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जस्टिस यशवंत वर्मा प्रकरण: 10 अहम सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय की वह रिपोर्ट, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सौंपी गई थी, अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी गई है। इस रिपोर्ट के साथ अन्य दस्तावेज भी अपलोड किए गए हैं, जिनमें कथित रूप से जले हुए नोटों से भरे बोरों का एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी शामिल है।
Justice Yashwant Varma

शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने एक आंतरिक समिति का गठन किया। इस समिति में न्यायमूर्ति शील नागू, न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति अनु शिवराम शामिल हैं। ये क्रमशः पंजाब एवं हरियाणा, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। 

यह समिति दिल्ली उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके सरकारी आवास में जले हुए नोटों से भरे बोरे पाए गए थे।

मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय की उस रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने का निर्णय लिया, जो उन्हें सौंपी गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से दिए गए जवाब को भी सार्वजनिक किया, जिसमें उन्होंने अपने आधिकारिक आवास परिसर में स्थित एक स्टोरहाउस में भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के आरोपों पर सफाई दी है।

इसके अलावा, CJI खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को यह सलाह दी है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।

इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, "यह सोचना ही अविश्वसनीय है कि कोई व्यक्ति खुले, आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले स्टोररूम या स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित बाहरी कक्ष में नकदी जमा करेगा।"

सार्वजनिक दस्तावेज़ों से क्या खुलासा होता है?

22 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय को संबोधित अपने पत्र में, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा कभी भी स्टोररूम में नकदी नहीं रखी गई। उन्होंने इस आरोप को सख्ती से खारिज किया कि कथित नकदी का कोई संबंध उनसे है।

"यह सोचना ही निरर्थक है कि यह नकदी हमने रखी या संग्रहीत की," उन्होंने लिखा। "यह सुझाव कि कोई व्यक्ति खुले, आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले स्टोररूम या स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित बाहरी कक्ष में नकदी रखेगा, पूरी तरह अविश्वसनीय और हास्यास्पद है। यह कमरा मेरे रहने के स्थान से पूरी तरह अलग है और एक बाउंड्री वॉल मेरे निवास क्षेत्र को उस बाहरी कक्ष से अलग करती है। काश, मीडिया ने मुझे दोषी ठहराने और बदनाम करने से पहले कुछ पड़ताल कर ली होती।"

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय द्वारा पूछे गए सवाल कि "उनके बंगले के स्टोररूम में मिली नकदी का वे क्या स्पष्टीकरण देंगे?" पर जवाब देते हुए, न्यायमूर्ति वर्मा ने लिखा कि उन्हें कभी भी उस बाहरी स्टोररूम में पड़ी किसी नकदी के बारे में जानकारी नहीं थी।

"न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को इस नकदी की कोई जानकारी थी, और न ही इसका मुझसे या मेरे परिवार से कोई संबंध है," उन्होंने कहा। "उस रात मेरे परिवार के किसी भी सदस्य या स्टाफ को कोई नकदी या मुद्रा नहीं दिखाई गई।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह 15 मार्च 2025 की शाम को ही दिल्ली लौटे थे, इसलिए कथित रूप से जले हुए नोटों को हटाने के आरोप से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

"किसी भी स्थिति में, मेरे किसी भी स्टाफ सदस्य ने कोई वस्तु, मुद्रा या नकदी हटाई नहीं," उन्होंने कहा।

अब जब दस्तावेज़ सार्वजनिक हो चुके हैं, हालांकि कुछ हिस्से गुप्त रखे गए हैं, तो घटनाक्रम की सही व्याख्या करना आवश्यक है।

इसी दौरान, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा को वे तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो उन्हें पुलिस कमिश्नर द्वारा व्हाट्सएप पर भेजे गए थे। इसके बाद, न्यायमूर्ति वर्मा ने उनके खिलाफ साजिश होने की आशंका व्यक्त की।

मुख्य घटनाक्रम की टाइम लाइन

14 मार्च 2025:

रात 11:30 बजे नई दिल्ली के 30, तुगलक क्रेसेंट स्थित एक गोदाम में आग लग गई, जो न्यायमूर्ति वर्मा को आवंटित परिसर के पास था।

रात 11:43 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के निजी सचिव ने पीसीआर कॉल की। फायर डिपार्टमेंट को अलग से कोई कॉल नहीं किया गया। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा भोपाल में थे, जबकि उनकी बेटी और वृद्ध मां निवास पर थीं।

15 मार्च 2025:

दिल्ली पुलिस आयुक्त ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को व्हाट्सएप पर एक रिपोर्ट भेजी।

