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बिहार: स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री से बनी सहमति के बाद आशा वर्करों की 32 दिन से जारी हड़ताल समाप्‍त 

आशा संयुक्त संघर्ष मंच ने पारितोषिक को मानदेय में बदलना हड़ताल की बड़ी जीत बताया। मंच ने कहा, अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गईं हैं। 
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बिहार की करीब एक लाख आशा कार्यकर्त्ता एवं आशा फैसिलिटेटर 12 जुलाई से अर्थात एक माह से अधिक समय से अपनी 9 सूत्री मांगों की पूर्ति को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री तेजस्‍वी प्रसाद से बातचीत के बाद बनी सहमति के बाद समाप्‍त कर दी है। बता दें कि हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में खासकर पारितोषिक शब्द को बदलकर मासिक मानदेय करना, मानदेय राशि 1000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति माह करना, अश्विन पोर्टल लागू होने के पूर्व व बाद के सभी बकाया का भुगतान करना सहित अन्य मांगें शामिल थीं।

इन मांगों पर कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ पहले दो राउंड की वार्ता बेनतीजा रही थी लेकिन सरकार के निर्देश पर पुनः 11 अगस्त को श्री संजय कुमार सिंह, कार्यपालक निदेशक के साथ आशा संयुक्त संघर्ष मंच के नेताओं शशि यादव, अध्यक्ष बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू), रामबली प्रसाद, सम्मानित अध्यक्ष, महासंघ(गोप गुट), रणविजय कुमार, राज्य सचिव, ऐक्टू, विश्वनाथ सिंह, सहायक महामन्त्री, सुधा सुमन, महामन्त्री, आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) के प्रतिनिधियों के साथ सफल वार्ता संपन्‍न हुई। उप मुख्यमंत्री-सह-स्वास्थ्य मंत्री श्री तेजस्‍वी प्रसाद से आज शाम 3  बजे आवासीय कार्यालय पर हड़ताली नेताओं की अंतिम राउंड की हुई वार्ता और 9 सूत्री मांगों पर बनी सहमति के बाद आशा संयुक्त संघर्ष मंच ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा की।


गौरतलब है कि पिछले हड़ताल में तत्कालीन भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय द्वारा मासिक मानदेय का वादा कर आशाकर्मियों को धोखा देकर छलपूर्वक मानदेय शब्द को बदलकर पारितोषिक कर दिया था।

महागठबंधन सरकार के उप मुख्यमंत्री-सह-स्वास्थ्य मंत्री श्री तेजस्‍वी प्रसाद के साथ आज शाम 3 बजे अंतिम तौर पर संपन्‍न हुई वार्ता में पारितोषिक शब्द बदल कर मासिक मानदेय करने पर सहमति हो गयी है।

आशा संयुक्त संघर्ष मंच का मानना है कि पारितोषिक को मानदेय में बदलना बिहार के लाखों आशा व फैसिलिटेटरों की ऐतिहासिक हड़ताल की बड़ी जीत है।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गयी हैं। मानदेय कर्मी कहलाना बिहार के एक लाख आशाकर्मियों के स्वाभिमान और उनकी मर्यादा से जुड़ी बात है। क्योंकि कड़ी मेहनत करने वाली एक लाख कामकाजी महिला आशा को मानदेय कर्मी से भी कमतर समझा जाता रहा है।

साथ ही आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) महासचिव सुधा सुमन ने बताया कि वार्ता में आशाओं को रिटायरमेंट बेनिफिट और रिटायरमेंट उम्र 60 से बढाकर 65 वर्ष करने पर सरकार विचार करेगी। वहीं संयुक्त महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने कहा कि मासिक मानदेय में आशाओं की अपेक्षा  अनुरूप सरकार ने बदलाव नहीं किया है, आशा व आशा फैसिलिटेटरों को भुगतान हो रहे प्रति माह एक हजार राशि के अतिरिक्त डेढ़ हजार रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी करने पर सहमती बन गयी है।अब प्रतिमाह कुल 2500 रुपया मासिक मानदेय के तौर पर बिहार सरकार अपने खजाने से देगी। यह सितंबर' 2023 से भुगतान किया जाएगा।

महासंघ के सम्मानित अध्यक्ष सह बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट -ऐक्टू) के मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद और ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने बताया कि पटना की जीत हमारी है अब दिल्ली की मोदी सरकार की बारी है। नेताओं ने कहा कि आशा हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में केंद्र की मोदी सरकार से आशाकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने तथा इंसेंटिव राशि मे कम से कम 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने जैसी महत्वपूर्ण मांग भी शामिल है। संपन्‍न वार्ता में बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से एक प्रस्ताव व अनुशंसा से संबंधित पत्र केंद्र की मोदी सरकार को भेजे जाने पर सहमति बनी है।

नेताओं ने बताया कि एनएचएम के तहत संचालित आशा के प्रत्येक काम का दाम (इंटेंसिव) का निर्धारण वर्ष 2005 में पूरे देश मे आशा का काम शुरू होने के समय ही किया गया था। जिसके बाद मोदी सरकार के 9 वर्ष शासन सहित कुल 17 वर्षों में इनके इंसेंटिव राशि मे एक बार भी ठोस पुनरीक्षण नहीं किया गया है जिसका नतीजा है कि बिहार सहित देशभर में कार्यरत लगभग 10 लाख से अधिक कामकाजी महिला आशा वर्कर आज भी 2005 की निर्धारित दर पर काम करने को अभिशप्त रही हैं। नेताओं ने कहा कि हमारे प्यारे भारत देश के महान लोकतंत्र और 9 वर्षीय तथाकथिक राष्ट्रवादी मोदी सरकार के लिए इससे बड़े शर्म की और कोई बात नहीं हो सकती।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष शशि यादव, महासंघ (गोप गुट) सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार व आशा व आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) सहायक महामंत्री विश्वनाथ सिंह, महामंत्री सुधा सुमन ने कहा कि सरकार से सभी बकायों का भुगतान, पोशाक में पेटीकोट, ब्लाउज तथा ऊनी कोट शामिल करते हुए देय राशि को बढ़ाने, हड़ताल के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी सहित अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय हुआ है। इसलिए सामूहिक व व्यापक विमर्श के बाद आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर 12 जुलाई 2023 से राज्य में जारी आशा व आशा फैसिलिटेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की आज 32 वें दिन समाप्ति की घोषणा की गयी।

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