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पायलटों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय खारिज किये जाने के खिलाफ एअर इंडिया की अर्जी अदालत ने ठुकराई

अदालत ने कहा, ‘‘सरकार और उसकी इकाई एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करने के लिए बाध्य हैं और इसलिए, उसे पायलटों को ऐसे समय संगठन (एअर इंडिया) की सेवा करने के अधिकार से वंचित करते नहीं देखा जा सकता जब निजी क्षेत्र में नौकरी खोजना एक मुश्किल कार्य है।’’
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस आदेश के खिलाफ एअर इंडिया की अपील खारिज कर दी, जिसमें 40 से अधिक उन पायलटों को बहाल करने और पिछले वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था, जिनकी सेवाएं पिछले साल समाप्त कर दी गई थीं।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की एक पीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा पायलटों को दी गई राहत बरकरार रखी और स्पष्ट किया कि जिन लोगों को अब कहीं और रोजगार मिल गया है, वे केवल पिछले वेतन के हकदार होंगे, बहाली के नहीं।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें एकल न्यायाधीश द्वारा किए गए अंतिम निर्णय को बाधित करने का कोई अच्छा आधार नहीं मिला।’’

पायलटों ने पिछले साल तब उच्च न्यायालय का रुख किया था जब एअर इंडिया ने उनके द्वारा इस्तीफा वापस लेने को स्वीकार करने और समाप्त की गई उनकी सेवाओं को बहाल करने से इनकार कर दिया था।

अदालत ने कहा, ‘‘सरकार और उसकी इकाई एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करने के लिए बाध्य हैं और इसलिए, उसे पायलटों को ऐसे समय संगठन (एअर इंडिया) की सेवा करने के अधिकार से वंचित करते नहीं देखा जा सकता जब निजी क्षेत्र में नौकरी खोजना एक मुश्किल कार्य है।’’

एकल न्यायाधीश ने स्थायी और अनुबंध पर पायलटों की सेवाओं को समाप्त करने के एअर इंडिया के फैसले को खारिज कर दिया था और उनकी बहाली का निर्देश दिया था।

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