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बदायूं मामला: "हाथरस मॉडल" का योगी सरकार ने किया दुहराव, दुष्कर्म को हादसा बताने की कोशिश!

परिजनों के मुताबिक महिला की लाश करीब 18 घंटे घर में पड़ी रही और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि आरोपियों के ही सुर में सुर मिलाती रही और घटना को हादसा बताते हुए पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी रही।
बदायूं मामला
Image courtesy: Twitter

बीते साल उत्तर प्रदेश के हाथरस मामले ने लोगों को अंदर तक झकझोंर दिया था। अब महज़ कुछ महीने बाद ही बदायूं से दरिंदगी की हदें पार करने वाली खबर सामने आई है। यहां भी पुलिस प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लग रहा है, सामूहिक दुष्कर्म को हादसा बताने की कोशिशें की जा रही है, पीड़ित को प्रताड़ित करने जैसी बातें सामने आ रही हैं।

गुरुवार, 7 जनवरी को राष्‍ट्रीय महिला आयोग की सदस्‍य चंद्रमुखी देवी ने पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। साथ ही एसएसपी के साथ बैठक कर पूरे मामले की जानकारी ली। उन्होंने दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शे न जाने की बात कही।

विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार

इस बर्बर वारदात को लेकर विपक्षी दलों ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर खस्ता कानून व्यवस्था को लेकर घेरने की कोशिश है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की नीयत में खोट बता दिया। तो वहीं बसपा ने गैंगरेप के दोषियों को कड़ी सजा दिलाए जाने की मांग की है।

प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, “हाथरस में सरकारी अमले ने शुरुआत में फरियादी की नहीं सुनी थी, सरकार ने अफसरों को बचाया और पीड़ितों की आवाज को दबाया। बदायूं में भी थानेदार ने फरियादी की नहीं सुनी। घटनास्थल का मुआयना तक नहीं किया। महिला सुरक्षा पर यूपी सरकार की नीयत में ही खोट है।”

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर इस घटना पर चिंता जताई और दोषियों को सजा देने की मांग की।

उन्होंने कहा,“उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक महिला के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की घटना अति-दुःखद व अति-निन्दनीय। राज्य सरकार इस घटना को गंभीरता से ले व दोषियों को सख्त सजा दिलाना भी सुनिश्चित करे ताकि ऐसी घटना की पुनरावृति न हो, बीएसपी की यह मांग।”

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग करते हुए कहा कि बदायूं में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद हैवानियत और दरिंदगी का जो वीभत्स रूप पोस्टमार्टम में सामने आया है वो दिल दहलाने वाला है। उन्होंने आगे कहा भाजपा सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश न करे और मृका व उसके परिवार को पूर्ण न्याय मिले। भाजपा सरकार का कुशासन अपराधियों की ढाल न बने।

प्रदेश में महिला सुरक्षा का बुरा हाल

गौरतलब है कि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता बताने वाली बीजेपी की योगी सरकार में आधी आबादी के खिलाफ अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों एक के बाद एक बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने रामराज पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की बीते इस साल आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018में कु 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%।

इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 4,322 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 1 रेप केस दर्ज हुए। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

सत्ता पक्ष के नेता खुलेआम आरोपियों का मनोबल बढ़ाते हैं!

‘लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगा' कहने वाले सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन तमाम घटनाओं के चलते कानून व्यवस्था के नाम पर नाकामी का आरोप झेल रहे हैं।

जानकारों के अनुसार प्रदेश में पुलिस प्रशासन का खौफ़ नहीं है। अपराधी लॉ एंड ऑर्डर की खुले-आम धज्जियां उड़ा रहे हैं और सरकार इसे बाहरी साजिश के नाम पर लीपा-पोती करने में लगी है। आए दिन सामने आ रही आपराधिक घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही तो वहीं दबंगों में क़ानून का भय न के बराबर है। कई मामलों में तो सत्ता पक्ष के नेता खुलेआम आरोपियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं, जिससे उनका मनोबल और बढ़ता है। ऐसे में यह कहना बड़ा मुश्किल है कि अपराधियों में क़ानून का भय है।