इस रिपोर्ट में प्रारंभिक रूप से आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया। इसमें यह भी उल्लेख था कि गोदाम में भारतीय मुद्रा के अवशेष वाले चार से पाँच बोरे मिले।

उसी दिन पुलिस आयुक्त ने फोन पर मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को आग लगने की घटना की सूचना दी। उस समय मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय भी शहर से बाहर, लखनऊ में थे।

शाम को, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) खन्ना से बात की। CJI खन्ना ने उन्हें निर्देश दिया कि वे यह पता लगाएँ कि पीसीआर कॉल किसने की थी।

उसी शाम, न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली लौट आए।

न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली पहुँचने के बाद, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय के रजिस्ट्रार-कम-सचिव ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, जहाँ न्यायमूर्ति वर्मा भी उनके साथ मौजूद थे।

16 मार्च 2025:

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय के रजिस्ट्रार-कम-सचिव (Registrar-cum-Secretary) ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की।

रिपोर्ट में लिखा था:
"निजी सचिव ने मुझे बताया कि यह कमरा अनुपयोगी घरेलू वस्तुओं को रखने के लिए एक स्टोररूम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था और यह आम तौर पर खुला रहता था, क्योंकि इसे लॉक नहीं किया जाता था। घटनास्थल पर पहुँचने पर मैंने देखा कि कमरे के अंदर पूरी तरह अंधेरा था और दीवारों में दरारें आ गई थीं। हमने अपने मोबाइल फोन की टॉर्च जलाकर अंदर देखा। सभी दीवारें आग से काली पड़ गई थीं, कुछ सामग्री छत से लटक रही थी, और अधजली वस्तुएँ तथा मलबा फर्श पर बिखरा हुआ था। लगभग 8-10 मिनट तक निरीक्षण करने के बाद, हम सभी बाहर आ गए।"

उसी दिन, पुलिस आयुक्त ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को सूचित किया कि पीसीआर कॉल न्यायमूर्ति वर्मा के निजी सचिव ने की थी, और उन्हें आग लगने की जानकारी न्यायमूर्ति वर्मा के निवास पर तैनात एक घरेलू सहायक (servants) ने दी थी।

यह भी बताया गया कि फायर सर्विस को अलग से सूचना नहीं दी गई थी, लेकिन पीसीआर कॉल करने के बाद स्वतः ही दिल्ली फायर सर्विस को जानकारी भेज दी गई थी।

पुलिस आयुक्त ने यह भी बताया कि गोदाम, गार्ड रूम के पास स्थित था, जहाँ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की बटालियन 70F तैनात थी, और यह स्टोररूम आमतौर पर बंद रखा जाता था।

इसके अलावा, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को यह भी बताया गया कि 15 मार्च 2025 की सुबह, न्यायमूर्ति वर्मा के निवास पर तैनात सुरक्षा गार्ड के अनुसार, कुछ मलबा और अधजली वस्तुएँ हटा दी गई थीं।

उसी दिन शाम को, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय दिल्ली पहुँचे और उन्होंने CJI खन्ना से मुलाकात की।

17 मार्च 2025:

सुबह 8:30 बजे, दिल्ली उच्च न्यायालय गेस्ट हाउस में मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा से मुलाकात की।

न्यायमूर्ति वर्मा ने जवाब दिया कि "जिस कमरे में आग लगी थी, वहाँ केवल अनुपयोगी घरेलू वस्तुएँ, जैसे फर्नीचर और गद्दे रखे गए थे।" उन्होंने यह भी कहा कि "यह कमरा घरेलू सहायकों (servants), माली और कभी-कभी CPWD कर्मियों के लिए भी सुलभ था।"

उन्होंने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को यह भी बताया कि "घटना के समय वे भोपाल में थे और उन्हें इस बारे में अपनी बेटी से जानकारी मिली थी।"

इस दौरान, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा को वे तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो पुलिस आयुक्त ने उन्हें व्हाट्सएप पर भेजे थे। इस पर न्यायमूर्ति वर्मा ने उनके खिलाफ साजिश की आशंका जताई।

20 मार्च 2025:

सुबह, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने CJI खन्ना को तस्वीरें, वीडियो और दो संदेश भेजे।

शाम को, कोलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में करने का निर्णय लिया।

CJI खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को यह जानकारी भेजी कि "न्यायमूर्ति वर्मा का तबादला न्यायिक प्रशासन को बेहतर बनाए रखने के लिए किया जा रहा है।"

21 मार्च 2025:

सुबह, टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस मामले की रिपोर्ट प्रकाशित की।

उसी दिन, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने CJI खन्ना को पत्र लिखा और पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि "15 मार्च की सुबह स्टोररूम से अधजली मुद्रा और मलबा हटाया गया था।"

CJI खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को निर्देश दिया कि न्यायमूर्ति वर्मा से निम्नलिखित जानकारी माँगी जाए:

  1. उनके परिसर में स्टोररूम में नकदी कैसे पहुँची?
     
