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बनारसः महंगाई व बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ लामबंद हुए वामदल, लाल झंडे के साथ उमड़ा जनसमूह

''डबल इंजन की सरकार जनविरोधी है। जनता के जीवन-जीविका पर यह सरकार जबर्दस्त हमला बोल रही है। इसे को सिर्फ सत्ता चाहिए। इंसान की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है।''
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आसमान छू रही महंगाई और भीषण बेरोजगारी के मुद्दे पर वामदलों ने बनारस में जबर्दस्त जन-सम्मेलन आयोजित कर डबल इंजन की सरकार को हैरत डाल दिया। पूर्वांचल में अब से पहले वामदलों को कमतर आंका जाता था, लेकिन लेकिन जन-सम्मेलन में उमड़े अपार जनसमूह ने यह साबित कर दिया कि आम जनता में बीजेपी सरकार की जन-विरोधी नीतियों से गुस्सा है। यही वजह रही कि भीषण गर्मी के बाद भी बड़ी संख्या में लोग लाल झंडे के बैनरतले जुटे और आसमान छू रही महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे पर डबल इंजन की सरकार पर जोरदार हमला बोला।

जन-सम्मेलन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उत्तर प्रदेश के महासचिव डॉ हीरालाल ने डबल इंजन की सरकार पर तीखे प्रहार किए और सवाल किया, ''भीषण महंगाई का दंश झेल रहा आम आदमी आखिर अपना घर कैसे चला सकता है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में संयुक्त रूप से वाम दलों के जन-सम्मेलन में शामिल होने के लिए बनारस के आंचलिक इलाकों के अलावा चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर समेत आसपास जिलों से बड़ी तादाद में किसान-मजदूर और कार्यकर्ता पहुंचे। जनवादी संगठनों के लाल झंडों से बनारस का शास्त्री घाट पट गया था। वामदलों की एकजुटता और लालझंडा लेकर पहुंचे लोगों के हुजूम को देख सियासी दलों के लोग हैरान रह गए। इस सम्मेलन को कामयाब बनाने के लिए एक पखवारा पहले से ही प्रचार शुरू कर दिया गया था। गांव-गांव पर्चे बांटे गए, बैठकें आयोजित की गईं और महंगाई व बेरोजगारी समेत देश के ज्वलंत मुद्दों से आम जनता को रूबरू कराया गया। इन्हीं कोशिशों का नतीजा रहा कि शास्त्री घाट लाल झंडों से पट गया और सभी विपक्षी अवाक रह गए।

वाराणसी के कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर वामपंथी दलों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए सुबह से ही किसानों-मजदूरों और कार्यकर्ताओं का जमघट लगना शुरू हो गया। वाहनों पर लाल झंडा लकाकर बड़ी संख्या में लोग भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। सम्मेलन में सीपीआई, सीपीआई-एम के अलावा सीपीआई एमएल के लोग शामिल हुए। जन-सम्मेलन में उपस्थित महिलाओं का नेतृत्व जनवादी महिला समिति की वरिष्ठ नेता लालमनी प्रजापति कर रही थीं।

सम्मेलन स्थल पर पहुंचे किसानों-मजदूरों और सांगठनिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीपीआई-एम प्रदेश महासचिव डॉ हीरालाल ने कहा, ''डबल इंजन की सरकार जनविरोधी है। जनता के जीवन-जीविका पर यह सरकार जबर्दस्त हमला बोल रही है। इसे को सिर्फ सत्ता चाहिए। इनसान की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है। साल 2014 में महंगाई, बेरोजगारी कम करने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने महंगाई को आसमान पर चढ़ा दिया और बेरोजगारी को भयानक स्थिति में पहुंचा दिया। यह पहली सरकार है जिसने दूध, दही, आटा, चावल पर टैक्स लगाया है। चुनाव से पहले वह डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस का दाम कम रखती है और जीतने के बाद गरीबों को तंग करना शुरू कर देती है।''

जनता की आय घटी, अडानी की 46 गुना बढ़ गई

महासचिव डॉ. हीरालाल ने यह भी कहा, ''भारतीय संविधान और लोकतंत्र दोनों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। आम आदमी की आमदनी दोगुनी होने के बजाय घट गई, लेकिन भाजपा नेताओं की नाक के बाल बने अडानी की आमदनी 46 गुना बढ़ गई। उत्तरी राज्यों के अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र का तेजी सांप्रदायीकरण किया जा रहा है। भविष्य में उसके नतीजे बेहद गंभीर होंगे। सांप्रदायिक एजेंडे से सीधे मुकाबला करना होगा। इस मुहिम को राजनीतिक, वैचारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और संगठनात्मक रूप से ताकत देनी होगी। यह बेहद शर्मनाक बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी की चिंता महंगाई और बेरोजगारी थामने की नहीं है। किसानों की बढ़ती आत्महत्या, बढ़ती गरीबी या पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में रोजाना मनमानी बढ़ोतरी इस सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखते। जनता को रोटी देने ते बजाए इस सरकार के विमर्श का केंद्र ज्ञानवापी है। भाजपा सरकार देश में सांप्रदायिक एजेंडा चला रही है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सभी कोशिशों का हर स्तर पर मुकाबला करना होगा। गरीबों, किसानों, मजदूरों का शोषण करती है। इस सरकार को उखाड़ फेंकने की जरूरत है। इन्हें पराजित करना आज की सबसे बड़ी मांग है।''

