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बिहार होली के दौरान 32 लोगों की मौत: परिजनों ने ज़हरीली शराब को बताया कारण, प्रशासन ने कहा बीमारी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों के परिजन मौत की वजह ज़हरीली शराब बता रहे हैं जबकि प्रशासन ने इसकी वजह बीमारी बताई है।
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'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

बिहार में होली के दौरान दो दिनों में तीन जिलों भागलपुर, बांका और मधेपुरा में 32 लोगों की मौत का मामला सामने आया है। भागलपुर जिले में मृतकों की संख्या 17 बताई गई है जबकि बांका में मृतकों की संख्या दो दिनों में 12 पहुंच गई है, वहीं मधेपुरा में 3 लोगों की मौत हुई है। कई लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों के परिजन मौत की वजह जहरीली शराब बता रहे हैं जबकि प्रशासन ने इसकी वजह बीमारी बताई है और इस संबंध में जांच की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इस घटना के बाद विपक्षी पार्टियों ने नीतीश सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को राज्य सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि इन लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से नहीं बल्कि बीमारी से हुई है। राज्य सरकार की तरफ से किए गए इस दावे का आधार प्रशासन की रिपोर्ट है। भागलपुर के डीएम, एसएसपी और बांका के डीएम-एसपी ने एक ज्वाइंट रिपोर्ट 20 मार्च को उत्पाद एवं मद्य निषेद्य विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भेजी है।

भागलपुर में सिर्फ दो का हुआ पोस्टमार्टम

भागलपुर में 17 लोगों की मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर के डीएम-एसएसपी ने अपनी ज्वाइंट रिपोर्ट में लिखा है कि जानकारी मिलने के बाद एसडीएम सदर और डीएसपी टाउन से जांच कराई गई। जांच टीम मिथुन कुमार (25 वर्ष), विनोद राय (50 वर्ष), नीलेश कुमार (34 वर्ष) और संदीप यादव (48 वर्ष) के परिवार से मिली। उनका बयान दर्ज किया। परिवार की सहमति से मिथुन और विनोद का पोस्टमॉर्टम जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कराया गया। साथ इनके विसरा को एफएसएल जांच के लिए प्रिजर्व किया गया है।

बांका में नहीं हुआ किसी का पोस्टमॉर्टम

बांका में 12 लोगों की मौत का मामला सामने आया है। जिला के डीएम-एसपी ने अपनी ज्वाइंट रिपोर्ट में लिखा है कि उन्होंने मामले की जानकारी मिलते ही एसडीएम और एसडीपीओ से इसकी जांच कराई। रघुनंदन पोद्दार (60 वर्ष), राजा तिवारी (25 वर्ष), सुमित मेहतर, आशीष सिंह (28 वर्ष), राहुल सिंह (22 वर्ष), राजू मंडल, सचिन कुमार, गुंजन राम और विजय साह की मौत हुई है। बांका जिला प्रशासन का दावा है कि जांच के क्रम में उनकी ज्वाइंट टीम मृतकों के परिजनों के घर गई। पीड़ित परिवार से मिली। एक-एक कर सभी का बयान लिया गया। सभी के परिवार ने मरने की वजह बीमारी बताई है। सभी का अंतिम संस्कार भी हो गया है। किसी एक की लाश का पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। इस कारण अपनी रिपोर्ट में जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं होने का दावा किया है।

