फ़ारस की खाड़ी में बाइडेन की नीति
सऊदी अरब से अमेरिकी सेना की छंटनी के शुरुआती संकेत पिछले दो-तीन हफ्तों में उठाए गए कई कदमों के जरिए सामने आए हैं। इसके समानांतर ट्रैक पर, जोए बाइडेन प्रशासन इस बात पर भी खास ध्यान दे रहा है कि नई ईरानी सरकार परमाणु मुद्दों वियना में होने वाली बातचीत के लिए वापस लौट आए।
कल्पनीय कहिए या सोचने योग्य बात लेकिन भविष्य में अमेरिका-ईरान तनावों यह कमी का कारण बन सकता है, कम से कम इस बिंदु पर अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, परस्पर हस्तक्षेप की भविष्यवाणी की जा सकती है।
निस्संदेह, बाइडेन प्रशासन ने ईरान का मुकाबला करने और यमन के हौथी विद्रोहियों के हवाई हमलों का सामना करने के लिए सऊदी अरब में तैनात सबसे उन्नत अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली और पैट्रियट बैटरी को हटाकर पश्चिम एशिया में अपनी क्षेत्रीय रणनीतियों में एक बड़ा बदलाव किया है।
रियाद ने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन द्वारा राज्य की एक निर्धारित यात्रा को अचानक रद्द करने पर अपनी नाराजगी पहले ही जता दी थी।
पेंटागन ने कारण के रूप में बैठक की "शेड्यूलिंग से जुड़े मुद्दों" का हवाला दिया था, लेकिन बैठक स्थगित करने के पीछे असली माज्रा ये है कि ऑस्टिन पहले से ही कतर, बहरीन और कुवैत का दौरा कर रहे थे और उन्होने सऊदी की यात्रा रद्द कर दी थी।
ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए ने सऊदी अरब में अमेरिकी निर्णयों पर खास खास ध्यान केन्द्रित किया है। रविवार को एक आईआरएनए कमेंट्री का शीर्षक था कि क्या अमेरिका सऊदी अरब से 20 हज़ार सैनिकों को वापस लेने का इरादा रखता है?
इस बीच, यह एक दिलचस्प संयोग ही था कि बाइडेन प्रशासन ने शुक्रवार को 16-पृष्ठ की संघीय जांच ब्यूरो (FBI) की रिपोर्ट को 9/11 के अपहर्ताओं को अमेरिका में रहने वाले सऊदी नागरिकों से जोड़ दिया था। एनपीआर ने निम्न टिप्पणी की है:
"आंशिक रूप से संशोधित रिपोर्ट विशेष रूप से दो सउदी व्यक्तियों के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाती है - विशेष रूप से एक राजनयिक स्थिति वाले व्यक्ति - और कुछ अपहर्ताओं के बीच यह संबंध दिखाती है... जबकि आयोग बड़े पैमाने पर सऊदी व्यक्तियों से अपहर्ताओं को जोड़ने में असमर्थ रहा था, एफबीआई दस्तावेज़ कई किस्म के कनेक्शन और फोन कॉल का वर्णन करता है।"
हालांकि एफबीआई दस्तावेज़ 9/11 के अपहर्ताओं और सऊदी अरब सरकार के बीच कोई सीधा संबंध नहीं दर्शाता है, बल्कि यह उस दिशा में तर्कों को पेश करता है जो आज की तारीख तक एकत्रित सार्वजनिक साक्ष्य के आधार पर एक ख़ाका प्रदान करता है जिसके तहत अमेरिका के अंदर संचालित अल-कायदा और सऊदी सरकार के बीच सक्रिय समर्थन को दर्शाता है।
दिलचस्प बात यह है कि ईरानी मीडिया के अत्यधिक प्रभावशाली वर्गों ने यह भी बताया है कि हाल के हफ्तों में अमेरिका ने सीरिया में कुल 13 अमेरिकी सैन्य ठिकानों में से तीन को खाली कर दिया है।
बेशक, ये शुरुआती दिन हैं, यदि सेना की वापसी जारी रहती है, तो इससे मुख्य रूप से सीरियाई कुर्दों को नुकसान होगा, साथ ही क्षेत्रीय राज्यों को भी सीरिया में नई वास्तविकताओं को समायोजित करने के लिए कहा जाएगा।
तेहरान बढ़ते घटनाक्रम को करीब से देख रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो इस जटिल क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के खिलाफ, राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की नई सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी [आईएईए] को नटांज में खुद की परमाणु साइट पर निगरानी उपकरणों की अतिदेय सर्विसिंग पर विवाद को हल करने में उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है।
आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी की यात्रा के बाद रविवार को तेहरान में जारी संयुक्त बयान में कहा गया है: "आईएईए के निरीक्षकों द्वारा पहचाने गए उपकरणों की सर्विस करने और उनके भंडारण मीडिया को बदलने की अनुमति दे दी गई है जिसे इस्लामिक गणराज्य ईरान में संयुक्त आईएईए और एईओआई के तहत रखा जाएगा। जिस तरह से दोनों पक्षों ने समय के हिसाब से सहमति जताई है।"
यह एक छोटा सा कदम लग सकता है, लेकिन इस सप्ताह आईएईए के 35-राष्ट्रों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में इस विवाद को बढ़ाने की धमकी दी गई थी, जिस पर पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र के प्रहरी आईएईए को रोकने के लिए ईरान की आलोचना करने के लिए प्रस्ताव लाने की धमकी दे रहे थे। (तेहरान में ग्रॉसी की सार्वजनिक टिप्पणियों का उत्साहपूर्ण स्वर खुद में स्पष्ट था।)
