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झारखंड : “भाजपा हटाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ” जन अभियान 

'’जो देश के संकटपूर्ण हालात बने हुए हैं, कॉमरेड महेंद्र सिंह जैसे जुझारू-ज़मीनी कम्‍युनिस्‍ट जननेता की बेहद ज़रूरत है। क्योंकि फासीवादी भाजपा के उन्मादी सांप्रदायिक कुचक्रों का हमलावर विरोध सिर्फ लाल झंडा की ताक़तें ही कर सकती हैं।'’
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झारखंड राज्य के गठन पूर्व से ही ‘सदन से लेकर सड़कों तक’ जनाधिकारों की बुलंद आवाज़ कहे जानेवाले जनप्रिय कम्‍युनिस्‍ट नेता और भाकपा माले के विधायक रहे कॉमरेड महेंद्र सिंह को आज भी जनआंदोलनों का प्रेरणादायी स्तम्भ माना जाता है। हर वर्ष 16 जनवरी को उनका शहादत दिवस व्यापक जन अभियान के जरिये ‘संकल्प दिवस’ के रूप मनाया जाता है जिसमें विभिन्न इलाकों से पहुंचे हजारों-हज़ार मजदूर-किसानों-महिला व छात्र-नौजवानों के साथ साथ पूरे प्रदेश भर की आंदोलनकारी शक्तियां और उनके संगठनों के प्रतिनिधियों की जोशपूर्ण भागीदारी होती है। इसके अलावे झारखंड के पड़ोसी राज्यों से भी आंदोलनकारी प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

इस बार शहादत संकल्प दिवस को “भाजपा हटाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’ जनाभियान के रूप में मनाया जा रहा है जिसके लिए बगोदर विधान सभा क्षेत्र के साथ साथ पूरे गिरिडीह समेत कई अन्य जिलों में गांव गांव जन संपर्क अभियान निकाले जा रहे हैं। छात्रों-युवाओं और संस्कृतिकर्मियों के उत्साही जत्थे भी हर दिन देर रात तक सघन प्रचार कार्य कर रहे हैं।

बगोदर स्थित घंघरी कॉलेज में फिजिक्स के प्राध्यापक हेमलाल महतो पठन-पाठन की भारी व्यस्तताओं के बीच भी हमेशा की तरह इस बार भी खुद से सैकड़ों बड़े बड़े ‘हंसिया-हथौड़ा’ निशान वाले झंडे तैयार कर रहें हैं तो साथ ही कारवां सांस्कृतिक टीम के कलाकारों और युवाओं की टोलियों को लेकर घर-घर जाकर कार्यक्रम के सहयोग के लिए ‘धान-संग्रह’ कर कार्यक्रम में सपरिवार आने का न्यौता भी दे रहें हैं कई इलाकों में घर घर से धान संग्रह करते हुए लोगों को आमंत्रण देने का काम माले के युवा एक्टिविष्टों के साथ साथ ऐपवा नेता व महिला पंचायत जनप्रतिनिधि भी कर रहीं हैं। घर घर से धान-संग्रह करने की परंपरा खुद कॉमरेड महेंद्र सिंह ने शुरू की थी इस परंपरा का अनुपालन आज भी जारी है। इस अभियान को कितना जन समर्थन हासिल है इसी से पता चलता है कि यदि किसी घर से धान-संग्रह नहीं किया गया तो घर के लोगों की आलोचना-शिकायत पहुंचने लगती हैं।

हेमलाल जी का कहना है- '’जो देश के संकटपूर्ण हालात बने हुए हैं, कॉमरेड महेंद्र सिंह जैसे जुझारू-ज़मीनी कम्‍युनिस्‍ट जननेता की बेहद ज़रूरत है क्योंकि फासीवादी भाजपा के उन्मादी सांप्रदायिक कुचक्रों का हमलावर विरोध सिर्फ लाल झंडा की ताक़तें ही कर सकती हैं। कॉमरेड महेंद्र सिंह जैसे तेवर वाले कम्युनिस्ट आंदोलनकारी इसे और भी व्यापक धार देते थे।'’

