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23 मई को देश भर में 100 से अधिक वामपंथी संगठन करेंगे 'पोल खोलो हल्ला बोलो' आन्दोलन

मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने पर  किया जा रहा यह प्रदर्शन सरकार की नाकामियों को उजागर करने, झूठे वादों की असलियत लोगों तक पहुँचाने और आम जन की माँगे रखने का काम करेगा I
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23 मई को देश के 100 से ज़्यादा वामपंथी जन संगठन देश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे I इनमें किसान, मज़दूर, छात्र, युवा, महिला, आदिवासी,शिक्षक और दलित संगठन शामिल हैं I ये सभी संगठन ‘जन एकता जन अधिकार आन्दोलन’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं I मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने पर  किया जा रहा यह प्रदर्शन सरकार की नाकामियों को उजागर करने, झूठे वादों की असलियत लोगों तक पहुँचाने और आम जन की माँगे रखने का काम करेगा I

इसे आयोजित कर रहे नेताओं का कहना है कि इस प्रदर्शन से पहले सभी राज्यों में ज़िला और राज्य स्तरीय कन्वेंशन किये जायेंगे और इससे एक हफ्ता पहले घर घर जाकर लोगों में इसका प्रचार किया जायेगा I

पिछले सालों से लगातार एक के बाद एक समाज का हर एक तबका सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरता दिखा है I राजस्थान, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश में हुए किसान आन्दोलन, पिछले साल की किसान संसद और मज़दूर महापडाव , दिल्ली में शिक्षक आन्दोलन और वर्तमान में हुए SSC, JNU और TISS छात्र आन्दोलन इस बात की गवाही देते हैं I

इनके अलावा दलित और महिला संगठन भी पिछले सालों में इस सरकार के खिलाफ प्रतिरोध के सुर तेज़ कर करते दिखे हैं I यही वजह है कि 26 मई को जब सरकार अपने 4 साल पूरे करेगी और अपनी तथाकथित उपलब्धियाँ गिनाएगी उसी समय सभी जन संगठन भी सरकार के इन जुमलों की पोल खोलते दिखेंगे I

इस मुद्दे पर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महासचिव विक्रम सिंह ने कहा “हमने ये देखा था कि विभिन्न तबकों के लोग सरकार के खिलाफ अलग अलग लड़ाई लड़ रहे हैं, पर सरकार का जो हमला है केद्रीय हमला है इसीलिए सबको साथ में मिलकर लड़ने की ज़रुरत है I यही वजह है कि हमने ये मंच बनाया और अब जब सरकार के 4 साल पूरे होने जा रहे हैं, तब हम सरकार की वादा खिलाफी और झूठे वादों की असिलयत लोगों तक ले जायेंगे I”

इसके अलावा इस जन आन्दोलन की अपनी भी कुछ माँगे हैं जिनमें से कुछ हैं- बेरोज़गारी को ख़त्म करने के लिए विभागों में सभी खाली पदों को भरा जाए और सरकारी विभागों में ठेका प्रथा बंद की जाये , मज़दूरों को 18,000 न्यूनतम वेतन और पेंशन दी जाए, किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिले , कर्ज़ माफ़ी हो और उन्हें पेंशन मिले , मनरेगा को ठीक ढंग से लागू किया जाए, SC/ST और OBC छात्रों की स्कॉलरशिप पर लग रही रोक को वापस लिया जाए , दलित नेता चंद्रशेखर रावण को रिहा किया जाए और SC/ST Prevention act को ठीक ढंग से लागू किया जाए I इसके अलावा उनकी मांगों में महिलाओं की 33% आरक्षण, स्वास्थ्य में निजीकरण को हटाने और स्वास्थ्य पर GDP का 6% खर्च करने , गौ रक्षा के नाम पर आतंक को ख़तम करने और पशु बिक्री पर रोक हटाने की माँग भी शामिल हैं I इन माँगों के अलावा आम जन से जुडी हुई और भी माँगों को लोगों के सामने रखा जायेगा  और सरकार से इन मूल मुद्दों पर किये गए कामों का हिसाब लिया जायेगा I

विक्रम सिंह ने बताया कि इस अभियान का नाम “पोल खोलो, हल्ला बोलो” रक्खा गया है I जन आन्दोलनों से जुड़े इन सभी नेताओं का मानना है कि सरकार और सत्ताधारी पार्टी जनता को मूल मुद्दों से भटकाकर उन्हें जाति और धर्म के आधार पर बाटने का काम कर रही है, इसे भी ये आन्दोलन चुनौती देगा I

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