सीपीआई के प्रदेश महासचिव डॉ. गिरीश शर्मा ने सरकार की दमनकारी नीतियों पर प्रहार करते हुए कहा, ''बीजेपी और आरएसएस के लोग देश को बांटते हैं और जान बूझकर लोगों में भय पैदा करते हैं। योगी सरकार का बुलडोजर सिर्फ गरीबों और अल्पसंख्यकों पर चलाया जा रहा है। आखिर इस डर और नफरत का फायदा किसको मिल रहा है? एयरपोर्ट, पोर्ट, सड़क, सेल फोन, तेल सब कुछ अडानी-अंबानी के हाथ में सौंपा जा रहा है। संसद में बीजेपी बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर विपक्ष के सांसदों को क्यों बोलने नहीं देती? ''

''दबंग और भाजपा समर्थक माफिया-गुंडे सुरक्षित हैं। भाजपा सरकार इन्हें विधिवत संरक्षण दे रही है। देश की ज्यूडिशरी, चुनाव आयोग दबाव में है। सब पर ये सरकार हमला कर रही है। मीडिया और अखबार पर भी पूंजीपतियों का नियंत्रण है। इन्हीं पूंजीपतियों का हित साधने के लिए किसानों के लिए काला कानून लाया गया। नोटबंदी के पैसों से देश के उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया गया। मीडिया के समर्थन के बिना पीएम मोदी कभी प्रधानमंत्री नहीं हो सकते। पूरी सत्ता दो उद्योगपतियों के हाथ में है। सरकार सारा काम उद्योगपतियों के इशारे पर करती है। बीजेपी की सरकार ने 23 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेल दिया है। आज भारत का हर नागरिक मुश्किल में है। जीएसटी ने छोटे कारोबारियों को मिटाना शुरू कर दिया है। अगर हम आज खड़े नहीं हुए तो देश नहीं बचेगा। भाजपा की मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और साल 2024 के चुनाव में जनता जरूर सबक सिखाएगी।''

नफ़रत बढ़ा रही बीजेपी

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तानाशाह बताया और कहा, ''बीजेपी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से देश में नफरत और विरोध बढता जा रहा है। ज्ञानवापी को लेकर सिर्फ बनारस ही नहीं, देश भर में नफरत फैलाई जा रही है। बीजेपी को पता है कि नफरत से लोग बंटते हैं। देश बंटता हैं, फिर भी वह देश को सांप्रदायिकता के कुएं में धकेल रही है। महंगाई, बेरोजगारी का डर बढ़ता जा रहा है। गौर करने की बात है कि इस डर और नफरत का फायदा देश के गरीब को मिल रहा है? मोदी सरकार ने आज तक किसको फायदा पहुंचाया। मोदी के नोटबंदी से क्या कालाधन देश में लौटा? क्या इसका फायदा गरीबों को मिला? किसानों और गरीबों के कर्ज भले ही माफ नहीं किए गए, लेकिन उद्योगपतियों के खरबों के कर्ज जरूर माफ कर दिए गए। यह सरकार योजनाबद्ध तरीके से गरीबों को उजाड़ रही है। कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं के साथ अपराधियों की तरह सलूक किया जा रहा है। वामपंथी ताकतें इसका समुचित जवाब देंगी।''

माकपा के वरिष्ठ नेता नंदलाल पटेल ने भी महंगाई से छटपटा रही जनता की मुश्किलों को रेखांकित करते हुए भाजपा सरकार पर हमला बोला। कहा, ''आम जनता महंगाई से परेशान है। गरीबों को परिवार पालना मुश्किल हो गया है। आम आदमी अपनी जरूरतों की चीजें नहीं खरीद पा रहा है। इसके बावजूद बीजेपी सरकार को जनता की तकलीफ नहीं दिखती। लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, लेकिन उन्हें जनता की तकलीफ सुननी पड़ेगी।''

