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बीएचयू: प्रोफेसर के आमरण अनशन से सवालों के घेरे में कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक, मोदी की साख पर भी बट्टा

प्रोफेसर का आमरण अनशन हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित बेड को अंको सर्जरी (सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र) विभाग को दिए जाने के ख़िलाफ़ है।
BHU

पूर्वांचल के एम्स का दर्जा हासिल करने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल में भ्रष्टाचार और अहम-नियम की लड़ाई तेज हो गई है। यहां दिल के मरीजों की सुविधाओं को लेकर पिछले एक हफ्ते से आमरण अनशन पर बैठे हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता पर भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लगाते हुए उनके खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है। उनका आमरण अनशन हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित बेड को अंको सर्जरी (सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र) विभाग को दिए जाने के खिलाफ है। इस विभाग के पास बनारस में पहले से ही महामना कैंसर संस्थान और रेलवे स्थित कैंसर संस्थान मौजूद हैं। अनशन पर बैठे हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ओमशंकर को शिक्षकों, छात्रों और राजनीतिक दलों के साथ ही अब सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। प्रो.ओमशंकर का आंदोलन सिर्फ बीएचयू परिसर तक सीमित नहीं है। इनके समर्थन में पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कई स्थानों पर धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया है।

बीएचयू का सरसुंदर लाल चिकित्सालय, पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है और यहां सिर्फ पूर्वांचल ही नहीं, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड के मरीज भी इलाज कराने आते हैं। बीजेपी सरकार ने कुछ बरस पहले ही इसे एम्स का दर्जा दिया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीएचयू स्थित सुपर स्पेशियलिटी भवन में हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित वॉर्ड पर लंबे समय तक ताला बंद रहा। इस वजह से दो साल के अंदर करीब 36 हजार मरीज़ों का इलाज नहीं हो सका, क्योंकि बिस्तर नहीं थे। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में सीसीयू, कार्डियो वार्ड में दिल के मरीजों को सुविधाएं न मिलने पर प्रो. ओमशंकर ने पीएमओ, स्वास्थ्य मंत्रालय तक से चिकित्सा अधीक्षक के मनमानी की शिकायत की है। वहीं, बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो.केके गुप्ता ने सभी ओरोपों को बेबुनियाद बताया है और यहां तक कह दिया कि उनके साथ किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार प्रो. ओमशंकर होंगे।

बीएचयू के प्रोफेसर ओमशंकर का आमरण अनशन पर अब बड़ा मुद्दा बनाता जा रहा है। मुद्दा यह है कि बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग में पर्याप्त बिस्तर नहीं है। नतीजा, रोगियों को बैरंग लौटाना पड़ रहा है। हृदय विभाग के लिए आवंटित बेड को अंको सर्जरी विभाग को दे दिया गया, जिसके लिए बनारस में पहले से ही दो संस्थान मौजूद हैं। आमरण अनशन पर बैठने वाले प्रो. ओमशंकर, बीएचयू के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष हैं। वह कहते हैं, "महामारी के दौर में कोविशील्ड इंजेक्शन लगने के बाद जिस रफ्तार से दिल के मरीज बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से अस्पताल में बिस्तर नहीं हैं। हम चाहकर भी मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं। गंभीर मरीजों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। बीएचयू से लौटने वाले कई मरीजों की मौतें हो चुकी है। यह लड़ाई मेरी निजी नहीं, बल्कि जनता और उनके स्वास्थ्य के अधिकार की है। मरीज इलाज के लिए जब बीएचयू में आता हैं, उसे बेड नहीं मिलता है तो लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। यह बात हर किसी को समझनी चाहिए कि यह मेरी नहीं, जनहित की लड़ाई है।"

क्या चाहते हैं प्रो.ओमशंकर

मौजूदा समय में बीएचयू में हृदय रोगियों के लिए सिर्फ 45 बेड हैं। इन रोगियों के सस्ते इलाज के लिए प्रो. ओमशंकर सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में 41 और बेड की डिमांड कर रहे हैं। इस तरह वह 86 बेड चाहते हैं। प्रो.केके गुप्ता ने हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित सभी बेडों को आंको सर्जरी (सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र) विभाग को दे दिया है। इस मुद्दे पर प्रोफेसर ओमशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं व अफसरों को चिट्ठियां भेजी है। शिकायती-पत्र में उन्होंने कहा है, "सर सुंदरलाल हास्पिटल में हर रोज 41 हृदय रोगियों को भर्ती करने और इलाज करने से रोका जा रहा है। हृदय रोग विभाग के सेवा विस्तार के लिए सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक बनाया गया था, मगर यहां तो मरीजों को ही बेड नहीं दिया जा रहा। बेड न मिलने से तमाम हृदय रोगियों की जान खतरे में है।"

