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दो बार पीएम मोदी से चुनावी मुक़ाबला कर चुके अजय राय को मिली यूपी कांग्रेस की कमान

अजय राय पूर्वांचल के ज़मीनी नेता हैं। कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंपकर एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश की है।
Ajay Rai

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दो मर्तबा लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी गई है। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी करते हुए उनके नाम की घोषणा की है। लगातार पांच बार विधायक रहे अजय राय पूर्वांचल के ज़मीनी नेता हैं। कांग्रेस ने उन्हें यूपी की बागडोर सौंपकर एक साथ कई निशाने साधे हैं। उनकी नियुक्ति से कांग्रेस हाईकमान ने यह संदेश का प्रयास किया है कि पार्टी बीजेपी से जोरदार मुकाबला करने के लिए तैयार हो रही है।

कांग्रेस ने 01 अक्टूबर 2022 को दलित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को यूपी का अध्यक्ष बनाया था। इसी बीच अजय राय को प्रयागराज क्षेत्र के लिए पार्टी का अध्यक्ष बनाया। उन्हें पूर्वांचल के करीब दर्जन भर जिलों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। इनके अलावा नकुल दुबे, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव, योगेश दीक्षित और नसीमुद्दीन को प्रांतीय अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया था। ये सभी प्रांतीय अध्यक्ष अलग-अलग इलाके और भिन्न-भिन्न जातियों से थे। कांग्रेस हाईकमान ने हर क्षेत्र को एक अध्यक्ष देकर संगठन को सक्रिय करने की रणनीति बनाई थी, जिसमें अजय राय का काम सबसे सराहनीय माना गया। हालांकि वो कई सालों से कांग्रेस में अहम पदों पर रहते हुए ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को सिर्फ 11 महीने का कार्यकाल मिला। पिछले दो महीने से खाबरी के बदले जाने की चर्चा थी। दरअसल, इनके कार्यकाल में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और दूसरे दलों में चले गए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को हटाकर बनारस में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले अजय राय की ताजपोशी के कई मायने हैं। इनके जरिये कांग्रेस ने 'इंडिया' की ताकत बढ़ाने का विकल्प भी दिया है।

पीएम मोदी से दो बार मुकाबला

पूर्वांचल में मजबूत पकड़ रखने वाले अजय राय पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ पहली बार साल 2014 में और दूसरी मर्तबा साल 2019 में चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व विधायक और मंत्री रहे अजय राय भूमिहार ब्राह्मण हैं। इनकी गिनती पूर्वांचल के कद्दावर नेताओं में होती है। माना जा रहा है कि बनारस से होने की वजह से अजय राय कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने यूपी के ब्राह्मणों के साथ ही अपर-कास्ट को फिर से कांग्रेस से जोड़ने का संकेत दिया है।

दरअसल, अजय राय पूर्वांचल के ऐसे नेता हैं, जिनकी बिरादरी भूमिहार ब्राह्मणों की तादाद बहुत ज़्यादा है। मौजूदा समय में यूपी में यह तबका खुद को नेता विहीन मानता रहा है। इस तबके का मानना है कि कोई भी राजनीतिक दल इस समय ब्राह्मणों को उचित मान-सम्मान नहीं दे रहा है, जिससे यह तबका क्षुब्ध होकर विकल्प ढूंढता नज़र आ रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने बहुत सोच-समझकर अजय राय को अपना अध्यक्ष बनाया है। अजय राय अगर ब्राह्मणों का वोट बैंक कांग्रेस के पाले में लाने में सफल रहते हैं तो यूपी में समीकरण बदल सकते हैं।

कौन है अजय राय?

साल 1969 में बनारस में जन्मे अजय राय ने अपने सियासी करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। साल 1996 से लेकर 2009 तक वह भाजपा से जुड़े रहे। साल 1996 में पहली मर्तबा वह बनारस के कोलअसला विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद कोलअसला विधानसभा सीट उनसे कोई नहीं छीन पाया। साल 1996 से 2009 तक वह लगातार कोलअसला से विधायक रहे।

अजय राय ने साल 2009 में बीजेपी नेताओं से मतभेद के चलते पार्टी छोड़ दी और सपा में चले गए। वहां भी वह ज़्यादा दिन नहीं ठहरे। फिर पिंडरा सीट से निर्दल चुनाव लड़े और विधायक बने। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें तीसरे पायदान पर रहना पड़ा। पहले स्थान पर मोदी और दूसरे पर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल रहे। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अजय राय फिर पिंडरा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन वो हार गए। इसके बाद साल 2019 में कांग्रेस ने उन्हें दोबारा पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा। वह फिर तीसरे स्थान पर रहे।

"इंडिया संभालेगी देश की बागडोर"

'न्यूज़क्लिक' से बातचीत में अजय राय कहते हैं, "आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इतिहास रचेगी। इंडिया देश की बागडोर संभालेगी। यूपी में कांग्रेस को हम नए सिरे से पुनर्गठित करेंगे। हमने मोदी का मुकाबला किया और हम बीजेपी सरकार से लड़ेंगे। बीजेपी का झूठ और फरेब उजागर करेंगे। कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं जोड़ेंगे। पूर्वांचल में पंडित कमलापति त्रिपाठी के आदर्शों और नीतियों के अनुरूप कांग्रेस को आगे बढ़ाया जाएगा।"

"जनहित के मुद्दों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में बांधने की कोशिश की जाएगी। आवश्यक होने पर हम आंदोलन करेंगे। धार्मिक और सामाजिक पदयात्राएं निकाली जाएंगी। राहुल गांधी ने जनता को जो ताकत दी है, उसे हम समूचे यूपी में फैलाएंगे। साल 2009 की तरह इतिहास दोहराएंगे। हमने सियासत का ककहरा बीजेपी में रहते हुए सीखा था। उनकी कमजोरियों से हम अच्छी तरह वाकिफ हैं।"

"यूपी में मजबूत होगी कांग्रेस"

राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी यूपी की सियासत तय करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। प्रियंका की पहल पर अजय राय को यूपी की कमान सौंपी गई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह कहते हैं, "अजय राय कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष थे। उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। " उल्लेखनीय है कि यूपी में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की तादाद घटकर सिर्फ दो रह गई है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका रहा। पिछले विधानसभा का नतीजा आने के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इस्तीफा दे दिया था।

बनारस के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा कहते हैं, "खाबरी को हटाना कांग्रेस हाईकमान की दूरगामी सियासी सोच है। संभव है कि उन्हें संगठन में कोई अहम पद सौंपा जा सकता है। लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की ताकत बढ़ाना ज़रूरी है। कांग्रेस से जुड़े दलित नेता अब नेपथ्य में रहते हुए काम करेंगे, ताकि यूपी में कांग्रेस बसपा से तालमेल कर सके।"

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