जन-सम्मेलन में देवाशीष, मिठाई लाल, शंभूनाथ यादव, गुलाबचंद, विजय बहादुर सिंह, श्याम लाल पटेल, शिव बहादुर पटेल, जय शंकर पांडे, अरविंद राज स्वरूप, अनिल कुमार सिंह, रामजन्म यादव ने कहा कि दूध, दही, आंटा, चावल आदि रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाली चीजों पर जीएसएसी लगाकर महंगाई और बढ़ा दी गई है। वामपंथी दल, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई एमएल और लोकतांत्रिक जनता दल लोकतंत्र और संविधान पर लगातार हो रहे हमलों को रोकने की मांग उठा रहे हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं के अलावा वंचित समाज के लोगों पर चौतरफा हमले हो रहे हैं। सांप्रदायिकता फैलाकर भाईचारा और हमारी एकता को खंडित किया जा रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन सीपीएम के जिला मंत्री नंदलाल पटेल, सीपीआई के जिला मंत्री जयशंकर सिंह और सीपीआई एमएल के जिला मंत्री अमरनाथ राजभर ने संयुक्त रूप से किया। सीपीएम, सीपीआई और माले के कई वरिष्ठ नेताओं ने जन-सम्मेलन में भागीदारी निभाई।

पीएम को को भेजा न्याय-पत्र

जन-सम्मलेन में 19 मुद्दों पर एक विस्तृत न्याय-पत्र तैयार कर वाराणसी प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि महंगाई और मूल्यवृद्धि पर तत्काल अंकुश लगाया जाए। बेरोजगारों को काम दिया जाए और सरकारी दफ्तरों में खाली पदों पर भर्तियां शीघ्र की जाएं। देश में जाति आधारित जनगणना कराई जाए। साथ ही साल 2011 में हुई जानगणना के सभी आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। लोकतंत्र व संविधान पर लगातार किए जा रहे हमले और सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों का दमन बंद किए जाएं। नफरत और विभाजन की राजनीति के तहत जाति व मजहब आधारित भेदभाव और मुसलमानों, दलितों और महिलाओं पर हमले रोके जाएं। बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण रोका जाए। हर किसी को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएं। सीएचसी, पीएचसी को निजी हाथों के हवाले करने के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए। शिक्षा के लिए पर्याप्त बजट दिया जाए। साथ ही शिक्षा का सांप्रदायिकरण और केंद्रीकरण तत्काल बंद किया जाए।

जन-सम्मेलन में वादा निभाओ का मुद्दा उठा। मांग की गई कि किसानों और खेत मजदूरों को तीन सौ यूनिट बिजली मुफ़्त दी जाए। किसानों के नलकूपों पर मीटर लगाकर उन्हें आर्थिक रूप से परेशान न किया जाए। खाद, बीज, कीटनाशक आदि कृषि उपयोगी सामान सस्ते किए जाएं। वृद्ध किसानों और मजदूरों को कम से कम छह हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाए। ग्रामीण बेरोजगारी कम करने के लिए मनरेगा का बजट बढ़ाया जाए। कम से कम दो सौ दिन काम और छह सौ रुपये रोजाना मजदूरी दी जाए। साथ ही बकाया मजदूरी का शीघ्र भुगतान किया जाए। सभी मजदूरों को 21,000 रुपये न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाए। महिला हिंसा रोकी जाए और इनके मामलों में समयबद्ध एक्शन लिया जाए। स्मार्ट सिटी और नगर विकास के नाम पर शहरी गरीबों, ठेला-पटरी आदि व्यवसायियों का विस्थापन रोका जाए। जनहित में जरूरी विस्थापन की स्थित में उनके पुनर्वास और आजीविका की व्यवस्था की जाए।

सरकार से यह भी मांग की गई कि आदिवासियों और जंगलों में रहने वाले लोगों को बेदखल करना बंद किया जाए। वनाधिकार कानून को ठीक से लागू किया जाए। कोल, खरवार, मुसहर आदि जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। कानून व्यवस्था ठीक की जाए और पुलिस का जंगलराज राज खत्म किया जाए। अन्यायपूर्ण बुलडोजर नीति रोकी जाए। आपसी भाईचारा और सद्भाव को खतरा पहुंचा रहे कट्टरपंथी और सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। सरकारी विभागों में व्याप्त बेतहाशा भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाए। तबादलों, नियुक्तियों और सरकारी खरीद व निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और घोटालों की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए। साथ ही दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। विधायक निधि में हाल में की गई दो करोड़ की बढ़ोतरी वापस ली जाए और इस धनराशि को समाज कल्याण की योजनाओं में खर्च किया जाए। प्रदेश को सूखा राहत सूखाग्रस्त घोषित किया जाए। भूमिहीनों और खेत मजदूरों को आवास और कृषि भूमि मुहैया कराई जाए।

(बनारस स्थित लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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