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कस्तूरबा विद्यालय की 61 छात्राएं 17 किमी पैदल चल कर वार्डेन की शिकायत करने पहुंचीं

छात्राओं ने बताया कि उन्हें यह कहने को मजबूर किया जाता है कि उन्हें सब कुछ मिलता है और छात्रावास में सब कुछ ठीक चल रहा है।
kasturba
छवि सौजन्य : विकीपीडिया कोमंस

झारखंड : पश्चिमी सिंहभूम के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय खूंटपानी की 61 छात्राएं रविवार की मध्य रात चुपके से छात्रावास से निकल गयीं और लगभग 17 किमी सुनसान सड़क पर पैदल चल कर सुबह सात बजे अपने वार्डेन की सख्ती की शिकायत करने उपायुक्त के पास पहुंचीं। घटना को लेकर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

इतनी बड़ी संख्या में कक्षा 11 की छात्राओं को सर्द रात में पैदल चल कर अपने कार्यालय आया देखकर स्वयं उपायुक्त सकते में आ गये और उन्होंने तत्काल जिला शिक्षाधिकारी को उनके मामले में कार्रवाई के निर्देश दिये।

उपायुक्त के निर्देश पर जिला शिक्षा अधीक्षक तत्काल उनके कार्यालय पहुंचे और छात्राओं को वापस विद्यालय पहुंचाया।

छात्राओं ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को बताया कि वार्डन द्वारा हर समय छात्राओं को प्रताड़ित किया जाता है। कोई पदाधिकारी निरीक्षण में आते हैं तो पहले ही छात्राओं को धमका कर झूठ बोलने पर मजबूर किया जाता है।

छात्राओं ने बताया कि उन्हें यह कहने को मजबूर किया जाता है कि उन्हें सब कुछ मिलता है और छात्रावास में सब कुछ ठीक चल रहा है। छात्राओं ने कहा कि सरकार द्वारा भोजन सहित अन्य जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं वह भी छात्राओं को नहीं मिलती है। बासी भोजन जबरन खिलाया जाता है। छोटे क्लास की बच्चियों को इस कड़ाके की ठंड में फर्श पर चटाई डालकर सोने को मजबूर किया जाता है। किसी तरह का विरोध करने पर डाट के साथ-साथ वार्डन द्वारा पिटाई भी की जाती है।

अभिभावक के साथ होने वाली बैठक में अगर कोई कमी बतायी जाती है तो बाद में उक्त छात्रा के साथ वार्डन प्रताड़ना के साथ-साथ मारपीट भी करती हैं।

इतना ही नहीं छात्राओं ने बताया कि उन लोगों से शौचालय साफ कराया जाता है। शौचालय जाम होने की स्थिति में छात्राओं से पैसा वसूल कर सफाईकर्मी को बुलाया जाता है और उसे साफ कराया जाता है।

इसी तरह बिजली बिल के नाम पर भी छात्राओं से वसूली की जाती है।

छात्राओं ने आरोप लगाया, ‘‘छात्रावास के वार्डन का कहना है कि एक लाख रुपये से उपर बिजली बिल आता है। इसलिए सभी को बिजली का पैसा देना होगा। शौचालय में छिटकनी तक नहीं है। एक छात्रा बाहर खड़ी रहती और दूसरी शौचालय में जाती है। छिटकनी लगाने हेतु कहने पर डाट-फटकार कर भगा दिया जाता है।’’

अधिकारियों ने बताया कि रातभर चलने के बाद छात्राएं जब सुबह चाईबासा पहुंचीं तो एक छात्रा ने सांसद गीता कोड़ा को फोन कर घटना की जानकारी दी और वार्डन द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

गीता कोड़ा ने द्वारा तुरंत उपायुक्त को फोन से जानकारी दी गयी। उसके बाद उपायुक्त ने जिला शिक्षा अधीक्षक अभय कुमार शील को समाहरणालय भेजा।

शील ने कहा कि पूरे मामले की एक टीम बनाकर जांच करायी जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई होगी।

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