बदायूं के इस मामले की तुलना सोशल मीडिया पर 2012 में हुए निर्भया कांड से भी की जा रही है। तो वहीं राज्य में एक के बाद महिलाओं के साथ हो रही ऐसी घटनाएं सिस्टम पर कई सवाल तो खड़े कर ही रही है, साथ ही योगी सरकार के ‘बेहतर लॉ एंड ऑर्डर’ की धज्जियां भी उड़ा रही हैं।

हालांकि इस मामले में यूपी पुलिस ने दो अभियुक्तों को गिरफ़्तार करने का दावा किया है लेकिन ‘सदैव तत्पर’ रहने वाली यूपी पुलिस की गिरफ्त से अभी भी मुख्य आरोपी मंदिर का पुजारी बाहर है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक घटना बदायूं जिले के उघैती थानाक्षेत्र की है। यहां रविवार, 3 जनवरी की शाम एक 50 साल की महिला, जो आंगनबाड़ी सहायिका थीं, मंदिर में पूजा करने गई थीं, लेकिन काफ़ी देर होने के बावजूद घर वापस नहीं आईं, तो घर के लोग परेशान हो गए।

महिला के बेटे ने मीडिया को बताया, “मेरी मां 3 जनवरी की शाम को मंदिर में पूजा करने गई थीं। काफी देर बाद मंदिर के महंत अपने साथियों के साथ एक गाड़ी में आए। उन्होंने हमें आवाज़ लगाई और कहा कि मेरी मां कुएं में गिर गई थीं। उनकी मौत हो चुकी थी। महंत मेरी मां का शरीर दरवाज़े पर रखकर भाग गया। मेरी मां का शरीर खून से लथपथ था।”

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में महिला के प्राइवेट पार्ट में रॉड जैसी चीज डालने की पुष्टि हुई है। महिला के शरीर पर चोट के गंभीर निशान भी मिले हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पसली, पैर और फेफड़े भी क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि हुई है।

जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर यशपाल सिंह का कहना है कि महिला की मौत सदमे और अत्यधिक रक्तस्रव की वजह से हुई है।

पुलिस पर गंभीर लापरवाही के आरोप

बताया जा रहा है कि दो दिन तक आरोपी गांव में ही मौजूद थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेना भी ठीक नहीं समझा। सवाल उठने के बाद तीन में से दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य आरोपी महंत सत्यनारायण फरार है। लापरवाही बरतने पर थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप को सस्पेंड कर दिया गया है।

पीड़िता के बेटे ने ये भी आरोप लगाया कि जब परिवार पुलिस में मंदिर के महंत के खिलाफ शिकायत करने गया तो पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। महिला के परिजनों का आरोप है कि पुलिस पहले तो उन्हें टरकाती रही, और कुएं में गिरने को ही मौत की वजह बताती रही। दो दिन तक शव का पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया। जब यह मामला मीडिया में उछला, तब कहीं जाकर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उसके बाद 5 जनवरी को पोस्टमॉर्टम कराया गया, जिसमें बलात्कार और शरीर पर गंभीर चोटों की पुष्टि हुई।

पुलिस का क्या कहना है?

बहरहाल बदायूं गैंगरेप-हत्या के मामले में फरार मुख्य आरोपी पर 50 हज़ार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है उसकी तलाश में 4 टीमों को तैनात किया गया है। डीएम की कहना है कि सभी आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया जाएगा। वहीं मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी।

बदायूं के एसएसपी संकल्प शर्मा ने मीडिया को बताया, “हमें इस घटना की जानकारी 5 जनवरी को मिली। पीड़िता के परिजनों ने तीन लोगों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप लगाया है। तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (डी) और 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पोस्टमॉर्टम में बलात्कार और चोट की पुष्टि हुई है। फिलहाल दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य आरोपी को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”

महिला आयोग ने लिया संज्ञान

राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने बदायूं गैगरेप केस सामने आने के बाद तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा आयोग के एक सदस्‍य के बदायूं जाने के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आयोग इस मामले में कार्रवाई ठीक से हुई है या नहीं इस पर नज़र रखेगा।

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