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कोरेगांव-भीमा मामला: नवलखा की याचिका की सुनवाई से अलग हुए न्यायमूर्ति भट्ट

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने भी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। अब तक कुल पांच जजों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है।
supreme court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के एक और न्यायाधीश रवीन्द्र भट्ट ने गुरुवार को कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद का अलग कर लिया। गौतम नवलखा ने इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार करने संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दे रखी है।

इससे पहले, 30 सितंबर को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और इसके बाद एक अक्टूबर को न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति बी आर गवई ने नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। अब तक कुल पांच जजों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है।

नवलखा की याचिका बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी। यह मामला पेश होते ही न्यायमूर्ति भट्ट ने इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

पीठ को जब नवलखा के वकील ने यह सूचित किया कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दिये गये तीन सप्ताह के संरक्षण की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो रही है तो पीठ ने कहा कि इस मामले में शुक्रवार को नयी पीठ विचार करेगी।

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये।

उच्च न्यायालय ने 2017 के कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में जनवरी, 2018 में गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था।
 
इस मामले में नवलखा के साथ ही वरवरा राव, अरुण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी हैं।

पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के बाद एक दिसंबर को कोरेगांव-भीमा में हुई कथित हिंसा के मामले में जनवरी, 2018 को प्राथमिकी दर्ज की थी।

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