NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अफ़सोस: उग्र हिन्दुत्व का गढ़ बनता तहज़ीब का एक सुंदर शहर
मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में आजकल की शामें इप्टा के नाटकों के बीच बीत सकती थीं, मगर नहीं, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल को यह मंज़ूर नहीं। ...मंज़ूर नहीं कि कोई कला-साहित्य की बात करे, नाटक देखे और दिखाए, थोड़ा हँसे और हँसाए!
सत्यम श्रीवास्तव
01 Mar 2021
उग्र हिन्दुत्व का गढ़ बनता तहज़ीब का एक सुंदर शहर

मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में फ़रवरी की आख़िरी और मार्च की शुरुआती शामें कुछ और तरह से बीत सकती थीं। बच्चे, युवा, बुजुर्ग रविवार की शाम शहर के इकलौते ऑडीटोरियम में पद्मभूषण, महाराष्ट्र राज्य सरकार सम्मान, संगीत नाटकअकादमी पुरस्कार, फिल्म फेयर पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, एवं महाराष्ट्र गौरव जैसे सम्मानों से नवाज़े गए प्रसिद्ध नाटककर, लेखक और राजनैतिक पत्रकार श्री विजय तेंदुलकर के लिखे लोकप्रिय नाटक ‘जाति ही पूछो साधु की’ का मंचन देख रहे होते। दिलचस्प ये भी होता कि उसी शहर के युवा-युवतियाँ अपने शहर के सामने अपनी कला और अभिनय का प्रदर्शन कर रहे होते। तालियों की गड़गड़ाहट में स्वाभाविक रूप से इज़ाफ़ा हुआ होता।

इन शामों का तसव्वुर करें तो बीते दो दिनों में शहर के लोगों को चंडीगढ़ से आए नाटक ‘फिल्मिस’ और भोपाल की नाट्य मंडली द्वारा तैयार किए नाटक ‘खदेरुगंज का रूमांटिक ड्रामा’ देखने को मिले होते। 1 और 2 मार्च को लखनऊ की नाट्य मंडली की तरफ से बेहद मज़ेदार नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ और भोपाल की भिन्न टीम की तरफ से ‘बेशर्ममेव जयते’ का लुत्फ उठाने मिल सकता था।

जैसा कि इस पाँच दिवसीय नाट्य समारोह के आयोजकों ने इसके विज्ञापन में वादा किया था कि ‘अब कोरोना का रोना भूलिए और हंसने-हंसाने आ जाइये। क्योंकि यहाँ होगा हंसी का धमाल’ तो इस नाट्य समारोह के हो जाने से शहर में बहुत संभव था कि साल भर से तारी उबासी की बर्फ पिघलती।

बहुत मुमकिन था कि लोगों का मनोरंजन होता और इस नाट्य समारोह से लोगों की सहृदयता में परिष्कार होता। अपने अभिनय से हँसते-हँसाते कलाकार ज़रूर समाज की विसंगतियों पर कुछ चुटकियाँ भी लेते, कटाक्ष भी करते और बहुत जायज है कि नाटक देखकर घर लौटते हुए सुधिजन और दर्शक मन ही मन कुछ सोचते जाते। शायद उन विसंगतियों के बारे में जिन्हें अब तक वो अनदेखा कर रहे थे और जाने-अंजाने वह बेहतर मनुष्य बनने की तरफ कदम नहीं बढ़ा पा रहे थे। किसी को नाटक के पात्र पसंद आते, किसी को उसमें शामिल गीत, किसी के ज़हन में कुछ दृश्य लंबे समय तक ठहर जाते।

कला और करती ही क्या है? वह मनुष्य को बेहतर मनुष्य बनाती है। समाज को ‘बेहतर समाज’ और देश को एक बेहतरीन देश।

और देश है ही क्या? एक अदद मनुष्य या नागरिक, एक भरा-पूरा समाज और समाज के तमाम स्याह-सफेद पक्ष।