सभी ने पेट दर्द, उल्टी दस्त की शिकायत की थी

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार और रविवार को संदिग्ध हालत में इन लोगों की मौत हुई है। सभी में एक जैसे लक्षण उल्टी, दस्त और पेट दर्द पाए गए। परिजन इन लोगों के मौत की वजह जहरीली शराब बता रहे हैं। वहीं बीमार चल रहे कुछ लोगों की आंख की रोशनी भी कम हो गयी है। भागलपुर में दो मृतकों के परिजनों ने अखबार को बताया कि शराब पीने के बाद मौत हुई है। इस घटना के बाद भागलपुर शहरी क्षेत्र के साहेबगंज में गुस्साए लोगों ने रविवार सुबह प्रदर्शन किया और चार घंटे तक सड़क को जाम रखा। भागलपुर शहरी क्षेत्र में पांच लोगों के अलावा, नारायणपुर में चार, गोराडीह में तीन, कजरैली में तीन, नवगछिया के परबत्ता में एक और शाहकुंड में एक व्यक्ति की मौत हुई है। मृतकों में रेलकर्मी और पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।

बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के अलग-अलग गांवों में रविवार को 12 लोगों की मौत हो गई। परिजनों के अनुसार, शनिवार रात को सभी लोग पेट दर्द, उल्टी होने व आंखों की रोशनी जाने की शिकायत कर रहे थे। स्थिति गंभीर देख परिजनों ने रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं कुछ मरीजों को भागलपुर लाया गया। रविवार दोपहर बाद तक 12 लोगों की मौत हो गई। आधा दर्जन से अधिक लोगों का अब भी इलाज चल रहा है। 

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज थाना क्षेत्र के दिग्घी गांव में शुक्रवार और शनिवार को तीन लोगों की मौत हो गयी। मरने वालों में दिग्घी वार्ड दो के नागेंद्र सिंह के पुत्र पुराकी सिंह (32) और लोजपा प्रखंड अध्यक्ष नीरज निशांत सिंह शामिल हैं। मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन चर्चा है कि दोनों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई। परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया है।

शराब आने की दी सूचना लेकिन टालमटोल करती रही पुलिस

भागलपुर में शनिवार और रविवार को साहेबगंज इलाके में चार लोगों की संदिग्ध मौत के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उस इलाके में देसी और विदेशी शराब की खेप आने की सूचना 13 मार्च को ही पुलिस को दी गई थी पर तीन थानों की पुलिस एक-दूसरे का क्षेत्र बताकर टालमटोल करती रही।

स्थानीय युवक कुमार गौरव ने हिंदुस्तान को बताया कि 13 मार्च को ललमटिया, नाथनगर और विश्वविद्यालय थानेदार को कॉल कर उसने बताया था कि शराब की खेप साहेबगंज और आसपास के इलाके में पहुंची है। उसका आरोप है कि तीनों थानेदारों ने उस इलाके को अपना क्षेत्र बताने से इनकार कर टालमटोल कर दिया। उसका यह भी आरोप है कि एक वरीय अधिकारी को भी उसने कई बार कॉल किया पर उन्होंने भी कॉल नहीं उठाया।

नीतीश सरकार पर विपक्ष का हमला 

बिहार में सिर्फ दो दिनों में बड़ी संख्या में हुई मौत पर ट्वीट करते हुए तेजस्वी यादव ने लिखा कि "ड़बल इंजन सरकार के प्रयास से शराबबंदी वाले बिहार में विगत दो दिन में जहरीली शराब के कारण 37 लोग और मारे गए। विगत छः महीनों में 200 से अधिक मौतें हो चुकी है। मुख्यमंत्री, सरकार व प्रशासन भ्रष्ट और विफल है। किसी अधिकारी पर कभी कोई कारवाई नहीं हुई? ये बस ड्रोन/हेलिकॉप्टर उड़ायेंगे।"

दारू-शराब पुलिस के सहयोग से ही बिक रहे

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सीपीआइएमएल नेता रणविजय कुमार ने कहा कि "नीतीश सरकार ने प्रशासन को कह रखा है कि मौत होने पर कहा जाए कि भूख, बीमारी वगैरह से मौत हुई है। अब पुलिस वालों के सामने यह असुरक्षा है कि वह किस तरह स्वीकार कर लें कि उनके क्षेत्र में दारु आदि है। उनके सर्विस रिकॉर्ड का मामला है। सरकार राजनीतिक कारणों से इसे स्वीकार नहीं करती है क्योंकि इससे सरकार की छवि को नुकसान होगा। दूसरी तरफ बात करें तो दारू-शराब पुलिस के सहयोग से ही बिक रहे है।"

