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अतीक-अशरफ हत्याकांड: “यूपी का एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित?”, विपक्ष ने उठाए सवाल

“उत्तर प्रदेश में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या।”
atiq ahmed
फ़ोटो साभार: PTI

प्रयागराज/लखनऊ: गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद (60) और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात को अज्ञात हमलावरों ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब पुलिस दोनों को यहां एक मेडिकल कॉलेज लेकर जा रही थी। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने घटना की उच्‍च स्‍तरीय जांच का आदेश देते हुए तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के निर्देश दिए हैं। वहीं, घटना के बाद उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

गोलीबारी की घटना रात करीब 10 बजे की है जो कैमरे में कैद हो गई क्योंकि मेडिकल जांच के लिए पुलिस द्वारा दोनों को अस्पताल ले जाते वक़्त मीडियाकर्मी उनके साथ चल रहे थे।

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रयागराज की घटना का संज्ञान लिया है। उन्होंने तत्काल उच्‍च स्‍तरीय बैठक बुलाई और पूरे मामले की उच्‍च स्‍तरीय जांच के आदेश दिए हैं।’’ बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन के भी निर्देश दिए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि घटना के बाद राज्य के सभी जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

वीडियो फुटेज में तीन हमलावर दोनों भाइयों को गोली मारते नज़र आ रहे हैं और गोली लगते ही दोनों ज़मीन पर गिर जाते हैं। गोलियों से छलनी दोनों के शवों को घटनास्थल से ले जाया गया। इस सनसनीखेज हत्या के बाद इलाके में तनाव है।

सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) करेली श्‍वेताभ पांडेय ने बताया कि अतीक और अशरफ को रूटीन जांच के लिए अस्पताल लाया गया था, तभी यह घटना हुई। उन्होंने यह भी बताया कि तीनों आरोपियों को पकड़ लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

पुलिस के अनुसार उन्होंने घटनास्थल से तीन पिस्तौल, एक मोटर साइकिल, एक वीडियो कैमरा और एक न्यूज़ चैनल का लोगो (Logo) बरामद किया है। अंदेशा है कि तीनों हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए और घटना को अंजाम दिया। उन्होंने अपने गले में पहचान पत्र भी लटका रखे थे।

पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने बताया, ‘‘अभी यह प्राथमिक जानकारी है। इनको (अतीक-अशरफ को) आवश्यक चिकित्सकीय जांच के लिए यहां लाया गया था। मीडियाकर्मी ‘बाइट’ ले रहे थे। प्राथमिक जानकारी के अनुसार तीन लोग मीडियाकर्मी बनकर आए और उन्होंने बाइट लेने का प्रयास किया और इसी दौरान उन्होंने गोलीबारी की।’’

आयुक्‍त ने कहा, ‘‘अतीक और अशरफ की हमले में मौत हो गई। इसके अलावा लखनऊ के एक पत्रकार को चोट आई है। उन्‍हें भागदौड़ की वजह से चोट आई है। इसके अलावा हमारे एक आरक्षी मानसिंह को गोली लगी है।’’

शर्मा ने बताया, ‘‘मामले में तीन लोगों को पकड़ा गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।’’ उन्‍होंने कहा कि पकड़े गए लोगों के पास से हथियार बरामद हुए हैं और उनसे विस्तृत पूछताछ की जा रही है।

आपको बता दें कि अहमद और उसके भाई अशरफ को 2005 के उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में सुनवाई के लिए यहां लाया गया था।

इससे पहले झांसी में 13 अप्रैल को अहमद का बेटा असद और उसका एक साथी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। असद अहमद का शव शनिवार सुबह यहां कसारी मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दफनाया गया, जबकि उसके साथी गुलाम का शव शिवकुटी स्थित कब्रिस्तान में दफन किया गया।

गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्ड की 24 फरवरी को उनके धूमनगंज स्थित आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उमेश पाल की पत्नी जया पाल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर 25 फरवरी को अहमद, अशरफ, अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक और अशरफ को एक अदालत में पेश करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती केंद्रीय जेल से 26 मार्च को प्रयागराज ले आई थी और अदालत ने 28 मार्च को अपहरण मामले में अहमद और दो अन्य को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।

अतीक-अशरफ हत्याकांड पर प्रतिक्रियाएं :

माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद तथा उनके भाई और पूर्व विधायक अशरफ की शनिवार रात हुई हत्या को लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने जहां योगी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की वहीं राज्य सरकार के मंत्री ने इसे ‘‘आसमानी फैसला’’ बताया।

राज्‍य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अतीक, अशरफ की हत्या को लेकर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाया।

अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कि कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।’’

बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में जंगल राज की पराकाष्ठा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यह ऊपर के इशारे के बिना नहीं हो सकता। किसी और लोकतंत्र में कानून के शासन के खिलाफ ऐसे जघन्य अपराध के लिए राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता।’’

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष व सांसद जयंत चौधरी ने भी अतीक और उसके भाई की हत्या की सनसनीखेज घटना को लेकर सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट किया, ''क्या यह लोकतंत्र में संभव है ?'' इसके साथ ही उन्होंने हैशटैग जंगलराज लगाया। चौधरी ने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें अतीक और अशरफ की हत्या का दृश्य है।

उन्होंने कहा, ‘‘अतीक के साथ किसी को भी सहानुभूति नहीं है क्योंकि अपराधी को सज़ा मिलनी चाहिए। लेकिन जिसने भी यह वीडियो देखा, वह सवाल करेगा कि क्या हम लोकतंत्र हैं? हर अपराधी को अदालत में अपना पक्ष रखने का अधिकार है और उसे वहीं दोषी ठहराया जाता है। लेकिन आप देख सकते हैं कि उन्हें पुलिस की हिरासत में सबके सामने मार डाला गया।’’

चौधरी ने आगे कहा ‘‘मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि राज्य में उन्होंने किस तरह की कानून व्यवस्था स्थापित की है। क्या यह जंगलराज नहीं है और क्या उत्तर प्रदेश में आपातकाल लागू नहीं किया जाना चाहिए ?’’

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया ‘‘उत्तर प्रदेश में दो हत्याएं : 1- अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की, 2- कानून के शासन की।’’

वहीं दूसरी तरफ उप्र सरकार के जलशक्ति मंत्री स्‍वतंत्र देव सिंह ने एक ट्वीट में कहा ‘‘पाप-पुण्य का हिसाब इसी जन्म में होता है।''

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने प्रयागराज में माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की हत्या पर रविवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था पर अनेक गम्भीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है तथा यह सोचने की बात है कि राज्य का ‘एनकाउंटर प्रदेश’ बन जाना कितना उचित है?

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मामले में देश की शीर्ष अदालत से उचित कार्रवाई की मांग की है।

रविवार की सुबह बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा, “गुजरात जेल से अतीक अहमद व बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकांड की तरह ही, उत्तर प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर अनेक गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।”

मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय घटना का माननीय उच्चतम न्यायालय अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर।”

उन्होंने कहा, “वैसे भी उत्तर प्रदेश में ‘कानून द्वारा कानून के राज’ के बजाय, अब इसका एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात।”

इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने इस हत्याकांड पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, “अपराध से निपटने के लिए अपराध! एक शहर के अनेक 'अपराध-सरगनाओं' में एक से निपटने का योजनाबद्ध अपराध! कैसा भयावह परिदृश्य, कैसी विडम्बना, हत्या के बीच भी 'जय श्रीराम' की आवाजें आ रही हैं! कैसा समय है! 'अपराध की संगठित और योजनाबद्ध संस्कृति' पर लोगों का एक हिस्सा तालियां बजा रहा है।"

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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