थोड़ा इसके उलट सोचें तो यह भी हो सकता था कि लोग नाटक देखने ऑडीटोरियम पहुंचे। नाटक शुरू हुआ। अभी दर्शकों ने अभिनेताओं के साथ सहृदयता का रिश्ता जोड़ा ही था कि अचानक सौ-पचास लड़के हाथों में रॉड, स्टिक, लाठी और संभव और कुछ और भी घातक हथियार लेकर प्रेक्षागृह में घुसते और मंच पर धावा बोलते। कुछ लोग उन्हें रोकने के लिए आगे बढ़ते। तेज़ बहस होती और लाठी, स्टिक चलना शुरू हो जाता। दर्शक किसी तरह प्रेक्षागृह से निकालने की कोशिश करते, भगदड़ मचती और संभव है कई लोगों को चोटें पहुंचतीं। समारोह निरस्त करने की अनौपचारिक घोषणा हो जाती।

अगले दिन आयोजकों पर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज़ होता और आगे की कार्यवाही ठीक वैसी होती जैसा कि इन दिनों हम रोज़ देख रहे हैं।

इन दोनों ही परिदृश्यों की कल्पना अब महज़ कल्पना नहीं रह गयी है। पहले परिदृश्य की शैली बहुत जानी-पहचानी है क्योंकि मानव सभ्यता के विकास से उसकी कड़ी जुड़ी है। दूसरा परिदृश्य न्यू इंडिया का है इसलिए कतिपय नया है और छतरपुर जैसे शहर के लिए तो बिल्कुल नया।

भारतवर्ष के तमाम अदबी शहरों की तरह कभी यह शहर भी सांस्कृतिक रूप से भरपूर जीवंत शहर हुआ करता था। गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए जाना जाने वाला एक शहर। आस-पास के बड़े इलाके में शिक्षा का एक बड़ा केंद्र। लेकिन जैसा दूसरे कई शहरों के साथ हुआ और हो रहा है, वह हाल ही में इस शहर के साथ भी हुआ।

खबर यह है कि भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) की शहर की इकाई ने शंखनाद नाट्य समारोह के आयोजन की तैयारियां कीं। अन्य शहरों से अलग-अलग नाट्य समूहों को अपने नाटकों के साथ प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया। पाँच दिनों का पूरा कार्यक्रम तय हो गया। शहर में इसे लेकर उत्सुकता देखी गयी। यह इसलिए क्योंकि शहर में इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन कुछ समय से कम होते गए। भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) की शहर की इकाई कुछ सालों से ऐसे आयोजन करती आयी है और शहरवासियों को ऐसे आयोजनों का इंतज़ार भी होने लगा। आयोजकों ने कोरोना के हालात के मद्देनजर बहुत पहले से आयोजन के लिए प्रशासनिक अनुमति भी ली। कोरोना के जुड़े प्रोटोकॉल पूरे करने के प्रति प्रतिबद्धहता व ज़िम्मेदारी भी लेने का हलफ दिया। प्रशासन ने भी इसकी सहर्ष अनुमति तो नहीं दी लेकिन आयोजन नहीं होगा ऐसा भी नहीं कहा।

26 फरवरी से 2 मार्च तक के लिए एक ऑडीटोरियम में नाट्य समारोह होना तय हुआ। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस आयोजन के लिए शहरवासियों को हर दिन के लिए टिकट दिये गए और आयोजकों के अनुसार लोगों ने बढ़-चढ़कर टिकट भी लिए। पांचों दिनों के लिए हर नाटक के लिए लोगों ने अभूतपूर्व रुचि दिखलाई।

नाट्य समारोह के आरंभ से ठीक एक दिन पहले बजरंग दल की जिला इकाई को बिना नाटक देखे यह इल्हाम हो जाता है कि इस ‘नाट्य समारोह में दिखलाए जाने वाले नाटक हिन्दू धर्म व संस्कृति विरोधी हैं और अगर यह समारोह आयोजित होता है तो समाज में धर्म-विरोधी गतिविधियाँ होने लगेंगीं। इसके अलावा इस तरह के आयोजनों से शहर के संस्कृति व धर्म प्रेमियों के मन में आक्रोश उत्पन्न हो सकता है।’

विश्व हिन्दू परिषद के लेटर हेड पर इस आशय का एक पत्र लेकर बजरंग दल के कार्यकर्ता जिला कलेक्टर के समक्ष जाते हैं और पत्र में लिखे अनुसार ‘अगर यह आयोजन निरस्त नहीं किया जाता है तो ऐसी सूरत में बजरंग दल द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध व उग्र प्रदर्शन किया जाएगा और इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा।’

