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अंकिता भंडारी हत्याकांड : सरकारी वकील के हटने से परिवार की बढ़ी उम्मीद, लेकिन न्याय में देरी से चिंता!

बीते 10 महीनों में ये मामला बस पुलिस स्टेशन से कोटद्वार सत्र न्यायालय तक ही पहुंच सका है।
ankita bhandari
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक (public prosecutor) जितेंद्र रावत ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है। सरकारी वकील का ये कदम अंकिता के परिवार के लगातार विरोध के बाद सामने आया है। बीते महीने जून से ही अंकिता के परिजन वकील जितेंद्र रावत की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्हें केस से हटाने की मांग कर रहे थे। इस बाबत परिवार ने शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, डीएम को पत्र लिखा और कई दिन धरना प्रदर्शन पर भी बैठे। इस दौरान अंकिता की मां ने शासन-प्रशासन के उदासीन रवैये से तंग आकर आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी। जिसके बाद चौतरफा दबाव के चलते अब सरकारी वकिल खुद ही इस केस से अलग हो गए हैं।

अंकिता की मां सोनी देवी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सरकारी वकील जीतेंद्र रावत के हटने से अब उन्हें थोड़ी उम्मीद तो मिली है, लेकिन वो इस मामले में हो रही देरी को लेकर चिंतित हैं। उनके मुताबिक आज, 17 जुलाई को भी कोर्ट में इस केस पर बात आगे नहीं बढ़ सकी, न ही किसी गवाह का कोई बयान दर्ज हो सका क्योंकि अब एक नया वकील इस मामले को आगे बढ़ाएगा, जिसके लिए अभी और समय लग सकता है। सोनी देवी चाहती हैं कि इस केस में जल्द सुनवाई और न्याय हो, जिससे अंकिता जैसी और लड़कियों और उनके परिवार वालों में इंसाफ की आस जगी रहे।

'आगे क्या होना है, इसका कोई अंदाज़ा नहीं'

सोनी देवी कहती हैं, “हमें कोई जानकारी समय से सही तरीके से नहीं दी जाती। हम बार-बार सिर्फ कोर्ट के चक्कर ही काट रहे हैं। इस बार भी पौढ़ी से कोटद्वार आए और बिना किसी कार्यवाही के यहां से लौट रहे हैं। मामले में लगातार देरी हो रही है। डीएम साहब ने भी बस इतना ही बताया कि वकील खुद मामले से हट गए हैं, लेकिन आगे क्या होना है और कितना समय लगेगा नए वकील की नियुक्ति में इसका हमें कोई अंदाज़ा नहीं है। हम इस वक्त मानसिक और आर्थिक परेशानी से दो-चार हो रहे हैं। इस न्याय की लड़ाई में हम हर दिन टूट कर भी दोबारा अपनी लाडली के लिए खड़े हो रहे हैं। लेकिन अब सब्र भी खत्म हो रहा है।"

अंकिता के परिजनों की मानें, तो इस केस में जानबूझकर देरी की जा रही है, जिससे आरोपियों को अपनी तैयारी के लिए कुछ समय और मिल सके। क्योंकि बीते 10 महीने से ये मामला बस पुलिस स्टेशन से कोटद्वार सत्र न्यायालय तक पहुंच सका है। अंकिता को न्याय दिलाने के लिए कई महिला संगठन और विपक्षी राजनीतिक दल भी लगातार परिवार को अपना समर्थन दे रहे है। हालांकि परिवार इस समय गंभीर मानसिक और आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहा है। फिलहाल उन्हें कोई सरकारी मदद मिल पा रही है। केस और सुनवाई के चक्कर में अंकिता के पिता कमाने तक नहीं जा पा रहे हैं। उनका एक बेटा है वो भी इन्हीं सब मामलों में उलझ गया है। फिलहाल घर में बेरोज़गारी है और दाल-रोटी की भी मुसीबत है।

सरकारी वकील पर अपराधियों से मिलीभगत का परिवार ने लगाया था आरोप

बता दें कि इससे पहले न्यूज़क्लिक से फोन पर बातचीत में अंकिता की मां सोनी देवी और पिता वीरेंद्र भंडारी ने सरकारी वकील के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। परिवार का कहना था कि जितेंद्र रावत शुरू से ही उन्हें गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे। केस से जुड़ी जानकारी को सही से न बताने से लेकर सही तथ्यों को अदालत के समक्ष रखने तक, सभी मामलों को गोलमोल घुमाया जा रहा था। इसके अलावा अंकिता के पिता वीरेंद्र ने सरकारी वकील पर अपराधियों से मिलीभगत होने का भी आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि 19 साल की अंकिता लक्ष्मण झूला इलाक़े में वनंतारा रिसॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट थीं। अंकिता को आखिरी बार पुलकित आर्य के साथ रिसॉर्ट में 18 सितंबर 2022 को देखा गया था, जबकि उनका शव छह दिन बाद 24 सितंबर को चिल्ला पावर हाउस के पास शक्ति नहर से पुलिस ने बरामद किया था। इस दौरान मुख्य आरोपी पुलकित ने खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए रेवेन्यू विभाग में अंकिता के गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। अंकिता के परिवार वालों का आरोप था कि इस मामले में राजस्व पुलिस पहले हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और फिर बाद में 22 सितंबर को इस मामले को नियमित पुलिस के हवाले किया गया था। फिलहाल इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और केस कोर्ट में है।

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