उन्होंने कहा कि "कुल मिलाकर बिहार में शराबबंदी के नाम पर शराब से जो राजस्व सरकार को आता था उस राजस्व का जदयू-भाजपाकरण हो गया और जो घाटा है उसका सरकारीकरण हो गया। समाज की बात करें तो जहां लोगों को मरना था वह मर ही रहे और जेल जा रहे हैं। दलित-महादलित परिवार के करीब 80-85 हजार लोग जेलों में बंद हैं। सरकार ने नवंबर के विधानसभा सत्र में स्वीकार किया था कि शराबबंदी लागू होने से लेकर अब तक करीब 3 लाख से अधिक लोग जेलों में बंद हैं। शराबबंदी कानून के चलते जो भी लोग जेलों में बंद हैं वे अधिकांश गरीब तबके के हैं, वे परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। जेलों में बंद होने से उनके परिवार को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते परिवार के महिलाओं बच्चों को आजीविका के लिए काम करने पड़ रहा है। परिवार का खर्च चलाने के लिए बच्चे पढ़ाई छोड़कर काम कर रहे हैं।"

शराबबंदी क़ानून फेल

कांग्रेस विधायक दल के नेता और भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा ने भास्कर से कहा कि बिहार में शराबबंदी फेल है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से शराबबंदी कानून की समीक्षा करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।

शर्मा ने कहा कि मुझे भी इसकी सूचना मिली है। सभी ने कहा है कि जहरीली शराब पीने से मौत हुई है। सभी लोगों में लक्षण एक ही है। पेट में दर्द होना, आंख फूल जाना शामिल है। अस्पताल में भी कई लोगों बता देंगे की शराब पीने से मौत हुई है। झारखंड की ओर से जहरीली शराब आने की रिपोर्ट मिल रही है।

विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ठीक से शराबबंदी लागू नहीं करवा पा रहे हैं। इस कानून को हम लोगों ने मिलकर इसको लागू करवाया था। प्रशासन के लोग जहरीली शराब की बात दबाने की कोशिश करते हैं। कहते हैं कह दो पेट में दर्द है।12-13 आदमी को एक ही समय में एक ही तरह का दर्द होता है। वो भी एक ही समय में एक ही दिन में। निश्चित तौर पर यह दबाने की बात है। चुकी प्रशासन को बचना है। सीएम को बता दूं कि शराब धड़ल्ले से आ रही है। यह मौत का जिम्मेदार प्रशासन और सरकार है।

ज़हरीली शराब से बड़ी संख्या में हो चुकी है मौत

इस साल जनवरी महीने में बिहार में जहरीली शराब पीने से करीब 13 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल नवंबर महीने में मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड स्थित बरियारपुर व मनिकापुर इलाके में जहरीली शराब से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। नवंबर महीने की शुरूआत में ही जहरीली शराब से गोपालगंज में 18 लोगों को मौत हो गई थी। वहीं कई लोगों के आंखों की रौशनी चली गई थी। इसी दौरान पश्चिम चंपारण में 15 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से पहले मुजफ्फरपर जिले के सरैया थाना इलाके में जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई थी जबकि इसी जिले में इसके पीने के चलते सकरा प्रखंड में दो लोगों की मौत हो गई थी।

इससे मौत का सबसे बड़ा मामला पिछले साल होली के ठीक बाद नवादा जिले में सामने आया था। यहां टाउन थाना क्षेत्र के गांवों में इसके इस्तेमाल के चलते करीब 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद फिर जुलाई महीने में पश्चिमी चंपारण के लौरिया में करीब इतनी ही संख्या में लोगों की मौत का मामला सामने आया था। 

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