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ASER रिपोर्ट:  बिहार में प्राइवेट ट्यूशन का बोलबाला... स्कूली शिक्षा पर सवाल!

बिहार में प्राइवेट ट्यूशन के प्रति बढ़ता बच्चों का मोह ये साबित करता है कि स्कूली शिक्षा की हालत ठीक नहीं है।
bihar
प्रतीकात्मक तस्वीर। 

बिहार के शिक्षा मंत्री ने जब एक ग्रंथ पर बयान दिया, तो देशव्यापी बवाल मच गया... देश की सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा जैसे लाठी-डंडे लिए तैयार ही बैठी थी, बिहार के शिक्षामंत्री पर चौतरफा वार कर दिया। हालांकि ये दुर्भाग्य ही है, क्योंकि यही ग्रंथों के ठेकेदार तब चुप्पी साध गए जब असर की रिपोर्ट ने इन्हें आईना दिखा दिया, और बिहार के साथ-साथ पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

वैसे तो अक्सर हमारे देश में सरकारी स्कूलों और वहां की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होते रहते हैं, लेकिन असर की रिपोर्ट ने इन सवालों को और ज़्यादा बल दे दिया, जिसमें प्राइवेट स्कूलों का हाल भी ठीक नहीं है।

हम बात कर रहे हैं, निज़ी ट्यूशन्स की। स्कूल चाहे सरकारी हों या प्राइवेट बिहार राज्य में बच्चों की शिक्षा प्राइवेट ट्यूशन्स पर ही टिकी है। या यूं कह लें कि स्कूल तो मात्र परीक्षा लेकर कक्षाएं बदलने भर का केंद्र बनकर रह गया है। हम ऐसे क्यों कह रहे हैं इन्हें आंकड़ों के ज़रिए समझिए...

असर की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक रुपये देकर निजी ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों का अनुपात बढ़ा है।

साल 2018 में ये आंकड़ा 62.2% था,  जो 2022 में 71.7% हो गया। हालांकि रुपये देकर ट्यूशन पढ़ने के मामले में पश्चिम बंगाल, बिहार से भी आगे है। बंगाल में ये आंकड़ा 74.2% प्रतिशत है।

वहीं स्कूली शिक्षा पर निर्भर रहने के मामले में राजस्थान सबसे आगे है, यहां 4.6 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो ट्यूशन पढ़ते हैं।

बिहार में अभी तक नीतीश कुमार के साथ मिलकर भाजपा सरकार चला रही थी, और अब नीतीश कुमार, लालू की पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। कहने का मतलब ये है कि सरकारों में तो बदलाव हो रहा है, बातें भी विकास की हो रही हैं, लेकिन शिक्षा व्यवस्था पिछड़ती जा रही है।

ट्यूशन लेने वाले बच्चों के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है? इसका बड़ा कारण ये भी हो सकता है कि राज्य के बच्चों को हिंदी या अंग्रेज़ी की किताब पढ़नी तब नहीं आती।

असर की रिपोर्ट कहती है कि बिहार में 8वीं के लगभग 29 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो कक्षा 2 स्तर की हिन्दी या अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ सकते। जिसमें सरकारी स्कूलों के बच्चे 30.3 प्रतिशत हैं।

इतना ही नहीं अगर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले पांचवी तक के बच्चों की बात करें तो महज़ 37.1 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं दो कक्षा 2 स्तर तक भाषा की किताबें पढ़ पा रहे हैं।

कक्षा 5 के महज़ 30 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो गणित में भाग के सवाल हल कर पा रहे,  जबकि कक्षा 8 के 58 प्रतिशत बच्चे भाग का सवाल हल कर पा रहे हैं। वहीं,  कक्षा 3 में 14.4 प्रतिशत बच्चे भाग कर सकते हैं।

इन आंकड़ों से आप समझ पा रहे होंगे कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर क्या है, जो 8वीं के बच्चे आज दूसरी कक्षा की किताबें पढ़ने में असमर्थ हैं।

बिहार में शिक्षा व्यवस्था में विकास की दास्तां यहीं खत्म नहीं होती, किस तरह प्राइवेट के मुकाबले सरकारी स्कूल के बच्चे वहां पढ़ने की हर्जाना भुगत रहे हैं ये भी देखिए।

रिपोर्ट कहती है कि कक्षा 8 के 59.4 प्रतिशत बच्चे भाग बना सकते हैं। चाहे प्राइवेट हो या सरकारी। वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 3 के महज़ 21.2 प्रतिशत बच्चे ‘घटाना’ या उससे ज़्यादा कुछ कर सकते हैं, जबकि तीसरी ही कक्षा के निजी स्कूलों में 66.7 प्रतिशत बच्चे घटाना, जोड़, भाग आदि कर सकते हैं।

इन आंकड़ों में देखा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई के पैमाने में वाले आंकड़े 60 प्रतिशत भी पार नहीं कर पा रहे हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों में बहुत हद तक शिक्षा बेहतर है। इसका सीधा सा मतलब यही है कि सरकारें प्राइवेट संस्थानों को ज़्यादा बढ़ावा दे रही है।

राहत की बात ये है कि इन सभी बेहद ख़राब आंकडों के साथ कुछ आंकड़ें ठीक भी हैं, जैसे बिहार के सरकारी हों या निजी स्कूल... यहां पढ़ने वाले बच्चों का गणित में ज्ञान देश के बाकी राज्यों से 8.4 प्रतिशत ज़्यादा है।

बात अगर कक्षा 5 की करें तो, इस कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों में गणित का ज्ञान 2018 में 24.1 प्रतिशत था जो 2022 में बढ़ कर 30 प्रतिशत हो गया। जबकि राष्ट्रीय औसत 2022 में यही आंकड़ें 21.6 प्रतिशत है।

असर के आंकड़ों में अगर ये बात कही जा रही है कि गणित के ज्ञान में बिहार बाकी राज्यों से बेहतर है, तो बाकी राज्यों का क्या ही हाल होगा।

दूसरी चीज़ ये कि जिस तरह से बिहार में सरकारी स्कूलों के मुकाबले प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार देखने को मिल रहा है, ये सीधा सरकारी ताने-बाने पर सवाल खड़े करता है।

ASER की पूरी रिपोर्ट नीचे देखें 

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