब अपने ख़िलाफ़ FIR करे।

वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन है? क्या सरकार इस मामले का सच सामने लाकर दोषियों को सजा देगी।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ उप्र सरकार ने ऑक्सीजन की भारी कमी के बीच लगातार यही कहा कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है। लेकिन प्रदेश भर में लोगों की तड़प-तड़प कर जान चली गई। आगरा में भी प्रशासन कह रहा है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं थी। क्या उप्र सरकार आगरा मॉक ड्रिल का सच सामने लाकर दोषियों को सजा देगी?’’

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी जानलेवा लहर के बीच प्रदेश के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत की खबरें सामने आईं। सीएम योगी आदित्यनाथ के राज्य में पर्याप्त मात्रा में सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध होने के दावे के बीच इलाज के लिए दर-दर भटकते मरीज और अस्पताल के बाहर उखड़ती सांसों ने पूरी व्यवस्था की कहानी बयां कर दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था को ‘रामभरोसे’ तक कह दिया। बावजूद इसके तस्वीर कुछ खास नहीं बदली। सरकारी आंकड़ों में मामले जरूर कम रिपोर्ट हुए लेकिन अस्पतालों और श्मशान की भीड़ ने जमीनी हकीकत बता दी।

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