पत्र में यह भी कहा गया है, "चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने जानबूझकर हृदय रोगियों के लिए वह वार्ड आवंटित नहीं किया। प्रो. भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। वह इंस्टीट्यूट ऑफ़ एमिनेंस के नाम पर मिले धन का दुरुप्रयोग कर रहे हैं। वह इस अस्पताल को सरकारी नियम के मुताबिक नहीं, बल्कि अपने मनमाने तौर-तरीके से चला रहे हैं। वो आईएमएस के डायरेक्टर के आदेश और निर्देश भी नहीं मानते। वह अपनी मर्जी के मालिक बन गए हैं। बीएचयू प्रशासन प्रो.केके गुप्ता को शह दे रहा है। पिछले दो सालों में मैंने कुलपति एसके जैन को तमाम चिट्ठियां लिखीं, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।"

प्रो.ओमशंकर 11 मई 2024 से आमरण अनशन पर हैं। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो.एसके शंखवार ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि हृदय रोगियों के लिए बंद वार्ड का ताला तत्काल खुलेगा। उनके विभाग को बिस्तर दे दिए जाएंगे। लिखित वादा करने के बावजूद सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में सीसीयू, कार्डियो वार्ड ताला अभी तक नहीं खोला गया है। करीब दो महीने बीत जाने के बाद वह आमरण अनशन पर बैठे हैं। प्रो. ओमशंकर कहते हैं, "हमें नोटिस देकर धमकाया जा रहा है, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। हमारा विरोध गरीब मरीजों के इलाज से जुड़ा है। प्रो.केके गुप्ता पिछले तीन सालों से चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनात हैं और उनका कार्यकाल भी खत्म हो चुका है। फिर वह अपने पद पर बने हुए हैं। उनके ऊपर बेईमानी और अनियमितता के तमाम गंभीर आरोप हैं। कई मामलों में उनके ऊपर अनुशासनिक कार्रवाई की सिफ़ारिश की थी, फिर भी आज तक की एक्शन नहीं लिया गया।"

प्रो.ओमशंकर खुलेआम आरोप लगाते हुए कहते हैं, "बीएचयू में सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है। यहां भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता का कोई ओर-छोर नहीं है। कुलपति की नाकामी का आलम यह है कि पिछले दो सालों में अभी तक उन्होंने बीएचयू के संचालन के लिए बेहद जरूरी "एक्जीक्यूटिव काउंसिल" का गठन तक नहीं किया है। कुलपति का कार्यकाल खत्म होने वाला है और वे आज तक किसी भी अफसर, छात्र और कर्मचारियों से नहीं मिले। आदर्श आचार संहिता ताक पर रखकर कुलपति एसके जैन ने कई नियुक्तियां कर डाली। वह इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के नाम पर मिली धनराशि का लहगातार दुरुपयोग करते जा रहे हैं। वो बीएचयू के भ्रष्टाचारियों को ऐलानिया तौर पर संरक्षण भी दे रहे हैं।"

प्रो.ओमशंकर यहीं नहीं रुकते। वह कहते हैं, "बीएचयू के कुलपति एसके जैन ने अपने कार्यकाल के दौरान महामना के आदर्शों को मिटाया और बेचा। बीएचयू के एनआईवी को कमजोर किया। पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने बीएचयू कैंपस में जो पेड़ खुद रोपे थे, उन्हें कटवाकर बेच रहे हैं। चंदन की कई कीमती पेड़ चुपके से कटवाकर बेच दिए गए। सर सुंदर अस्पताल में मरीजों को कम खर्च पर मिलने वाले जांच केंद्र को अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता के साथ मिलकर एक निजी कंपनी प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण (पीओसीटी) के हवाले कर दिया गया। यह कंपनी गुणवत्तापूर्ण तरीके से जांचें नहीं कर रही है। बीएचयू के मरीजों को निजी जांच केंद्रों में जांचें करानी पड़ रही है और मनमाने पैसे देने पड़ रहे हैं। कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक सरकारी धन का खुलेआम दुरुपयोग कर रहे हैं। निजी फायदे के लिए वो पत्थरों के ऊपर ग्रेनाइट लगवाकर सरकारी धन की लूट करा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि सरकार बीएचयू के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच बैठाए और लूटे गए सरकारी धन की वसूली कराई जाए।"

