Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

“ऐसे कैसे पढ़ेगी आधी आबादी?”, गार्गी-मिरांडा के बाद अब IP कॉलेज में छेड़छाड़ का मामला!

IP कॉलेज में एक फेस्ट के दौरान कुछ बाहरी लड़कों के बग़ैर इजाज़त कॉलेज में घुस जाने और लड़कियों से छेड़छाड़ के आरोप पर लगातार छात्र संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले गार्गी और मिरांडा हाउस में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसकी वजह से छात्राओं में बहुत ग़ुस्सा है।
protest

दिल्ली यूनिवर्सिटी के IP कॉलेज में फेस्टिवल 'श्रुति' चल रहा था। आरोप है कि 28 मार्च को फेस्ट के दौरान कुछ लड़के बग़ैर इजाज़त कॉलेज में घुसे और छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की। इससे पहले गार्गी और मिरांडा हाउस में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। लगातार ऐसी घटनाओं की वजह से छात्राओं में बहुत ग़ुस्सा है। तमाम छात्र संगठनों के साथ स्टूडेंट्स मुखर होकर इसके ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। जानिए क्या है पूरा मामला :

''मुझे पहले हंसराज में एडमिशन मिल रहा था लेकिन फिर कट-ऑफ आई तो मिरांडा में भी नाम आ गया, और जैसे ही मेरे परिवार को पता चला तो उन्होंने कहा कि मिरांडा, वीमेंस कॉलेज है, तो सेफ्टी की गारंटी लग रही है, क्योंकि उनके लिए ये ऐसा था कि लड़की पढ़ने के लिए दिल्ली जा रही है तो वे सोच रहे थे कि सेफ्टी का क्या होगा? वीमेंस कॉलेज के नाम पर उन्हें सेफ्टी की गारंटी दिखी, लेकिन जब उनको पता चल रहा है कि वीमेंस कॉलेज में हम सेफ नहीं हैं, तो महसूस होता है कि लड़कियां तो कहीं भी सुरक्षित नहीं है, मैं तो फिर भी उतने पुराने ख़यालों वाले(Conservative Background) परिवार से नहीं हूं लेकिन कुछ लोग तो होंगे न, तो उनके लिए तो अब घर से बाहर निकलना मुश्किल होगा, क्योंकि अगर वीमेंस कॉलेज में सेफ्टी नहीं है तो कहीं भी नहीं है, तो मां-बाप कैसे भेजेंगें? बेहतर शिक्षा के लिए, बेहतर अवसर (Opportunity) के लिए हम यहां आए थे, लेकिन अब देखिए। ये ख़तरनाक है लड़कियों की पढ़ाई के लिए, ये ख़तरनाक है हमारे विकास के लिए।''

ये कहना है नीलाक्षी भट्टाचार्य का जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में मिरांडा हाउस की छात्रा हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के IP (इंद्रप्रस्थ) कॉलेज के फेस्टिवल के दौरान लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़ से नीलाक्षी बेहद नाराज़ दिखीं।

imageदिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा

नीलाक्षी आगे कहती हैं, ''ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ ये रिपीट हो रहा है। कुछ इसी तरह की हरकत मिरांडा हाउस में भी हो चुकी है, दिवाली मेला में, हम देख चुके हैं कैसे लड़कों ने हमें हमारे कैंपस में ही असुरक्षित महसूस करवाया था। मुझे ऐसा महसूस होता है कि यहां पर्याप्त सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं हैं, अगर दिल्ली जैसे शहर में हम अपने कैंपस में असुरक्षित महसूस करते हैं तो इस शहर के दूसरे हिस्सा का क्या हाल होगा? देश की राजधानी पहले ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बदनाम है, लेकिन अगर ऐसे कॉलेज जहां सिर्फ़ लड़कियां पढ़ती हैं वहां भी अगर हमें असुरक्षित महसूस करवाया जाता है और इसके ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया जाता तो क्या कहें? और ये बार-बार हो रहा है, आप गार्गी कॉलेज देख लो, मिरांडा हाउस और अब IPCW (Indraprastha College for Women), और एक नारा उन लोगों ने लगाया था 'मिरांडा, IP दोनों हमारा' इसका क्या मतलब होता है? ये आप सिर्फ़ इस लिए बोल रहे हैं क्योंकि यहां लड़कियां पढ़ती हैं? क्या आपको मर्द होने के नाते ये पावर दिखाने के लिए करना है?”

