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विपक्ष के बाद अब न्यायालय ने भी कोविड-19 वैक्सीन की अलग-अलग क़ीमतों पर उठाए सवाल

न्यायालय ने केंद्र से कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग क़ीमतों का औचित्य बताने को कहा और केंद्र से यह भी पूछा कि वह एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरूआत होने पर टीकों की अचानक बढ़ी मांग को कैसे पूरा करने वाला है।
विपक्ष के बाद अब न्यायालय ने भी कोविड-19 वैक्सीन की अलग-अलग क़ीमतों पर उठाए सवाल
image courtesy ; LIVE LAW

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग क़ीमत का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को केंद्र सरकार को ऐसी मूल्य नीति के पीछे ‘‘औचित्य और आधार’’ बताने को कहा।

इससे पहले कांग्रेस, वाम दलों और आम आदमी पार्टी ने भी इस पर सवाल उठाए थे। इसे माहमारी में मुनाफ़ा कमाने का प्रयास कहा था। हालाँकि अख़बारों में सूत्रों के हवाले से ख़बर चली कि सरकार ने कंपनियों से टीके के दाम कम करने को कहा है। लेकिन कंपनियों ने अभी तक इस पर अमल नहीं किया है।

शीर्ष अदालत ने टीके के दाम के साथ ही ‘महामारी के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति एवं सेवाओं के वितरण’ से संबंधित मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र से यह भी पूछा कि वह एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरूआत होने पर टीकों की अचानक बढ़ी मांग को कैसे पूरा करने वाला है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया। पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र को अपने हलफनामे में टीकों के मूल्य के संबंध में स्वीकृत आधार और औचित्य को स्पष्ट करना होगा।’’

पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘‘अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग क़ीमत तय कर रही हैं। केंद्र इस बारे में क्या कर रहा है।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए टीके की अलग-अलग क़ीमतें निर्धारित की गयी है।

पीठ ने दवाओं की क़ीमतों को नियंत्रित करने के लिए औषधि नियंत्रण क़ानून के तहत केंद्र की शक्तियों का हवाला दिया और कहा कि महामारी के दौरान ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल करना सही मौक़ा होगा।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘यह महामारी है और राष्ट्रीय संकट की स्थिति है। अगर ऐसी शक्ति लागू करने का यह समय नहीं है तो कौन सा समय ठीक होगा।’’

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने कहा है कि वह राज्यों को कोविशील्ड की एक खुराक 400 रुपये में और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में प्रति खुराक मुहैया कराएगी।

एक वकील ने कहा कि हालांकि कंपनी केंद्र को 150 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से टीके की बिक्री कर रही है।

पीठ ने केंद्र को ऑक्सीजन के वितरण के साथ राज्यों को टीके मुहैया कराने की प्रक्रिया और निगरानी तंत्र के बारे में भी अवगत कराने को कहा है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को ही सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से कहा कि वे अपने कोविड-19 टीकों की क़ीमत कम करें। सरकार ने इन दोनों कंपनियों को टीकों के दाम करने के लिए ऐसे समय कहा है जब विभिन्न राज्यों ने आलोचना करते हुए इन कंपनियों पर ऐसे बड़े संकट के दौरान मुनाफ़ाखोरी का आरोप लगाया है।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में टीके मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर चर्चा की गई।

अब उम्मीद है कि दोनों कंपनियां अपने टीकों के लिए संशोधित मूल्य निर्धारण के साथ सामने आएंगी।

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’ की क़ीमत राज्य सरकारों के लिए 600 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रुपये प्रति खुराक निर्धारित की है।

वहीं पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने अपने कोविड-19 टीके 'कोविशील्ड' की राज्य सरकारों के लिए कीमत 400 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति खुराक घोषित की है।

दोनों टीके 150 रुपये प्रति खुराक की दर से केंद्र सरकार को उपलब्ध हैं।

केंद्र सरकार ने तीसरे चरण में अपनी टीकाकरण रणनीति में ढील दी है जिसके तहत देश में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोग एक मई से टीका ले सकेंगे।

नयी रणनीति के तहत, टीका निर्माता अपनी मासिक सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी (सीडीएल) की 50 प्रतिशत खुराक की आपूर्ति केंद्र सरकार को करेंगे और शेष 50 प्रतिशत खुराक राज्य सरकारों और खुले बाजार में आपूर्ति करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

सरकार ने कहा था कि निर्माताओं को 50 प्रतिशत आपूर्ति के लिए मूल्य की अग्रिम घोषणा करनी होगी जो राज्य सरकारों और खुले बाजार में उपलब्ध होगी।

कई राज्यों ने टीकों की अलग-अलग क़ीमतों पर आपत्ति जताई है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह मुनाफाखोरी का समय नहीं है।

केजरीवाल ने टीका निर्माताओं से अपील की कि वे कीमत कम करके 150 रुपये प्रति खुराक करें। उन्होंने कहा कि कंपनियों के पास मुनाफ़ा कमाने के लिए समय आगे मिलेगा लेकिन उन्हें इस समय मानवता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जरूरत पड़ने पर टीकों की कीमत तय करनी चाहिए।

कांग्रेस ने टीकाकरण से जुड़ी नीति को ‘भेदभावपूर्ण और असंवेदनशील’ करार देते हुए रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मुनाफाखोरों को 1.11 लाख करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी करने की अनुमति दे रही है।

पार्टी महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘45 साल से कम उम्र की आबादी 101 करोड़ है। उन्हें टीका लगाने के लिए, हमें 202 करोड़ खुराक की जरूरत है और इनकी लागत राज्यों या व्यक्तियों को स्वयं वहन करनी होगी। इसके आधार पर और यह मानते हुए कि राज्य 50 प्रतिशत टीकाकरण प्रदान करेंगे और व्यक्तियों को टीकाकरण लागत का 50 प्रतिशत वहन करना होगा दो टीका निर्माताओं - सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक का लाभ - 1,11,100 करोड़ रुपये होगा।’’

उन्होने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार टीकाकरण की आड़ में मुनाफाखोरी की अनुमति देने की दोषी है। मोदी सरकार 18 से 45 वर्ष आयु के देश के नागरिकों को मुफ्त टीका उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदार से पल्ला झाड़ने की भी दोषी है।’’

हालांकि, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) ने शनिवार को कोविशील्ड वैक्सीन का मूल्य शुरूआती कीमत के मुकाबले डेढ़ गुना तय करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि शुरूआती कीमत अग्रिम वित्त पोषण पर आधारित थी और अब उसे उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक निवेश करने की जरूरत है।

हैदराबाद स्थित ‘भारत बायोटेक’ कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एम एल्ला ने कहा था कि उनकी कंपनी केन्द्र सरकार को 150 रुपये प्रति खुराक की दर से कोवैक्सीन की आपूर्ति कर रही है।

एल्ला ने कहा, ‘‘हम यह बताना चाहते हैं कि कंपनी की आधी से अधिक उत्पादन क्षमता केन्द्र सरकार को आपूर्ति के लिए आरक्षित की गई है।’’

उन्होंने कहा कि कोविड-19, चिकनगुनिया, जीका, हैजा और अन्य संक्रमणों के लिए टीका विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि इस टीके की लागत वसूल हो।

इन सब में चौंकाने वाली बात यह है कि टीके की कंपनियाँ विदशों में इसे सस्ते दाम पर निर्यात कर रही हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने भी कहा है कि केंद्र और राज्यों को अलग-अलग दाम पर टीका देने के पीछे कोई तर्क नहीं दिया गया है।

शैलजा ने कहा, "केरल के सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ़्त में कोरोना का इलाज किया जा रहा है। इसके लिए हमें अत्यधिक आर्थिक मदद की ज़रूरत है। इसी के चलते हम मुत्यु दर को नियंत्रण में ला सके हैं। केंद्र को मुफ्त में वैक्सीन मुहैया कराना चाहिए।"

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस देव सिंह ने भी अलग दामों सवाल उठाए और कहा, "सरकार ने इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिया है कि आख़िर क्यों एक ही वैक्सीन को केंद्र को अलग मूल्य और राज्य को अलग मूल्य पर दिया जा रहा है। कल क्या केंद्र और राज्य अलग-अलग दाम पर पेट्रोल भी ख़रीदेंगे?"

उन्होंने कहा कि (ब्रिटिश स्वीडिश कंपनी) एस्ट्राज़ेनेका ने वैक्सीन (कोविशील्ड) उत्पादन की टेक्नोलॉजी (सीरम इंस्टिट्यूट को) इसलिए ट्रांसफ़र की थी ताकि विकासशील देश इसे सस्ते दामों में प्राप्त कर सकें, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा इसका मूल्य रखकर इसके पूरे उद्देश्य को ही ख़त्म किया जा रहा है।

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ )

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