बीएचयू में कई मर्तबा अनशन

बीएचयू में प्रोफेसर ओमशंकर ऐसे शख्स हैं जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को एम्स का दर्जा देने के लिए तीन मर्तबा आमरण अनशन कर चुके हैं। चौथी मर्तबा सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में मरीजों के लिए बिस्तर आवंटित करने की मांग को लेकर वह आमरण अनशन पर बैठे हैं। अपने अनूठे आंदोलन और ईमानदारी की अलख जगाने की वजह से उन्हें 14 महीने तक अवैतनिक निलंबन का दंश भी झेलना पड़ा था।

प्रो.ओमशंकर की मुहिम का नतीजा था कि बीएचयू में चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी। मरीजों के लिए जब सुविधाओं के विस्तार देने का वक्त आया तो आरोप है कि हृदय रोग विभाग की अनदेखी की जाने लगी। हृदय रोग विभाग के 41 बेडों पर चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता लंबे समय तक डिजिटल लॉक लगाए रहे। नतीजा अनगिनत मरीजों की जानें चली गईं। जिन हृदय रोगियों को लौटाया गया वो किस हाल में रहे होंगे समझा जा सकता है? वो या तो मौत के मुंह में समा गए होंगे (जिनकी जानें बचाई जा सकती थीं) अथवा अपना इलाज निजी अस्पतालों में कराने के बाद कंगाली व भुखमरी के दौर से गुजर रहे होंगे।"

दरअसल, चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) प्रो.केके गुप्ता और प्रो. ओमशंकर के बीच विवाद ने तब तूल पकड़ा जब सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में हृदय रोगियों के लिए बनाए गए 41 बेड को डिजिटल लॉक कर दिया गया। इसके चलते दोनों के बीच रार बढ़ गई। प्रो. ओमशंकर का आरोप है कि कई बार पत्र देने के बावजूद प्रो. गुप्ता हृदय रोगियों के बेड पर लॉक लगाए रहे। बाद में उसे अपने स्तर ही सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र को दे दिया, जबकि इस विभाग के पास पहले से ही कई पर्याप्त वार्ड मौजूद है।

बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल में सुपर स्पेश्यालिटी शताब्दी भवन है। इसी के पांचवें फ्लोर पर हृदय रोग विभाग को शिफ्ट किया गया है। इसी ब्लॉक में हृदय रोग विभाग का कैथ लैब, सीसीयू, कार्डियो वार्ड है। वार्ड बनने के बाद से यहां कैथ लैब और दूसरे वार्डों का ताला नहीं खुल पाया तो प्रो. ओमशंकर ने जून 2022 में प्रो. गुप्ता के सामने सवाल खड़ा किया। काफी जद्दोजहद के बाद कैथ लैब का ताला खुल पाया। कैथ लैब तो सुपर स्पेशियलिटी विभाग में चल रहा है, लेकिन स्टाफ की अनुपलब्धता और हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम में सीसीयू के बेड न दिखने की वजह से यहां मरीजों की भर्ती नहीं हो पाई।

ज़्यादा बेड मिले हैः प्रो. गुप्ता

प्रोफेसर ओमशंकर के आरोपों पर चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता मीडिया से कहते हैं, "नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की गाइडलाइन के मुताबिक हृदय रोग विभाग को पहले से ही अधिक बेड दिए गए हैं। एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार जनरल मेडिसीन विभाग के पास पर्याप्त बेड नहीं है। हृदय रोग विभागाध्यक्ष को कैथ लैब, सीसीयू, कार्डियो वार्ड को सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में स्थानांतरित करने के लिए पहले ही 16 अप्रैल, 28 अप्रैल, 16 जून, 27 जून 2022 को प्रशासनिक आदेश जारी किया गया था। कई अनुस्मारक पत्र भेजे गए। नर्सों के अलावा सहायक स्टाफ, जरूरी उपकरण भी ले जाने को कहा गया। इसके बाद भी विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने सीसीयू, वार्ड को शिफ्ट नहीं किया।"

प्रो. गुप्ता यह भी कहते हैं, "सभी विभागों को उपयुक्त संख्या में बेड की व्यवस्था की गई है। हृदय रोग विभाग को शताब्दी भवन के पांचवें तल पर शिफ्ट होना है। उससे पहले पुरानी बिल्डिंग में मौजूदा जगह छोड़ने होंगे। वहां पर कायाकल्प के तहत नए निर्माण होने हैं। पुराने वार्डों को खाली न किए जाने की वजह से कार्डियो वार्ड, सीसीयू में नवीनीकरण, सुदृढ़ीकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। इसकी सूचना बीएचयू प्रशासन को दी जा चुकी है।"