नीलाक्षी ही नहीं हमने दिल्ली यूनिवर्सिटी की और भी लड़कियों से बातचीत की जिनमें एक लड़की ने कहा, "कॉलेज में ऐसी घटना का होना बताता है कि कॉलेज के अंदर, हमारी कॉलेज अथॉरिटी, यूनिवर्सिटी प्रशासन हमारी सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। गार्गी में लड़कियों के सामने ही कुछ लड़कों ने गंदी हरकतें की पुलिस ने उन लड़कों को पकड़ा लेकिन कुछ देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया और फिर मिरांडा हाउस और अब IP में छेड़छाड़ होती है।''

गार्गी कॉलेज में भी हो चुकी है ऐसी ही घटना

हमने 2020 में गार्गी में हुई घटना के दौरान वहां मौजूद कुछ लड़कियों से भी बात की उन्होंने नाम न ज़ाहिर करने की गुज़ारिश के साथ, उस दिन गार्गी कॉलेज में क्या हुआ था, बताया। उन्होंने बताया, ''अचानक ही कॉलेज में भीड़ बढ़ गई, फोन चोरी होने लगे, समझ ही नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है, हम बहुत डर गए थे, वो एक ऐसा दिन था जिसे हम कभी नहीं भूल सकते, उस वक़्त हम बस किसी भी तरह से कॉलेज से बाहर निकलना चाहते थे लेकिन इतनी भीड़ और अफ़रा-तफ़री का माहौल बन गया था कि बहुत मुश्किल से बाहर निकल पाए थे।''

imageदिल्ली विश्वविद्यालय की छात्राएं

वहीं IP कॉलेज की घटना पर एक और छात्रा नाम न बताने की शर्त पर कहती हैं, ''आपने देखा होगा कि 12वीं के बाद बहुत सी लड़कियां आगे की पढ़ाई नहीं करती हैं, जिसके बहुत से कारण होते हैं, लेकिन जो लड़कियां कॉलेज तक पहुंच जाती हैं अगर उनके साथ भी कॉलेज में ये सब हो रहा है तो उनके परिवार वाले भी सुरक्षा के नाम पर उन्हें कॉलेज छोड़ने के लिए कह देंगे। अब आप ही बताइए ऐसे हालात में देश में शिक्षा का क्या हाल होगा? हमारे देश में एक नारा दिया गया था - ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' - लेकिन यहां न तो बेटियां बच पा रही हैं और ना ही पढ़ पा रही हैं। ऐसे कैसे पढ़ेगी और बढ़ेगी आधी आबादी?''

वह आगे कहती हैं, “जिस दिन IP में ये घटना हुई थी उस दिन वहां सुरक्षा के नाम पर कोई ख़ास इंतज़ाम नहीं किए गए थे लेकिन घटना के अगले दिन जब हम विरोध के लिए कॉलेज के गेट पर पहुंचे थे तो वहां हर तरफ भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई थी। अगर फेस्ट के दिन भी ठीक-ठाक पुलिस बल को तैनात कर दिया जाता तो ऐसी घटना नहीं हो पाती।''

दिल्ली यूनिवर्सिटी की ये छात्राएं बेहद ग़ुस्से में थीं। इससे पहले की आगे बढ़ें पहले जान लेते हैं कि आख़िर IP कॉलेज में ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से दिल्ली यूनिवर्सिटी की ये छात्राएं गुस्से में हैं और लगातार DU में विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं।

