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BPSC: बिहार में भी छात्रों पर लाठीचार्ज, मुकदमें, गिरफ़्तारी

BPSC में ‘नॉर्मलाइजेशन’ को लेकर छात्रों में संशय। सरकार का कहना है कि छात्र गुमराह हो गए हैं। इसलिए “कतिपय भड़काने वालों” से प्रभावित होकर वे आयोग और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। 
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इन दिनों बिहार प्रदेश भर के लाखों परीक्षा अभ्यर्थी छात्रों में अपने भविष्य को लेकर काफी भ्रम और निराशा की स्थिति बनी हुई है। उन्हें यक़ीन नहीं हो पा रहा है कि बिहार की सरकार ‘सिविल सर्विस’ की परीक्षाओं को लेकर कोई पारदर्शी रवैया अपनाएगी। क्योंकि यूपी सरकार की तर्ज़ पर बिहार की सरकार भी ‘सिविल सर्विस परीक्षा’ में विवादित “नॉर्मलाइजेशन” प्रक्रिया अपनाने पर अमादा है। इसी भ्रम-निराशा के बीच वे 13 दिसंबर को होनेवाली BPSC परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं। 

सबों में एक गहरा आक्रोश इस बात को लेकर है कि बिहार की “सुशासन सरकार” भी छात्र-युवा विरोधी यूपी सरकार की तर्ज़ पर ‘सिविल सर्विस परीक्षा’ में विवादित “नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया” थोपने की मंशा बना रही है। 

बीते दिनों यूपी में इसके खिलाफ परीक्षा अभ्यर्थी छात्रों का प्रचंड आक्रोश सड़कों पर प्रदर्शित होने के बाद “बाबा जी की सरकार” को अपना फैसला बदलना पड़ गया था।  

बिहार भी ‘सिविल सर्विस परीक्षा’ में तथाकथित “नॉर्मलाइजेशन” प्रक्रिया अपनाए जाने की खबर उड़ने के बाद उसी आक्रोश का नज़ारा सड़कों पर प्रदर्शित हुआ।                                 

बीते 6 दिसंबर को राजधानी पटना स्थित BPSC मुख्यालय के सामने सैकड़ों परीक्षा अभ्यर्थी छात्र-छात्राओं का हुजूम ने “नॉर्मलाइजेशन” के खिलाफ ज़ोरदार विरोध प्रदर्शित करते हुए सरकार से “स्थिति स्पष्ट करने” की मांग उठायी। दोपहर से शाम तक सारे अभ्यर्थी सरकार/आयोग से जवाब के इंतज़ार में वहाँ जमे रहे। 

जिस पर गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेकर कोई ठोस जवाब तो नहीं ही मिला उल्टे “सुशासन की सरकार” ने शांतिपूर्ण ढंग से खड़े अभ्यर्थियों पर बिना किसी कारण अचानक से पुलिस द्वारा भीषण लाठी-चार्ज करवा दिया। परीक्षा की कॉपी-किताबें लिए अभ्यर्थी छात्र-छात्रों को सड़कों पर दौड़ा दौड़ा कर पीटा-घसीटा गया। वहां से आने-जाने वाले राहगीरों को भी नहीं छोड़ा गया। जिससे भगदड़ मचने से कई छात्र-छात्राएं चोटिल हो गए।      

इस काण्ड के ख़िलाफ़ पूरे राज्य में परीक्षा अभ्यर्थियों के साथ साथ छात्र-युवा संगठनों ने सड़कों पर प्रतिवाद प्रदर्शनों के माध्यम से अपना विक्षोभ दर्ज़ कराया।

इंक़लाबी नौजवान सभा की बिहार इकाई ने तो 8-9 दिसंबर को राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन अभियान चलाया। जिसकी प्रमुख मांगें थी- राज्य में नॉर्मलाईजेशन की साजिश नहीं चलेगी, जेल भेजे गए अभ्यर्थी छात्र नेता को अविलम्ब बिना शर्त रिहा करो, आन्दोलनकारी अभ्यर्थी छात्रों पर से फर्जी मुक़दमे वापस लो तथा छात्र-छात्राओं पर लाठी चार्ज करनेवाले दोषी पुलिसकर्मियों को दण्डित करो!