ज़ाहिर है प्रशासन ने ज़िम्मेदारी लेते हुए इस कार्यक्रम को निरस्त कर दिया। दिलचस्प ये है कि प्रशासन ने आयोजकों को लिखित में बिना कुछ दिये इस आयोजन को निरस्त मान लिया। इससे आयोजकों को यह संदेश भी मिला कि आप चाहें तो समारोह जारी रख सकते हैं लेकिन फिर प्रशासन किसी भी घटना -दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

आयोजकों ने पहले परिदृश्य के इरादे से यह समारोह आयोजित करने की पहलकदमी की और दूसरे परिदृश्य की संभाव्यता और भयावहता के बारे में सोच कर इसे निरस्त कर दिया।

जैसा कि आयोजन समिति के एक सदस्य शिवेंद्र शुक्ला ने बताया कि –“इस नाट्य समारोह को स्थगित किया जाना ही फिलहाल मुनासिब था। अफसोस इस बात का है कि शहरवासियों से किया वादा पूरा नहीं कर पाये जो उन्हें भरपूर हँसने -हँसाने का किया था। तकलीफ यह भी है कि ‘जाति ही पूछो साधु’ की या ‘बेशर्ममेव जयते’ जैसे नाटकों को धर्म, संस्कृति और देश विरोधी बताया गया। जो नाटक देश-समाज का आईना हैं उन्हें देश विरोधी या संस्कृति विरोधी कैसा कहा जा सकता है।” 

विश्व हिन्दू परिषद/बजरंग दल इस आयोजन को निरस्त करवा पाने को अपनी बड़ी उपलब्धि की तरह देख रही है और भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) की छवि को धूमिल करने के अपने शातिराना इरादों को फलीभूत होते हुए भी देख रही है।

शहर के लोग इस सबसे बेखबर अपने दैनंदिन कामों में व्यस्त हैं। 26 फरवरी के अखबार में कार्यक्रम निरस्त होने और उसके पीछे विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के प्रयासों की खबर से उन्हें कोई सरोकार शायद नहीं होगा। प्रशासन इन दोनों ही पक्षों से तटस्थ होकर अपने काम में लग गया है जैसे उसने वाकई कुछ किया ही नहीं। क्योंकि उसे पता था कि इस मामले में कुछ नहीं करना है।

मध्य प्रदेश के तहत आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में इस घटना के दूरगामी अर्थ हैं। यह शहर बुंदेलखंड के भाषायी भूगोल का बहुत महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.डी. शर्मा और मौजूदा गृह व विधि मंत्री नरोत्तम मिश्रा क्रमश: राजनगर व दतिया विधानसभा क्षेत्र आते हैं। दोनों ही नेता इस वक़्त मध्य प्रदेश सरकार में सबसे कद्दावर भूमिका में हैं। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चौथी बार मध्य प्रदेश सरकार के बदले हुए तेवरों को महसूस किया जा रहा है तो उसमें इन दो बड़े नेताओं का योगदान है जो उग्र हिन्दुत्व के प्रबल पक्षधर हैं।

हाल ही में इसी शहर के मंदिर परिसरों में स्थापित किए गए नोटिस भी चर्चा में आए थे जिसमें चेतवानी दी गयी थी कि मंदिर परिसर के आस-पास किसी विधर्मी को लव-जिहाद करते हुए पाये जाने पर कार्यवाही की जाएगी।

इसे पढ़ें: : मध्य प्रदेश में अब निर्वाचित नहीं बल्कि ख़रीदी गयी सत्ता के दिन हैं

प्रशासन की तरफ से मिल रही शै से इन संगठनों के हौसले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और नाट्य समारोह का निरस्त होना इसकी हालिया कड़ी है।

सोचना शहर और शहर के बाशिंदों को है कि उन्हें क्या खोकर क्या पाना है?