वास्तव में, इसका एक गहरा अर्थ भी है, न केवल यह रायसी द्वारा लिया गया पहला प्रमुख परमाणु नीति निर्णय है बल्कि एक रचनात्मक दृष्टिकोण भी व्यक्त करता है। तेहरान वास्तव में वियना में परमाणु वार्ता के सातवें दौर में देरी से हो रही वार्ता की तैयारी कर रहा है।
जो बात इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है वह यह है कि रूस ईरान से इस दिशा में आगे बढ़ने का आग्रह करने में अमेरिका के साथ समन्वय कर रहा है। उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने गुरुवार को मास्को में कहा कि वियना में वार्ता फिर से शुरू करने के तरीकों पर बातचीत करने के लिए 8-9 सितंबर को ईरान पर अमेरिका के विशेष दूत रॉबर्ट मैले के साथ चर्चा की गई। उन्होंने कहा,
"महत्वपूर्ण बात यह है कि हम वार्ता में आगे बढ़ने की जरूरत पर अमेरिकियों के साथ एक समझ साझा करते हैं, जिसे उस बिंदु से फिर से शुरू करने की जरूरत है जहां जून में दोनों पक्षों ने छोड़ दिया था, जब वार्ता अचानक बाधित हो गई थी।"
रूस निश्चित रूप से परमाणु वार्ता पर नज़र रखने के लिए अधिक मशक़्क़त कर रहा है। रूस ने रायसी सरकार को एक महत्वपूर्ण उपहार देने के लिए बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र और कुछ अन्य परियोजनाओं के विकास के लिए ईरान को 5 अरब डॉलर का ऋण आवंटित किया है।
दिलचस्प बात यह है कि इन परियोजनाओं में इंचेबोरोन-ज़ाहेदान रेलवे का विकास भी शामिल है, जिसके जरिए रूसी रेलवे ग्रिड को बंदर अब्बास और चाबहार के ईरानी बंदरगाहों से जोड़ने की उम्मीद है।
निस्संदेह, रूस ईरान की योजना को फारस की खाड़ी, अफ्रीका और दक्षिण एशिया, अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया और यूरेशिया के बीच क्षेत्रीय संपर्क के रूप में एक केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर रहा है।
यह एक यथार्थवादी अनुमान यह है कि मास्को ईरान के खिलाफ प्रतिबंध हटाने की उम्मीद में रूसी-ईरानी आर्थिक सहयोग की प्रणाली को उन्नत करने की प्रक्रिया में है। राष्ट्रपति पुतिन न तो पश्चिम एशिया के नए दरोगा बनने की आकांक्षा रखते हैं और न ही वे किसी किस्म की भव्यता में लिप्त होंगे, लेकिन मॉस्को यह भी नोटिस करने में विफल नहीं होगा कि सऊदी अरब से अमेरिकी सेना की छंटनी या वापसी और यूएस-ईरान परमाणु समझौता संभावित रूप से रूसी हितों को आगे बढ़ाने के लिए नए रास्ते खोल सकते हैं।
इस प्रकार, जबकि 24 अगस्त को मास्को में रूसी-सऊदी सैन्य सहयोग पर हुए नए समझौते को देखने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि रियाद, अमेरिका पर अपनी लंबे समय से चली आ रही निर्भरता पर ध्यान हटा कर अपने रक्षा संबंधों में विविधता लाने की इच्छा का संकेत दे रहा है, बिना किसी सवाल के, यह क्रेमलिन और सऊदी के बढ़ते संबंधों का संकेत भी है।
समझौते पर सऊदी उप-रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने हस्ताक्षर किए, जो शक्तिशाली क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के छोटे भाई भी हैं।
'अफ़ग़ानिस्तान में घटी घटनाओं के बाद’ पिछले कुछ हफ्तों में लगातार घटी घटनाओं को यदि एक साथ मिलाकर देखें तो खाड़ी क्षेत्र के माध्यम से बदलाव की हवा बहने का अनुमान लगाया जा सकता है।
ऐसा लगता है कि बाइडेन की नीति/सिद्धांत ड्राइंग बोर्ड से दूर है, जिसकी प्रमुख विशेषता महत्वपूर्ण अमेरिकी राष्ट्रीय हितों पर ध्यान केंद्रित करना है।
मूल रूप से, तथाकथित ग्रेटर मध्य पूर्व में जो पैटर्न उभर रहा है, वह यह है कि अमेरिका दुनिया में एक नए स्थान की तलाश कर रहा है और इसलिए वह किसी भी क्षेत्र में खुले संघर्षों में नहीं फंसना चाहता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो परमाणु मुद्दे पर अमेरिका-ईरानी समझौते के निष्कर्ष की संभावनाओं के अलावा, रणनीतिक विकल्पों का एक पूरा का पुरा स्पेक्ट्रम आसमान पर दिखाई दे रहा है।
तेहरान से मिली रिपोर्टों से पता चलता है कि नए विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए इस महीने के अंत में न्यूयॉर्क जाने की योजना बनाई है। परंपरागत रूप से, यह एक ऐसा अवसर होता है जब ईरान की कूटनीति सभी दांव खेलती है।
अमेरिकी अधिकारियों के लिए अमीर-अब्दुल्लाहियन कोई अजनबी नहीं है। वह एक अनुभवी राजनयिक हैं जिन्होंने 2005-2016 तक विदेश मंत्रालय में काम किया था। उन्होंने 2007 में बगदाद में अमेरिका के साथ वार्ता में भाग लिया था, जिसके कारण वह क्षण उन दुर्लभ क्षणों में से एक था जब दोनों पक्ष हितों के आपसी मिलन के आधार पर इराक में सामान्य आधार पर और व्यावहारिक कामकाजी संबंध विकसित कर सकते थे।
एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।
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