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किसान आंदोलन को और धार देने की कवायद, 26 अगस्त को किसानों का राष्ट्रीय सम्मेलन

किसान आंदोलन को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है। एसकेएम ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में 26 अगस्त को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है।
किसान आंदोलन को और धार देने की कवायद, 26 अगस्त को किसानों का राष्ट्रीय सम्मेलन
Image courtesy : NDTV

देश के लाखों किसानों के दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक, निरंतर शांतिपूर्ण विरोध के नौ महीने पूरे होने जा रहे है। इस उपलक्ष्य में, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 अगस्त 2021 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस अखिल भारतीय सम्मेलन में सैकड़ों किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी होगी, जो स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा रहे हैं।

किसान आंदोलन अपने 264 दिन कर पूरे कर चुका है लेकिन सरकार द्वारा इनकी मांगे माननी तो दूर ,जनवरी के बाद से किसानों से कोई बातचीत नहीं की जा रही है। ऐसे में किसान भी अपने मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं और उन्होंने कई बार साफ किया है 'जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं',

इस बीच किसानों का समर्थन देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बढ़ा है। इसका ताज़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश भर के किसानों ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस को ‘किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस’ के रूप में मनाया। इस दिन किसानों और श्रमिकों द्वारा विभिन्न तरीकों से तिरंगा यात्रा निकली गई। यह सिर्फ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन स्थल पर ही नहीं बल्कि ये देशव्यापी स्तर पर हुआ। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुछ स्थानों पर किसानों की तिरंगा यात्रा को आगे नहीं बढ़ने दिया।

किसान नेताओ ने कहा यह उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र भारत में यह दिन, पहले कभी इतने प्रत्यक्ष रूप से और उत्साह के साथ नहीं मनाया गया था। सैकड़ों किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में अलग-अलग जगहों पर किसानों ने हजारों वाहनों के साथ हिस्सा लिया। कृषि क्षेत्रों और शहर के चौकों पर, किसानों और अन्य नागरिकों के नेतृत्व में तिरंगा को ऊंचा रख, उन मुद्दों को उठाया गया, जो सभी नागरिकों की (जो विशेष रूप से जो हाशिए पर हैं) सच्ची स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं।

इस स्वतंत्रता दिवस पर विरोध कर रहे किसानों को अपना समर्थन और एकजुटता देने के लिए, प्रवासी भारतीयों द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ‘स्लीप-आउट कार्यक्रम’ आयोजित किए गए। इसमें वैंकूवर, लंदन, सैन होज़े (संयुक्त राज्य), सिएटल, टोरंटो, वियना आदि शामिल हैं। लंदन में, टेम्स नदी पर, प्रसिद्ध वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर एक विशाल बैनर फहराया गया था जिसमें प्रधान मंत्री मोदी के इस्तीफे की मांग की गई। जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई।

इन सबके बीच बीजेपी और उसके सहयोगी जेजेपी नेताओं को कोई राहत नहीं दी गई, उनका विरोध जारी है। हरियाणा में जेजेपी के एक विधायक जोगी राम सिहाग को रविवार को हिसार के गांवों में जाने पर काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। एक गांव (सिरसौद) से भागने के बाद, विधायक को दूसरे गांव (बिछपडी) में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा, जहां उन्हें स्थानीय किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

मोर्चे ने प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से दिए गए उनके भाषण को लेकर भी सवाल उठाए। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को बयाना में कहा प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मोदी सरकार के बदलते लक्ष्य कल फिर से स्पष्ट हो गए। छोटे और सीमांत किसानों के बारे में पीएम का जोर, किसानों के हितों की रक्षा करने में सरकार की घोर विफलता को छिपाने और उसके किसान विरोधी कदमों को छिपाने के लिए था। ये किसी से छुपाये नहीं जा सकते थे।

इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि बाजार समितियों के पुनरुद्धार और विकास की घोषणा की, जिसको लेकर मोर्चे ने कहा कि विरोध कर रहे किसानों के रुख को यह सही साबित करती है, और विनियमित बाजारों की आवश्यकता पर जोर देती है।

लगभग 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए दूर-दराज के स्थानों से किसान जत्थो का आना जारी है। सोमवार को मोर्चे ने जानकारी दी कि तमिलनाडु से सैकड़ों किसान सिंघू बॉर्डर पहुंचे। कर्नाटक के किसानों के एक दल ने आज गाजीपुर सीमा पर सभा को संबोधित किया।

इस बीच, भाकियू के श्री गुरनाम सिंह चढूनी और संयुक्त मोर्चा में जो पिछले कई महीनो से जो तनातनी चल रही थी उसे भी विराम देने का प्रयास हुआ।

ये प्रयास दोनों तरफ से हो रहे हैं। चढूनी ने चुनाव में प्रवेश करने के अपने बयान को वापस ले लिया, वे किसी भी राजनीतिक दल का गठन नहीं करेंगे। एसकेएम के प्रतिनिधियों और श्री चढूनी के बीच बातचीत में कुछ अन्य लंबित मुद्दों को भी सुलझाया गया है। हालाँकि संयुक्त किसान मोर्चा के स्टैंड और मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए हरियाणा के चार व्यक्तियों (प्रदीप धनखड़, विकल पचर, जगबीर घसोला और डॉ. शमशेर) को एसकेएम से पूरी तरह से निष्कासित कर दिया गया है और उन्हें एसकेएम के किसी भी विरोध स्थल में किसी भी मोर्चा स्थल या मंच पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जायेगी। यह निर्णय एसकेएम की पिछली बैठक में लिया गया था।

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