क्या है पूरा मामला? 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के IPCW (Indraprastha College for Women) कॉलेज में फेस्टिवल 'श्रुति' चल रहा था। आरोप है कि 28 मार्च को फेस्टिवल के दौरान कुछ लड़के बग़ैर इजाज़त कॉलेज में घुसे और छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की। छात्र संगठन AISA से जुड़ी एक कार्यकर्ता ने हमारे साथ कुछ तस्वीरें और वीडियो साझा किए जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये तस्वीरें उसी दिन (28 मार्च) की हैं जब कुछ लड़के बग़ैर इजाज़त के कॉलेज में घुसे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जबरन कॉलेज में घुसे लड़कों की वजह से अफ़रा-तफ़री का माहौल बना और एक छात्रा को चोट भी लग गई।

 imageAISA से जुड़ी एक कार्यकर्ता ने ये तस्वीर 28 मार्च की बताई जिस दिन कॉलेज में बग़ैर इजाज़त लड़कों के घुसने का आरोप है

घटना के विरोध में प्रदर्शन

घटना के विरोध में अगले दिन 29 मार्च को IP कॉलेज के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया जिसमें कई छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया और कॉलेज की प्रिंसिपल पूनम कुमारिया के इस्तीफ़े की मांग की।

शुक्रवार को भी हुआ विरोध प्रदर्शन

शुक्रवार के दिन दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी के बाहर भारी संख्या में पुलिस और रिज़र्व फोर्स के जवानों की तैनाती की गई। विश्वविद्यालय के गेट पर धारा-144 का बोर्ड भी लगा दिया गया। दरअसल साढ़े बारह बजे आर्ट्स फैकल्टी के गेट पर KYS ( क्रांतिकारी युवा संगठन ) ने एक जनसुनवाई और मार्च बुलाया था लेकिन आरोप है कि उनके पहुंचने से पहले ही पुलिस ने ऐसे इंतज़ाम किए थे कि संगठन से जुड़े कार्यकर्ता तो दूर वे वहां किसी भी छात्र को खड़े नहीं होने दे रहे थे। लेकिन जब हमने पुलिस से पूछा कि ''क्या वे इस कार्यक्रम को होने देंगे'' तो अनौपचारिक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि ''इनके पास इजाज़त नहीं है।''

imageदिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी के बाहर तैनात सुरक्षा बल के जवान

KYS के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। इसपर कई छात्रों का कहना था कि जिस तरह से पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी बहुत हैरान करने वाला था समझ नहीं आ रहा था कि पुलिस-प्रशासन के लिए छात्र क्या इतनी बढ़ी परेशानी हैं जिन्हें क़ाबू में करने के लिए ऐसे इंतज़ाम किए गए थे? इसके अलावा नाराज़ छात्र कहते हैं कि काश यहां तैनात पुलिस बल में से एक तिहाई इंतज़ाम भी 28 तारीख़ को IP कॉलेज के बाहर कर दिए गए होते।

“महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल कहां है'?”

