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एमएसपी समेत अन्य मुद्दों पर एआईकेएस संघर्ष करेगा तेज़, 5 अप्रैल को संसद मार्च का ऐलान

35वें राष्ट्रीय सम्मेलन में एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की गई और रंगराजन आयोग की सिफ़ारिशों का विरोध किया गया।
AIKS
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एआईकेएस के 35वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन विशाल जनसभा को संबोधित किया।

पिछले कुछ हफ्तों से केरल की सांस्कृतिक राजधानी त्रिशूर शहर में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के 35वें अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन चल रहा था। 16 दिसंबर को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और एआईकेएस के नेताओं द्वारा विशाल जनसभा को संबोधित करने के बाद ये कार्यक्रम समाप्त हो गया।

किसानों के ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा उनसे किए गए वादों को पूरा करने में सरकार की विफलता के ख़िलाफ़ इस सम्मेलन में 5 अप्रैल को संसद तक एक विशाल रैली निकालने का आह्वान किया गया।

केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों को परास्त करने और राज्यों में संघर्षों को तेज़ करने के लिए मज़दूर-किसान एकता को मज़बूत करने का फ़ैसला भी लिया गया।

इस सम्मेलन में सर्वसम्मति से विजू कृष्णन को महासचिव चुना गया जो पिछले 60 वर्षों में संगठन में ये पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के नेता हैं। डॉ अशोक धवले को अध्यक्ष और पी कृष्ण प्रसाद को वित्त सचिव चुना गया।

'ज़मीन के अधिकारों के लिए लड़ेंगे'

इस सम्मेलन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की क़ानूनी गारंटी, महिला किसानों और कृषि श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष, वन अधिकार अधिनियम (एफ़आरए), फ़सल बीमा, ऋण राहत और बिजली अधिनियम के ख़िलाफ़ (संशोधन) सहित 15 प्रस्ताव पारित किए गए।

साथ ही इस सम्मेलन में किसानों व वनवासियों की ज़मीन के अधिकार के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया गया। एआईकेएस की सदस्यता को दो करोड़ तक बढ़ाना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अन्य संघ परिवार संगठनों के ध्रुवीकरण के ख़िलाफ़ किसानों को संगठित करना और ग्रामीण क्षेत्रों में इस अभियान को मज़बूत करने जैसी अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं इस सम्मेलन में की गई।

इस जनसभा का उद्घाटन करते हुए पिनाराई विजयन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर एक जैसी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण कृषि संकट पैदा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछली कांग्रेस सरकारों ने जीएटीटी और आसियान समझौतों को लागू किया। भाजपा कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों को लागू करने की कोशिश कर रही है। इस तरह के निर्णयों को संगठित विरोध से रोकने की ज़रूरत है।”

'पंचवाद्यम' बजाते हुए कलाकार।

एमएसपी और फ़सल बीमा सुनिश्चित करने में देरी इस सम्मेलन में चर्चा के मुख्य मुद्दे थे। किसान फ़सल बीमा योजना में सुधार की मांग करते रहे हैं।

एआईकेएस के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने गए डॉ. अशोक धावले ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “एमएसपी और फ़सल बीमा को लेकर केंद्र सरकार ने लगातार किसानों को धोखा दिया है। निजी बीमा कंपनियां पैसे की ठगी कर रही हैं, जबकि किसानों को परेशानी में धकेल दिया गया है। हम इस योजना के पूर्ण सुधार की मांग करते हैं।”

उन्होंने यह भी मांग की कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार फ़सल बीमा के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को शामिल करे।

नए पदाधिकारी चुने गए

35वें राष्ट्रीय सम्मेलन में महासचिव की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद एक नई अखिल भारतीय किसान परिषद का चुनाव किया गया जिसने नए पदाधिकारियों का चुनाव किया।

विजू कृष्णन को एआईकेएस का नया महासचिव चुना गया। 48 वर्ष की आयु में वह पिछले 60 वर्षों में एआईकेएस के सबसे कम उम्र के महासचिव हैं। किसान आंदोलन के वरिष्ठ नेता और निवर्तमान महासचिव हन्नान मोल्लाह को उपाध्यक्ष चुना गया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के साथ मौजूद महिला प्रतिनिधि।

इस सम्मेलन में 1.37 करोड़ सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राज्यों के लगभग 750 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा में बासठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मूलतः अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

AIKS Resolves to Intensify Struggles, Plans Massive Rally to Parliament on April 5

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