प्रो. केके गुप्ता के आरोपों को हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर सिरे से खारिज करते हैं। वह कहते हैं, "प्रो.केके गुप्ता निहायत झूठे इंसान हैं। एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार यदि आपके इंस्टीट्यूट में हर साल 100 एमबीबीएस स्टूडेंट का दाखिला हो रहा है, तो इस आधार पर वहां के जनरल मेडिसिन में 100 बेड होने चाहिए। बीएचयू में इस समय जनरल मेडिसीन के पास 106 बेड हैं। चिकित्सा अधीक्षक मनमानी पर उतारू हैं।"

"वह अवैध तरीके से हृदय रोग विभाग के बेड पर कब्जा करना चाहते हैं। प्रो. गुप्ता को यह अधिकार नहीं है कि वह जिसको जहां चाहे, भेज दें। दोनों भवनों के बीच काफी दूरी है। बीएचयू अस्पताल, सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक दोनों जगह हृदय रोग विभाग को आवंटित हैं। हमारी मांग है कि पांचवें तल के साथ ही पुरानी बिल्डिंग में जो पहले से एलोकेटेड वार्ड हैं, वहां के बेड भी दिए जाएं। जनरल सर्जरी और मेडिसिन को जरूरत से ज्यादा बेड दे दिया गया है।"

प्रो. ओमशंकर कई और गंभीर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं, "पीएम नरेंद्र मोदी बीएचयू में दूसरा एम्स बनाना चाहते हैं तो चिकित्सा अधीक्षक प्रो. गुप्ता मनमानी पर क्यों उतारू हैं? आखिरकार, बीएचयू को एम्स की तर्ज पर क्यों नहीं चलाया जा रहा है? प्रो. केके गुप्ता पर भ्रष्टचार के तमाम आरोप हैं। ब्लड बैंक में इनका भ्रष्टाचार जगजाहिर हो चुका है। नर्सिंग स्टाफ तक ने इनकी बदसलूकी की शिकायतें उच्चाधिकारियों से की है। मेरा कहना है कि बेड घटाने से किसी विभाग का विकास नहीं होता।"

बीएचयू में लूटा जा रहा सरकारी धन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी 2022 को बीएचयू के शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक का लोकार्पण किया था। उस समय अपनी उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा था, "बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में कुछ ही सालों में सुविधाएं लगभग दोगुनी हो गई हैं। यहां का हृदय रोग विभाग प्रदेश में सबसे अधिक सुविधाओं वाला विभाग बन गया है।"

उस समय बीएचयू के मेडिकल अस्पताल प्रशासन ने भी दावा किया था कि यहां पहले सिर्फ 40 बेड ही थे, जो बढ़कर अब 95 बेड हो गए हैं। यही नहीं यहां की कैथ लैब व एंजियोप्लास्टी की सुविधाएं भी उच्चीकृत हो गई है। पहले बेड के अभाव में कई मरीज भर्ती नहीं हो पाते थे, लेकिन यह समस्या भी अब दूर हो जाएगी।

शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक के लोकार्पण के बाद बनारस के लोगों में उम्मीद जगी थी कि उच्चीकृत कैथ लैब से एन्जियोग्राफी, कम्पलेक्स एन्जियोप्लास्टी इपी-आरएफए समेत कई सुविधाएं मिलने लगेंगी। आधुनिक कैथ लैब की सुविधा मिलने से दिल के सुराख को बंद करने के ऑपरेशन भी किए जा सकेंगे। शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक के पंचम तल पर अत्याधुनिक आपरेशन थिएटर, प्री आपरेटिव वार्ड, अडल्ट आईसीयू, नीकू, पोस्ट आपरेटिव वार्ड, डाक्टर्स, नर्सेज, रेजिडेंट, एनेस्थेटिस्ट, ओटी स्टोर रूम, सीसीयू, पेसेंट वेटिंग एरिया, कैथ लैब एक से पांच, प्री कैथ, रिकवरी, डाक्टर्स, टेक्निशियन, स्टोर, नर्सेज, रेजिडेंट ड्यूटी रूम, थाइरोसिस आइसीयू, डे केयर, रिसर्च लैब, कंसलटेंट, रिसर्च, एचओडी, सेंट्रल कंट्रोल रूम, लाइब्रेरी व माइनर ओटी की व्यवस्था है।