कार्यक्रम के रद्द होने से नाराज़ एक कार्यकर्ता ने कहा, "जनता को जब भी, और जहां भी सबसे ज़्यादा पुलिस की ज़रूरत होती है, वहां से पुलिस-प्रशासन नदारद रहता है और यही हुआ है IP कॉलेज में, 28 तारीख़ को जो फेस्टिवल हुआ है उसमें भी यही दिखा। कॉलेज और प्रशासन को पता है कि फेस्ट में ज़्यादा भीड़ आ सकती है तो ऐसे में सुरक्षा के इंतज़ाम पहले से बढ़ा देने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ये दिल्ली का वो इलाक़ा है जहां कुछ दूरी पर बग़ल में विधानसभा है, सिविल लाइंस है, PCR की गाड़ियां घूमती रहती हैं। लेकिन जब वहां पर भगदड़ मच जाती है, लड़कियों के साथ छेड़छाड़ हो रही होती है, हॉस्टल को बंद किया जा रहा था, लोगों को भगाया जा रहा था, उस वक़्त सिक्योरिटी बढ़ाने की बजाए, उस वक़्त पुलिस फोर्स बुलाई जाने की बजाए, पूरा फेस्टिवल जैसे चल रहा था उसे चलाया जा रहा था। और इस घटना के बाद जब हम लोग और महिला संगठनों से जुड़ी कार्यकर्ता इस मुद्दे पर अपनी चिंता ज़ाहिर करने की कोशिश करते हैं तब बड़ी संख्या में पुलिस बल बुलाकर, फोर्स बुला कर तीन-तीन चार-चार बसें बुलाकर, एक-एक छात्र या छात्रा को पांच-पांच पुलिस वाले उठाकर जानवरों की तरह पकड़कर( Detain) करके ले जाते हैं। आज के समय में जिसको हम महिला कॉलेज कह रहे हैं, जो वीमेन एम्पावरमेंट की कोशिश से जुड़ा संस्थान है, अगर वहां भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं तो आख़िर इस देश की राजधानी में, इस देश के अलग-अलग हिस्सों में जो बाक़ी महिलाएं हैं उनकी आज़ादी और सुरक्षा कैसी होगी?  उनके लिए सुरक्षित माहौल पर सवाल उठता है।  देश के सबसे पुराने महिला कॉलेज में जब इस तरह की घटना होती है और जब हम गेट पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे होते हैं तो वे(प्रिंसिपल) बाहर आकर बात करने को भी तैयार नहीं दिखतीं, माफी मांगने को तैयार नहीं दिखती।"

imageअलग-अलग छात्र संगठनों ने मिलकर निकाला आज़ादी मार्च

'आज़ादी मार्च' निकाला गया

KYS की पब्लिक मीटिंग और मार्च नहीं हो सका लेकिन AISA (All India Students Association) ने भी 'आज़ादी मार्च' की कॉल दी थी जिसमें KYS के साथ ही SFI (Students Federation of India) और कुछ और संगठनों ने भी हिस्सा लिया और एक विरोध मार्च निकाला, नारेबाज़ी की और अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान इन छात्राओं के हाथ में जो पोस्टर थे उनपर, बेख़ौफ़ आज़ादी ज़िंदाबाद, Arrest Harassers not the Harassed, College or Streets, Fight Against Women's Harassment, जैसे कई स्लोगन लिखे थे।

image

विरोध प्रदर्शन के दौरान कई छात्र-छात्राओं को हिरासत में भी लिया गया, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। जिस दौरान पुलिस इन्हें हिरासत में ले रही थी, इन छात्राओं ने कहा, ''हम लोग यहां शांतिपूर्वक नारे लगाते हुए आए थे, अब हमें बुरी तरह से यहां से (आर्ट्स फैकल्टी) घसीटते हुए हटाया जा रहा है। हम यही पूछना चाहते हैं कि जिस वक़्त IP कॉलेज में छेड़छाड़ हो रही थी उस वक़्त कहां थी पुलिस? अगर इतनी ही पुलिस उस दिन IP कॉलेज पर होती तो शायद वो उस तरह की घटना नहीं होती, जिस दौरान IP कॉलेज में ये सब हो रहा था तो उस वक़्त फेस्ट को रद्द नहीं किया गया, क्यों? आज भी जब हम IP कॉलेज के सामने विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे तो वहां वॉटर-कैनन खड़ी थी सिर्फ़ इसलिए कि छात्राएं अपना विरोध दर्ज न करा पाएं।''

image

हिरासत में ली गई एक और एक अन्य छात्रा का कहना था, ''IP कॉलेज या फिर इससे पहले महिला कॉलेज में हुई ऐसी ज़्यादतियों के ख़िलाफ़ बोलने के लिए जब हम आवाज़ उठाने केे लिए आते हैं तो हमारे साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया जाता है लेकिन उस वक़्त पुलिस कहां होती है जब इनकी ज़रूरत होती है?  ये हमें लाठी दिखाकर चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन्हें ये समझना होगा कि ये महिलाओं की लड़ाई है हम तब तक चुप होने वाले नहीं हैं जब तक दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही नहीं, दिल्ली के हर कोने में ही नहीं बल्कि देश के हर कोने में महिलाएं सुरक्षित माहौल हासिल नहीं कर लेतीं।"