(लेखक क़रीब डेढ़ दशक से सामाजिक आंदोलनों से जुड़े हैं। समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

Madhya Pradesh
Hindutva
RSS
IPTA
Vishwa Hindu Parishad
BJP

Trending

1946 कैबिनेट मिशन क्यों हुआ नाकाम और और हुआ बँटवारा
बात बोलेगी: बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को गहरे तक प्रभावित करेगा ये चुनाव
सुप्रीम कोर्ट का रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का फ़ैसला कितना मानवीय?
मप्र के कई शहरों में लॉकडाउन बढ़ाया गया, हरियाणा की बसों पर उत्तराखंड में रोक
उन्नाव बलात्कार के दोषी कुलदीप सेंगर की पत्नी को टिकट मिलने का विरोध जायज़ क्यों है?
कूच बिहार में सीआईएसएफ के दस्ते पर कथित हमले और बच्चे के चोटिल होने से शुरू हुई हिंसाः सूत्र

Related Stories

बात बोलेगी: बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को गहरे तक प्रभावित करेगा ये चुनाव
भाषा सिंह
बात बोलेगी: बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को गहरे तक प्रभावित करेगा ये चुनाव
11 April 2021
भाजपा और मोदी धर्मनिरपेक्षता के लबादे में सांप्रदायिक राजनीति को क्यों धारण करते हैं?
अजाज़ अशरफ
भाजपा और मोदी धर्मनिरपेक्षता के लबादे में सांप्रदायिक राजनीति को क्यों धारण करते हैं?
11 April 2021
जब 1989 के बाद से राम जन्मभूमि अभियान रफ़्तार पकड़ने लगा था, तब उस दौरान भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज एलके अडवाणी ने धर्मनिरपेक्षता शब्द पर एक शाब्दि
क्लबहाउस में प्रशांत किशोर का मोदी-गान, कूचबिहार में लहूलुहान मतदान
न्यूज़क्लिक टीम
क्लबहाउस में प्रशांत किशोर का मोदी-गान, कूचबिहार में लहूलुहान मतदान
10 April 2021
बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर स्वयं एक सियासी शख्सियत और रहस्यमय किरदार बन गये हैं.

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • 1946 कैबिनेट मिशन क्यों हुआ नाकाम और और हुआ बँटवारा
    न्यूज़क्लिक टीम
    1946 कैबिनेट मिशन क्यों हुआ नाकाम और और हुआ बँटवारा
    11 Apr 2021
    75 साल पहले 1946 में, भारत की आज़ादी से कुछ समय पहले, ब्रिटिश सरकार ने 2 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए एक delegation भेजा था. ये बिंदु थे :अंतरिम सरकार का गठन और सविंधान की प्रक्रियाओं को…
  • बात बोलेगी: बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को गहरे तक प्रभावित करेगा ये चुनाव
    भाषा सिंह
    बात बोलेगी: बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को गहरे तक प्रभावित करेगा ये चुनाव
    11 Apr 2021
    वैसा एकतरफ़ा माहौल नहीं है, जैसा ‘बेचारा मुख्यधारा’ के मीडिया या टीएमसी के चुनाव मैनेजर प्रशांत किशोर के साथ दिग्गज पत्रकारों के लीक वीडियो चैट से पता चलता है!  
  • शबीह चित्र, चित्रकार: उमानाथ झा, साभार: रक्षित झा
    डॉ. मंजु प्रसाद
    कला गुरु उमानाथ झा : परंपरागत चित्र शैली के प्रणेता और आचार्य विज्ञ
    11 Apr 2021
    कला मूल्यों की भी बात होगी तो जीवन मूल्यों की भी बात होगी। जीवन परिवर्तनशील है तो कला को भी कोई बांध नहीं सकता, वो प्रवाहमान है। बात ये की यह धारा उच्छृंखल न हो तो किसी भी धार्मिक कट्टरपन का भी शिकार…
  • Mohammad Alvi
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : मुहम्मद अल्वी के जन्मदिन पर विशेष
    11 Apr 2021
    आसान लबो-लहजे के उम्दा शायर मुहम्मद अल्वी का आज जन्मदिन है। मुहम्मद अल्वी आज ज़िंदा होते तो उनकी उम्र 93 साल होती। उनका इंतेक़ाल 2018 में 29 जनवरी को हुआ। पढ़िये उनकी दो नज़्में...
  • देशभक्ति का नायाब दस्तूर: किकबैक या कमीशन!
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    देशभक्ति का नायाब दस्तूर: किकबैक या कमीशन!
    11 Apr 2021
    तिरछी नज़र: इतने कम किकबैक का सुन कर मन बहुत ही खट्टा था। कुछ सकून तब मिला जब पता चला कि यह खुलासा तो अभी एक ही है। इसके बाद अभी किकबैक के और भी खुलासे आने बाकी हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें