नगर निगम सदन में हंगामे के बाद आप ने उपराज्यपाल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया
आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के आवास के बाहर प्रदर्शन किया और नगर निगम सदन में उनके द्वारा नामित 10 नेताओं को निर्वाचित प्रतिनिधियों से पहले शपथ दिलाने का विरोध किया। पार्टी ने उपराज्यपाल पर आरोप लगाया कि वह संविधान को ''नष्ट'' कर रहे हैं।
सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि यह महापौर और उपमहापौर के चुनाव में ‘एल्डरमेन’ से मतदान कराने के लिए "गुप्त चाल" का हिस्सा था।
उपराज्यपाल सक्सेना ने छह जनवरी को होने वाले महापौर चुनाव से पहले मंगलवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के लिए 10 ‘एल्डरमेन’ नामित किए थे।
आप ने आरोप लगाया था कि मनोनीत सभी सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ता हैं और नगर निकाय ने दिल्ली सरकार को जानकारी दिए बिना उनके नाम सीधे सक्सेना को भेज दिए थे।
शनिवार को आप नेता और कार्यकर्ता सिविल लाइंस स्थित राज निवास के बाहर बैनर लेकर एकत्र हुए और सक्सेना के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदर्शन में शामिल वरिष्ठ आप नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल संविधान को "नष्ट" कर रहे हैं और दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम के खिलाफ काम कर रहे हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दिल्ली सरकार को दरकिनार कर 10 एल्डरमेन क्यों नामित किए गए? पीठासीन अधिकारी के रूप में सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को क्यों नहीं नामित किया गया? वे एल्डरमेन को मतदान का अधिकार देने की कोशिश क्यों कर रहे थे? उपराज्यपाल को इन सवालों का जवाब देने की जरूरत है। वह संविधान को नष्ट कर रहे हैं।"
‘एल्डरमेन’ शब्द उन लोगों को संदर्भित करता है जो अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं। हालांकि, महापौर चुनाव में उनके पास मतदान का अधिकार नहीं है।
उपराज्यपाल के आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई और मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया तथा इलाके के चारों ओर अवरोधक लगा दिए गए।
शुक्रवार को, एमसीडी सदन की पहली बैठक महापौर और उपमहापौर का चुनाव किए बिना स्थगित कर दी गई क्योंकि भाजपा और आप पार्षदों के बीच तीखी नोंकझोक के चलते भारी हंगामा हुआ। यह हंगामा पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा के निर्वाचित प्रतिनिधियों की जगह पहले मनोनीत पार्षदों (एल्डरमेन) को शपथ दिलाने के मुद्दे पर शुरू हुआ।
आप ने आरोप लगाया कि भाजपा ने महापौर और उपमहापौर के चुनाव में ‘एल्डरमेन’ को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए पहले शपथ दिलाई।
चुनाव की अगली तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।
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