imageIP कॉलेज के बाहर लगी धारा 144 की सूचना और पुलिस बल की तैनाती

धारा-144 लागू

जहां एक तरफ़ दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के बाहर ये सारा हंगामा हो रहा था, विरोध-प्रदर्शन कर रही छात्राओं को हिरासत में लिया जा रहा था, वहीं हम इस पूरे मामले पर IP कॉलेज की प्रिंसिपल से बात करने कॉलेज पहुंचे तो वहां भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती थी, वॉटर कैनन की गाड़ी खड़ी थी, छावनी जैसा माहौल था। हमने कॉलेज के भीतर जाने की इजाज़त मांगी तो साफ़ कह दिया गया कि ''मीडिया को अंदर जाने की इजाज़त बिल्कुल नहीं है, बाक़ी वहां बोर्ड लगा है उसे पढ़ लो'' दरअसल जिस बोर्ड को हमें पढ़ने के लिए कहा गया था वो कॉलेज के बाहर धारा-144 के लागू होने का आदेश था।

इसे भी पढ़ें : साइंस रिसर्च में जेंडर गैप कब और कैसे ख़त्म होगा?

हमने कॉलेज से बाहर आती कुछ छात्रों से बात करने की कोशिश की लेकिन एक भी छात्रा ने बात नहीं की। ये ख़ामोशी थी या डर कहना मुश्किल था। लेकिन इस मामले पर कॉलेज की प्रिंसिपल की क्या प्रतिक्रिया है या कॉलेज प्रशासन का क्या कहना है इसके संबंध में हमें कॉलेज के ट्विटर हैंडल पर कुछ-एक ट्वीट दिखे :

इन ट्वीट्स में कहा गया कि लड़कियों की सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और किसी भी तरह की अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन 28 तारीख़ को कॉलेज में हुई घटना किसकी लापरवाही से हुई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। 

DCW ने जारी किया नोटिस

वहीं NDTV पर छपी ख़बर के मुताबिक़ इस मामले में पुलिस ने धारा-337 और 188 के तहत FIR दर्ज कर सात लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। साथ ही इस मामले में दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की तरफ़ से IP कॉलेज और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया गया है।

image

घटना के बाद से छात्राएं महिला-सुरक्षा के मुद्दे को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं। पुलिस-प्रशासन भी अपना काम कर रहा है लेकिन इन सब के बीच IP कॉलेज के आस-पास जिस तरह की अजीब सी 'ख़ामोशी' थी उसमें दहशत घुली थी। कॉलेज से बाहर निकल रही छात्राओं के चेहरे पर खिलखिलाहट की जगह जल्द से जल्द गेट को क्रॉस कर अपने घर पहुंचने की जल्दी दिखाई दी। जिस वक़्त हम IP कॉलेज से लौट रहे थे तो कॉलेज की दीवारों पर नज़र गई, दीवारों को G-20 के लिए सजाया जा रहा था, नारंगी रंग से रंगी जा रही दीवारों पर कहीं तितलियां बनी थीं, तो कहीं महिलाओं की अलग-अलग तस्वीरें लेकिन हमारी नज़र जाकर उस तस्वीर पर टिक गई जिसमें एक महिला अपने एक हाथ में किताब लिए खड़ी थी तो दूसरी हाथ में मशाल, हालांकि इस मशाल में रंग भरने अब भी बाक़ी थे।

image

उम्मीद है वो दिन भी ज़रूर आएगा जब इस मशाल से वो रौशनी निकलेगी जो सही मायनों में देश की आधी आबादी की ज़िंदगी रौशन करेगी।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest