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बिहार: आशा संयुक्त संघर्ष मंच अपनी मांगों को लेकर करेगा अनश्चितकालीन हड़ताल

12 जुलाई 2023 से आशा व आशा फैसिलिटेटरों का राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान। विधान सभा सत्र के दौरान सभी विधायको, मंत्रियों को सौंपे जाएंगे मांगपत्र।
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बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में करीब एक लाख आशा कार्यकर्त्ता-आशा फैसिलिटेटर विगत 17 वर्षों से सेवा देती आ रही हैं। इनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि आज बिहार में संस्थागत प्रसव, प्रसव के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु दर-परिवार नियोजन से लेकर रोग निरोधी टीकाकरण तक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल हुई हैं।

कोरोना महामारी के दौरान उसकी रोकथाम के अभियान में अपनी जान जोखिम में डालकर भी सेवाएं देती रहीं और इस क्रम में दर्जनों आशा कार्यकर्ताओं को जान तक गंवानी पड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर पटना उच्च न्यायालय तक ने उनकी उक्त भूमिका की प्रशंसा की। लेकिन उनकी उक्त भूमिका और योगदान के बावजूद संगठन की ओर से लगातार ज्ञापन-प्रतिनिधिमंडल वार्त्ता-धरना-प्रदर्शन जैसे सांकेतिक आंदोलन द्वारा ध्यानाकर्षित किये जाने के बावजूद केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार द्वारा उनकी बुनियादी मांगों को पूरा करने के मामले में टाल-मटोल एवं अनदेखी की जा रही है। स्वाभाविक तौर पर सरकार के इस रवैये के कारण राज्य की आशाओं-फैसिलिटेटरों के बीच भारी असंतोष व्याप्त है और निर्णायक आंदोलन शुरू करने को बाध्य हैं जिसकी जिम्‍मेदार सरकार है।

ऊपर वर्णित परिस्थितियों से बाध्य होकर आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर आशा कार्यकर्त्ताओं व आशा फैसिलिटेटरों की 9 सूत्री मांगों की पूर्त्ति हेतु 22 जून2023 को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदर्शन नारेबाजी, 4 जुलाई 2023 को सभी सिविल सर्जनों के समक्ष प्रदर्शन- नारेबाजी जैसे आंदोलनात्मक कार्यक्रम करने के पश्चात अंततः 12 जुलाई 2023 से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया है। 

आशा संयुकत संघर्ष मंच की निम्‍नलिखित मांगे हैं–

1(क). आशा कार्यकर्त्ता-फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रुपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित 'पारितोषिक' शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह नियत मासिक मानदेय किया जाय और इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाय।

(ख) उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल,19 से नवंबर,20 तक) का मासिक 1000 रु० का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाय।

2 अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने के पूर्व का सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाय।

3(क). आशा कार्यकर्त्ताओं-फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता-पारदर्शिता लाई जाय।

(ख) आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार - कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाय।

4. कोरोना काल की ड्यूटी के लिए सभी आशाओं-फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाय।

5(क). आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाय और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाय।

(ख) फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाय।

(ग) फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता (SVC) दैनिक 500/-रुपये की दर से भुगतान किया जाए।

6.(क).वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित बृद्धि हेतु केन्द्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाय।

(ख) आशा व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय।

7. कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख राशि का  भुगतान किया जाय।

8. आशा कार्यकर्ता-फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना–पेंशन योजना का लाभ दिया जाय। जब तक नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट पैकेज के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय।

9. जनवरी'19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य कार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाय।

मंच ने एक संवाददाता  सम्मेलन के माध्यम से बिहार सरकार से उपरोक्‍त मांगें करते हुए कहा कि समय रहते ऊपर वर्णित मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेकर सरकारी आदेश जारी कर स्वास्थ्य सेवा में व्यवधान और टकराव को टालने के लिए सरकार पहल करे।

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