  2. इस नकदी का स्रोत क्या था?
     
  3. 15 मार्च की सुबह जली हुई नकदी किसने हटाई?
     

CJI खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से यह भी कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को अपने मोबाइल फोन को संरक्षित रखने और किसी भी संदेश, डेटा या बातचीत को हटाने से मना किया जाए।

22 मार्च 2025:

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने CJI खन्ना को न्यायमूर्ति वर्मा का जवाब भेजा।

न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा:
"यह मान भी लिया जाए कि वीडियो उसी समय लिया गया था, तब भी कोई भी नकदी जब्त या बरामद नहीं की गई थी।"

उन्होंने कहा:
"मुझे और मेरे परिवार को इस नकदी की कोई जानकारी नहीं थी। मेरे स्टाफ को भी कोई अधजली मुद्रा नहीं दिखाई गई। केवल मलबा हटाया गया था, जो अब भी निवास में सुरक्षित रखा गया है।"

CJI खन्ना के सवालों के जवाब में, न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा:

  1. "मैं कभी भी इस नकदी की उपस्थिति से अवगत नहीं था।"
     
  2. "नकदी का स्रोत बताने का प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी।"
     
  3. "मेरे या मेरे परिवार ने कोई नकदी नहीं हटाई। मैं 15 मार्च की शाम ही दिल्ली पहुँचा था, इसलिए इस आरोप का कोई आधार नहीं है।"
     

मुख्य सवाल:

CJI खन्ना के सवाल से यह स्पष्ट होता है कि 15 मार्च की सुबह जली हुई नकदी हटाई गई थी।

तो फिर, 15 मार्च की सुबह यह नकदी किसने हटाई?

दस अनसुलझे सवाल

  1. अगर स्टोरहाउस में करेंसी नोट्स थे, तो उन्हें वहाँ कौन लाया और कब रखा गया?
     
  2. सबसे अहम सवाल—वे करेंसी नोट्स आखिरकार किसके थे?
     
  3. दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 326(फ) के तहत एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की, जो आगजनी के लिए सज़ा निर्धारित करती है, ताकि यह पता चल सके कि आग किसी साज़िश का नतीजा थी या फिर शॉर्ट-सर्किट जैसी दुर्घटना थी?
     
  4. दिल्ली पुलिस ने अपराध स्थल को घेराबंदी (सील) क्यों नहीं की?
     
  5. 15 मार्च 2025 की सुबह मलबा/जली हुई करेंसी (यदि कोई थी) को किसने हटाया?
     
  6. अगर स्टोरहाउस में करेंसी नोट्स थे, तो उन्हें न्यायमूर्ति वर्मा के परिवार के सदस्यों को क्यों नहीं दिखाया गया, जैसा कि उन्होंने दावा किया है?
     
  7. दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को भेजे गए वीडियो में जली हुई करेंसी के अवशेष दिख रहे हैं। वे अब कहाँ हैं? क्या उन्हें ज़ब्त किया गया? अगर नहीं, तो क्यों नहीं?
     
  8. जली हुई करेंसी को किसने देखा? क्या उसके अवशेष नष्ट कर दिए गए? अगर हां, तो क्यों और किसने? वह वीडियो किसने रिकॉर्ड किया?
     
  9. न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले और स्टोरहाउस में प्रवेश और निकास के सीसीटीवी फुटेज कहाँ हैं?
     
  10. क्या इन-हाउस जांच के पास गवाहों से शपथ पर बयान लेने और जिरह करने की शक्ति है? यदि नहीं, तो यह जांच किसी ठोस निष्कर्ष तक कैसे पहुंचेगी?
     

(नोट: 23 मार्च 2025 की दोपहर, जब यह रिपोर्ट लिखी जा रही थी, उसी समय एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) ने एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के निवास के बाहर सड़क किनारे सूखे पत्तों पर जली हुई करेंसी बिखरी हुई दिखाई गई। यह बेहद अहम सवाल खड़ा करता है—अगर आग नौ दिन पहले लगी थी, तो घर के बाहर पड़ी जली हुई करेंसी को अब तक किसी ने क्यों नहीं देखा?)

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस रिपोर्ट क नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं–

Justice Yashwant Varma Documents: 10 Vital Questions

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