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बीएचयू में छात्र फिर आंदोलनरत, कैंपस में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात

बीएचयू के सिंहद्वार को बंद कर गुरुवार देर रात से ही छात्र धरने पर बैठे हैं। छात्रों के समर्थन में कई फैकल्टी बंद है।
BHU

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास और बिरला हॉस्टल के छात्रों के बीच मारपीट, पत्थरबाजी के गरमाया माहौल शुक्रवार को भी शांत नहीं हुआ है। लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास में रहने वाले छात्रों की बर्बरता पूर्वक पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई से नाराज छात्रों का धरना प्रदर्शन लगातार दूसरे दिन सिंहद्वार पर धरना प्रदर्शन चल रहा है।

छात्रों से हुई बर्बरता पर पुलिस के खिलाफ धीरे धीरे अन्य हॉस्टलों के छात्र भी एकजुट हैं। सुबह से विभिन्न हॉस्टलों के छात्रों ने यूनिवर्सिटी परिसर में मार्च करते हुए नारेबाजी की। विवाद को देखते हुए मौके पर सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है। हालांकि बीएचयू प्रशासन भी छात्रों से बातचीत कर धरना प्रदर्शन खत्‍म कराने की कोशिश कर रहा है, मगर पुलिस द्वारा हॉस्‍टल में घुसकर पीटे जाने के बाद से ही छात्र आक्रोशित हैं और जिम्‍मेदारों पर कार्रवाई को लेकर अडिग हैं। छात्रों ने विवि प्रशासन के सामने अपनी छह बिंदुओं की मांग रखी है।

छात्रों की मांग है कि -

1- कैंपस से पुलिस फोर्स तत्‍काल बाहर हो।

2- लाठी चार्ज के आरोपी पुलिस वालों को तत्‍काल चिह्नित करते हुए कानूनी कार्रवाई की जाए।

3- लाठीचार्ज की नै‍तिक जिम्‍मेदारी लेते हुए वाइस वांसलर और चीफ प्रॉक्‍टर का इस्‍तीफा।

4- कैंपस में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल की जाए।

5- छात्र, शिक्षक, कर्मचारी संघ बहाल किया जाए।

6- सीर चौकी इंचार्ज अमरेंद्र पांडेय की बर्खास्‍तगी।


प्रदर्शन में शामिल छात्र शुभम पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहते हैं, 'हॉस्टल के छात्रों के बीच मारपीट होती है। इसके बाद एलबीएस छात्रावास और पं. बृजनाथ छात्रावास में पुलिस ने घुसकर कई छात्रों को जमकर पीटा और विरोध करने पर पूरा छात्रावास खाली करवाकर छात्रों को बाहर कर दिया गया। लाठीचार्ज में निर्दोष एवं दिव्यांग छात्रों को भी नहीं बख्शा गया जिसमें अनेक छात्र गंभीर घायल हो गए हैं। हॉस्‍टल से बेदखल करने के बाद छात्रों के सामने संकट आ गया कि वह अचानक अपने घर कैसे जाएं या कहां रहें इसकी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ये समय सेमेस्टर परीक्षाओं का है और छात्र पठन-पाठन में लगे हुए हैं। ऐसे में सबसे बड़ा संकट करियर को लेकर है।'

इसी तरह दूसरे छात्र गौरव कहते हैं, 'बीएचयू में जो भी हुआ है वह सोशल मीडिया के जरिये पूरे देश ने देखा है। लगभग तीन सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी छात्रावास में घुस जातें हैं और सोते, जगते, पढ़ते, दिव्यांग छात्र जो भी मिलता है बिना देखे डंडों से सर, पैर, पीठ पर बरसाना चालू कर देते हैं। भारत के एक शीर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय में बच्चों के मानव अधिकारों को ताक पर रख देना कहां का न्याय हैं।'
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वहीं, देर रात तक बीएचयू स्थित भाभा हास्टल के छात्र को पीटने के मामले में पीड़ित की तहरीर पर गुरुवार को लंका पुलिस ने तीन नामजद सहित 15 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इंस्पेक्टर लंका भारत भूषण तिवारी ने कहा कि मामले में आनंद ठाकुर, आलोक सिंह यादव व गोपी सिंह व अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया है।

वहीं, एसपी (सिटी) दिनेश सिंह के अनुसार, पुलिस ने झड़पों में कथित संलिप्तता के लिए लगभग 15-16 लोगों को हिरासत में लिया है। आगे किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित सुरक्षा बलों का भारी बंदोबस्त किया गया है। साथ ही लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास को भी खाली कराया गया है।

इस बीच, बीएचयू प्रशासन ने मामले में जांच शुरू कर दी है। जब न्यूज़क्लिक ने प्रशासन से बात करने की कोशिश की, तो यूनिवर्सिटी प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

फिलहाल एक तरफ मरीजों को लेकर पहुंचे तीमारदारों को सिंहद्वार बंद होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है तो दूसरी तरफ हॉस्टल खाली होने के बाद दर्जनों छात्र सड़कों पर भटक रहे हैं। कई विवादों को लेकर लगातार चर्चा में रहने वाले बीएचयू का यह विवाद भी लंबा खिंचता हुआ नजर आ रहा है।

गौरतलब है कि इससे पहले हाल ही में बीएचयू में तब हंगामा मचा था, जब विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्र अपने विभाग में गैर हिंदू धर्म के शिक्षक की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे।

वहीं, बरकछा स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के राजीव गांधी दक्षिण परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का झण्डा हटाए जाने को लेकर विवाद हो गया था। इस मामले में डिप्टी चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को दी गयी तहरीर के अनुसार राजीव गांधी दक्षिण परिसर के मैदान में मंगलवार 12 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य शाखा लगाकर योगाभ्यास कर रहे थे।

इस बीच डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले वहाँ पहुंच गईं और आरएसएस का झंडा उखाड़ दिया तथा उसे लेकर चली गईं। झंडा लगाने का विरोध करते हुए डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि "ध्वज नहीं लगेगा, आप योग कर सकते हैं।"

संघ के सदस्यों ने झंडा उखाड़ने का विरोध किया और इसे झंडे का अपमान बताया तथा प्रशासनिक भवन के सामने धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी कि डिप्टी चीफ प्रॉक्टर इस्तीफा दें और उन लोगों को अगले दिन से ध्वज लगाकर योगाभ्यास करने दिया जाए। छात्रों ने डिप्टी चीफ प्रॉक्टर पर झंडे का अपमान करने के साथ ही अपने साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। मामला बढ़ते देख डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया और झंडा हटाने पर माफी मांगी।

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