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बिहारः प्राइवेट स्कूलों और प्राइवेट आईटीआई में शिक्षा महंगी, अभिभावकों को ख़र्च करने होंगे ज़्यादा पैसे

एक तरफ लोगों को जहां बढ़ती महंगाई के चलते रोज़मर्रा की बुनियादी ज़रूरतों के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भी अब ज़्यादा से ज़्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
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Image courtesy : Hindustan Times

बिहार की राजधानी पटना के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को शिक्षा लेना और महंगी हो गई है। एक तरफ लोगों को जहां बढ़ती महंगाई के चलते रोजमर्रा की बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भी अब ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इस तरह आम लोग चौतरफा परेशानियों से घिरे हैं। प्राइवेट स्कूल का मामला हो या प्राइवेट आईटीआई का, दोनों ही जगह बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावकों के जेब पर ज्यादा बोझ पड़ेगा। पहले बात करते हैं प्राइवेट स्कूल की, जहां पिछले साल कोरोना की मार के बावजूद प्राइवेट स्कूलों ने 35 फीसदी तक ट्यूशन फीस बढ़ाई थी, वहीं इस साल भी इन स्कूलों ने 30 फीसदी तक ट्यूशन फीस बढ़ा दी है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक सत्र शुरू होने से पहले स्कूलों की आंतरिक बैठक में यह निर्णय लिया गया। कुछ स्कूलों ने अभिभावकों को इसकी जानकारी दे दी है जबकि कुछ स्कूल ये जानकारी भेज रहे हैं।

इस तरह अभिभावकों को अब बढ़ी हुई फीस के साथ ट्यूशन फीस जमा करनी होगी। यह हाल किसी एक स्कूल का नहीं बल्कि ज्यादातर निजी स्कूलों का है। रिपोर्ट के मुताबिक दानापुर, बेली रोड, बाइपास, रामकृष्णा नगर, खगौल रोड, सगुना मोड़, पाटलिपुत्रा इलाके के तमाम निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस बढ़ा दी है। ज्ञात हो कि स्कूलों द्वारा हर साल फीस बढ़ायी जाती है। यहां तक कि 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण साल भर स्कूल बंद रहे इसके बावजूद स्कूलों ने ट्यूशन फीस बढ़ा दी थी।

अधिक फीस वृद्धि के लिए भेजा गया था नोटिस

बिहार सरकार के शुल्क बढोतरी विनियमन कानून के तहत सात फीसदी से अधिक ट्यूशन फीस बढ़ाने को लेकर वर्ष 2020 में पटना जिले के तीस स्कूलों को नोटिस भेजा गया था। इसमें राजधानी के कई बड़े स्कूल शामिल थे। इन स्कूलों में 2020 और 2021 में 35 फीसदी तक फीस बढ़ायी थी। इसकी शिकायत अभिभावकों द्वारा प्रमंडलायुक्त के पास की गयी थी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन को नोटिस दिया गया था।

कानून का होता है उल्लंघन

प्राइवेट स्कूलों द्वारा हर साल मनमाने तरीके से ट्यूशन फीस न बढ़ाई जाए इसके लिए बिहार सरकार ने 2019 में शुल्क विनियमन कानून बनाया था। इस कानून के तहत कोई भी प्राइवेट स्कूल हर साल फीस में वृद्धि नहीं करेगा। यदि स्कूल ट्यूशन फीस बढ़ाता भी है तो सात फीसदी तक ही बढ़ाएगा। स्कूल ये सात फीसदी फीस भी तभी बढाएगा जब बच्चों के विकास के लिए स्कूल में कुछ विकास का काम किया गया हो। इन स्कूलों को पहले यह दिखाना होगा कि बच्चों के लिए कुछ सुविधा स्कूल में शुरू की गयी है।

दो या तीन महीने की फीस एक साथ जमा लेता है स्कूल

ज्ञात हो कि तमाम स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस दो या तीन महीने की एक साथ ली जाती है। कई स्कूल दो महीने तो कई स्कूल तीन महीने की फीस एक साथ लेते हैं। कुछ स्कूलों में अभिभावकों को अप्रैल और मई की फीस एक साथ देनी होगी। वहीं, कई स्कूल अप्रैल से जून तक का फीस एक साथ ले लेता है।

मिशनरी स्कूलों में सात फीसदी तक वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार राजधानी के मिशनरी स्कूलों ने पांच से सात फीसदी तक फीस बढ़ाने का निर्णय लिया है। हालांकि मिशनरी स्कूलों को शुल्क बढ़ोतरी विनियमन कानून से अलग रखा गया है लेकिन इन मिशनरी स्कूलों द्वारा सात फीसदी तक ही फीस बढ़ायी गई है।

फीस वृद्धि की जानकारी तीन महीने पहले देनी है

कोई स्कूल ट्यूशन फीस या नामांकन फीस में वृद्धि करता है तो उसे ये सत्र शुरू होने के तीन महीने पहले अभिभावकों को देनी है। साथ ही इसमें शुल्क बढ़ोतरी का कारण भी बताना है लेकिन स्कूलों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है। सत्र शुरू होने के बाद स्कूलों द्वारा अभिभावकों को नए ट्यूशन फीस की जानकारी दी जाती है।

प्राइवेट आईटीआई में फीस वृद्धि से बिहार में ढाई लाख छात्रों पर असर

उधर प्राइवेट आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) में भी प्रशिक्षण लेना अब महंगा होगा क्योंकि कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय के अधीन प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) ने पूरे देश के आईटीआई के लिए नया शुल्क तय कर दिया है। शुल्क में 70 फीसदी से अधिक की वृद्धि की गई है। बिहार में ढाई लाख छात्रों पर इसका असर होगा। आठ साल बाद तय यह शुल्क अगस्त 2022 से शुरू होने वाले सत्र में नामांकन लेने वाले प्रशिक्षुओं पर लागू होगा। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक डीजीटी के महानिदेशक अतुल कुमार तिवारी की ओर से जारी आदेश में इस बार कई संशोधन किए गए हैं। अब तक ग्रामीण व शहरी इलाकों के आईटीआई के लिए शुल्क अलग-अलग तय था।

नए आदेश में ग्रामीण व शहरी की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस बार केवल इंजीनियरिंग व नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड को रखते हुए शुल्क तय किया गया है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि शहरी व ग्रामीण इलाकों में एक समान शुल्क रहने पर लोग ग्रामीण इलाकों में भी आईटीआई खोलने को इच्छुक होंगे। अब तक ग्रामीण इलाकों के आईटीआई में पढ़ने वाले छात्रों को मात्र 15 हजार रुपये सालाना देना पड़ता था, जिसे बढ़ाकर 26 हजार कर दिया गया है। वहीं ग्रामीण इलाकों के नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड में पढ़ने वाले छात्रों को मात्र 12 हजार रुपये देना होता था। इसे बढ़ाकर 21,200 कर दिया गया है। वहीं शहरी इलाकों के आईटीआई में प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को अब तक 16,500 रुपये देने पड़ रहे थे, पर अगस्त 2022 से सालाना 26 हजार रुपये देने होंगे। शहरी इलाकों के आईटीआई में नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अभी 13,200 रुपये देने पड़ते हैं जिसे बढ़ाकर 21,200 रुपये कर दिया गया है।

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