इस बार के ‘संकल्प दिवस’ कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि - इस बार का जन अभियान, बिलकुल ‘आर पार वाली जंग की तैयारी’ के रूप में संगठित किया जा रहा है। क्योंकि 2024 का आम चुनाव सामने है। इसलिए बगोदर का इलाका जो पहले से ही ‘तीखे राजनितिक टकराव’ का आंदोलनकारी क्षेत्र रहा है पूर्व के दिनों में खुद महेंद्र सिंह ने भाजपा समर्थित सामंती-दबंग ताकतों के ख़िलाफ़ तीखे संघर्ष करते हुए लाल झंडे की दावेदारी को स्थापित करते हुए पिछले कई विधानसभा चुनावों में भाकपा माले द्वारा भाजपा को लगातार करारी हार दी जा रही है। इसलिए भाजपा कुछ ज्यादा ही भन्नाई हुई रहती है जिसके द्वारा आये दिन किसी न किसी बहाने इलाके में सांप्रदायिक हिंसा का उन्मादी कुचक्र भी रचा जाता है। लेकिन जुझारू सामाजिक एकता के ज़मीनी विरोध से हर बार उसे पीछे धकेल दिया जाता रहा है। लेकिन इस बार स्थितियां कुछ अधिक संगीन बनायी जा रहीं हैं। क्योंकि झारखंड जैसे गैर भाजपा शासित राज्यों में संघ परिवार-भाजपा ने गाँव-गाँव में हर बूथ स्तर पर सांप्रदायिक सामाजिक ध्रुवीकरण के लिए ख़तरनाक चालें लागू की जा रही है। जिसका का ताज़ा उदाहरण है “अयोध्या में मंदिर निर्माण” मुद्दे को उछालकर ग्रामीण समाज के लोगों को भी हिन्दू राष्ट्र निर्माण के उन्माद में झोंके की हरचंद कोशिशें की जा रही है। इस कस्बों-बाज़ारों के साथ साथ घर घर में अक्षत और पर्चे का लिफ़ाफ़ा बांटते हुए प्रचार किया जा रहा है कि - राममंदिर शुभारंभ में जानेवालों को वहां जाने-ठहरने व पूजा-अर्चना की निःशुल्क व्यवस्था मिलेगी। हालंकि इस क्षेत्र की जागरूक जनता में उनका झांसा कोई असर नहीं डाल पा रहा है इसलिए 16 जनवरी के महेंद्र सिंह शहादत-संकल्प दिवस की तैयारी का एक बड़ा फोकस यह भी है कि 22 जनवरी से लेकर आगे के दिनों में इस क्षेत्र में शांति और सामाजिक सौहार्द क़ायम रहे। संघ-भाजपा प्रायोजित कहीं भी कोई सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात का कुचक्र नहीं सफल हो सके।

वामपंथी एक्टिविस्‍ट हेमलाल जी की बातें इसलिए भी गौर तलब हैं कि झारखंड जैसा इलाका, जहां अभी भी प्राकृतिक संपदा-खनिज़ और जंगल बचे हुए हैं जिसे किसी भी कीमत पर कारपोरेट कंपनियों को खुली लूट की छूट देने का काम पूर्व की भाजपा सरकारें ने तमाम नियम कायदों को धता बताते हुए किया था। महागठबंधन की हेमंत सोरेन सरकार आने के बाद से उस पर एक किस्म का अवरोध-सा खड़ा हो गया है। इसलिए झारखंड की गैर भाजपा सरकार के बनने के दिन से ही इसे गिराने की नित नयी साजिशें लगातार जारी हैं।

इन दिनों बड़ी चर्चा है कि मोदी-शाह जी ने झारखंड को विशेष रूप से अपने कमान में लिया हुआ है।( शाह जी तो दौरा-सभा करके चले गये हैं अब सूचना है कि मोदी जी आकर ताबड़तोड़ सभा-रैली करने वाले हैं। उधर इडी द्वारा हेमंत सोरेन को “पूछताछ का समन” भेजकर दबाव बनाने-धमकाने की हरकतें लगातार जारी हैं। राजभवन व मीडिया से भी “हेमंत सरकार के जाने की कयास-ख़बरें भी वायरल होती ही रहती है।

सनद रहे कि झारखंड राज्य गठन के समय से महेंद्र सिंह भाजपा की लोकतंत्र व जन विरोधी नीतियों-कार्यों का सबसे मुखर विरोध, राज्य की विधानसभा के सदन और सड़कों के जन अभियानों से लगातर करते रहे जिन दिनों गहरे राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उनकी हत्या हुई। प्रदेश में भाजपा-एनडीए की सरकार थी जिसकी संलिप्तता को लेकर कई चर्चाएँ उस समय भी उठी थीं और आज भी उठती रहती हैं। क्योंकि एक ओर, महेंद्र सिंह जी कि पत्नी व भाकपा माले द्वारा दर्ज़ FIR में नामज़द तत्कालीन गिरिडीह के एसपी दीपक वर्मा समेत किसी भी अभियुक्त पर आज तक कोई कारवाई नहीं हुई।

उलटे बिना किसी जांच के ही पुलिस प्रवक्ताओं ने मीडिया में ये बयान जारी कर दिया था कि - महेंद्र जी ह्त्या उग्रवादियों ने की है। जबकि सार्वजनिक चर्चाओं में लोग बाग़ साफ़ साफ़ आरोप लगा रहे थे कि महेंद्र जी की ह्त्या किन लोगों ने करवाई है। वैसे उसके बाद भी राज्य के शासन में सबसे अधिक भाजपा-गठबंधन की ही सरकारें रहीं लेकिन महेंद्र सिंह हत्याकांड के षड्यंत्रकारी-हत्यारों की शिनाख्त कर असली दोषियों को सज़ा देने का काम नहीं किया जा सका है।

बावजूद इसके आज पूरे झारखंड और विशेषकर उत्तरी छोटानागपुर के विस्तृत क्षेत्र में कॉमरेड महेंद्र सिंह द्वारा स्थापित की गयी लाल झंडे की आंदोलनकारी परंपरा निरंतर जारी है। प्रदेश के चर्चित और भाकपा माले के युवा विधायक (बगोदर से) विनोद सिंह अब सदन से लेकर सड़कों पर जनता की बुलंद वामपंथी आवाज़ बने हुए हैं।

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