बीएचयू के प्रोफेसरों के बीच विवाद खड़ा होने से सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में बने सीसीयू में मरीजों को भर्ती का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है और दिल के मरीजों को बिना इलाज ही लौटाया जा रहा है। प्रो. ओमशंकर कहते हैं, "इस मामले को लेकर हमने बीएचयू के कुलपति, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री सहित तमाम लोगों को शिकायती-पत्र भेजा, लेकिन कार्रवाई की कौन कहे, जांच तक नहीं की गई। शिकायती-पत्रों पर किसी का जवाब तक नहीं आया। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है। ऐसे में शासन-प्रशासन से कोई कैसे उम्मीद करें कि उनके साथ कोई नाइंसाफी या मनमानी होती है तो उनकी बात सुनी जाएगी या नहीं? इस मुद्दे पर हमने अब आर-पार की लड़ाई का फैसला किया है।"

नामी अस्पताल की दुर्गति क्यों?

प्रो.ओमशंकर के आमरण अनशन ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। सत्तारूढ़ दल के लोग चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा खत्म हो जाए, लेकिन ऊपर से हरी झंडी नहीं मिलने की वजह से वो चुप्पी साधे हुए हैं। प्रोफेसर ओमशंकर के आमरण अनशन और भ्रष्टाचारी अफसरों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए बीएचयू के छात्र और कुछ शिक्षक लगातार आंदोदलन कर रहे हैं। लंका थाने की पुलिस की मदद से स्टूडेंट्स को धमकाया जा रहा है। आंदोलनकारी प्रोफेसर ओमशंकर को ऐसा नहीं करने के लिए कई नोटिसें जारी की गई हैं।

कुल मिलाकर इस मामले ने काफी तूल पकड़ किया है। छात्रों का आंदोलन अब बीएचयू कैंपस से बाहर निकल रहा है। राजातालाब में हाल ही अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया और सरकार से मांग उठाई कि कुलपति और भ्रष्टाचार के आरोपित चिकित्सा अधीक्षक प्रो.केके गुप्ता के हटाकर उनके खिलाफ जांच कराई जाए। साथ ही हृदय रोगियों के लिए बनाए गए वार्ड को उस विभाग के हवाले किया जाए।

पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार के लोगों के लिए यह आयुर्विज्ञान संस्थान बहुत उम्मीदों से भरा चिकित्सालय है। बड़ी संख्या में मरीज, खासकर वो जो निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा पाने में सक्षम नहीं होते हैं वो इसी अस्पताल की तरफ रुख करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार राजीव मौर्य कहते हैं, "हदय रोगियों के लिए पर्याप्त बिस्तर नहीं दिया जाना एक गंभीर और संज्ञेय अपराध है। बीएचयू के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखें तो इसके संस्थापक मदन महन मालवीय ने इस मेडिकल कालेज की स्थापना इस मकसद से की थी कि चिकित्सा शिक्षा के साथ ही यहां पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार के गरीब-गुरबों की जिंदगी आसानी से बचाई जा सकेगी।"

वरिष्ठ पत्रकार राजीव कहते हैं, "मालवीय जी ने अपनी परिकल्पना के तहत ही यहां देश भर से योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति कराई थी। लंबे अरसे तक यह मेडिकल कालेज उनके सपनों को साकार करता रहा। पहले गंभीर रोगी यहां इलाज के लिए आते थे और चंगा होकर जाते थे। करीब तीन दशकों से इस बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में मरीजों के चिकित्सा की सुविधा कौन कहे, उनके सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा किया जा रहा है। इसके खिलाफ अक्सर आमजनों के बीच से आवाज उठती रही है, लेकिन पहला मौका है जब अस्पताल एक जाना-माना चिकित्सक पूरी हिम्मत और हौसले के साथ खुलकर न सिर्फ बोल रहा है, बल्कि अब आमरण अनशन पर भी बैठ गया है।"

"हैरत इस बात की है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल को एम्स का दर्जा हासिल है, लेकिन सरकार और यहां का चिकित्सकीय प्रशासन इस कदर असंवेदनशील है कि इलाज के नाम पर दुर्व्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेईमानी की तरफ से न सिर्फ आंखें मूदे हैं, बल्कि उसमें भागीदार बन गए हैं। पूर्वांचल के जाने-माने चिकित्सक प्रो. ओमशंकर की आवाज नक्कारखाने में तूती बनकर रह जा रही है। जरूरत इस बात की है कि टैक्स पेयर के पैसे चल रहे इस संस्थान की ओवरहालिंग की जाए और बेईमान लोगों को हटाया जाए, तभी शायद महामना मदन मोहन मालवीय जी का मकसद और उनका सपना पूरा होगा।"

(बनारस स्थित लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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