उधर, गुस्साए चोटिल-घायल छात्र-छात्राओं का समूह और सारे आन्दोलनकारी अभ्यर्थी गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पर जाकर आनिश्चित्कालीन धरने पर बैठ गए। उस क्षेत्र को भी आनन-फानन में “पुलिस-छावनी” में तब्दील कर दिया गया। 

धरने पर बैठे सभी अभ्यर्थी एक स्वर से मांग कर रहे थे कि- BPSC द्वारा 70वीं सिविल परीक्षा में “नॉर्मलाइजेशन” की प्रक्रिया लागू करने के विचार/फैसले को वापस ले। क्योंकि इसके जरिये नए अंदाज़ में “सुनियोजित परीक्षा धांधली” कर अनगिनत छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जाएगा।  

ख़बरों के अनुसार बिहार सरकार ओर से BPSC ने नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि 13 दिसंबर को होनेवाली BPSC की परीक्षा में “नॉर्मलाजेशन” की प्रक्रिया नहीं लागू होगी। लेकिन आगे भी ऐसा ही होगा,इस बाबत कुछ नहीं बताये जाने से अभ्यर्थियों में संशय बना हुआ है। 

BPSC से परीक्षा-प्रक्रिया को लेकर संशय जताने वाले लाखों छात्रों के खिलाफ कुपित होकर आरोप लगाया है कि “वे गुमराह हो गए हैं”। इसलिए “कतिपय भड़काने वालों” से प्रभावित होकर वे आयोग और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। 

ये गहन विमर्श का मामला है कि NDA गठबंधन सरकार के मान्यवर “राष्ट्रीय मुखिया” जी हमेशा ही अपने संबोधनों में देश के युवाओं की बेहतरी व उनके उज्ज्वल भविष्य के प्रति अपनी व सरकार की प्रतिबद्धता जताते रहते हैं।  लेकिन क्या कारण है कि ज़मीनी धरातल पर सरकारें इसके ठीक विपरीत अपना आचरण दिखलाती हैं। खासकर जब-जब देश के छात्र-युवा सरकारों द्वारा संचालित “सर्विस कमीशन” की परीक्षाओं से सम्बंधित शंका-सवालों, पेपर लीक व परीक्षा धांधलियों जैसे गंभीर मसलों पर अपनी मांगें उठाते हैं तो उसका जवाब सिर्फ “लाठी-दमन” की भाषा से दिया जाता है।

पढ़ने-लिखने वाले परीक्षार्थी अभ्यर्थियों को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटना “राजधर्म” बना लिया जाता है। ये दीगर बात है कि सड़कों पर लाठी खानेवाले छात्र-युवाओं का एक हिस्सा अक्सर सड़कों के “बाइक जुलूसों” में उन्हीं का जैकारा करते हुए चुनावों में जिताने में अपना सारा जोश लगा देता है।   

परीक्षा अभ्यर्थी छात्र-युवाओं पर लाठियां भांजने को “डबल इंजन वाली राज्य सरकारें” किस तरह से अपना “राजकर्म” बनाए हुए इसका बड़ा उदाहरण उत्तर प्रदेश तो बना हुआ था। जहां माननीय योगी जी की सरकार और उनकी पुलिस ने छात्र-युवाओं से “लाठी-दमन” की भाषा में बात करने को अपनी स्थायी आदत सी बना रखी है। 

हाल के समय में अब बिहार में भी वही नज़ारा देखने को मिल रहा है। यहाँ भी “डबल इंजन” और छात्र-आन्दोलन से उपजे “सुशासन सरकार” की छवि वाले नीतीश कुमार की सरकार भी आये दिन राज्य के छात्र-युवाओं से “लाठी-दमन” की भाषा में बात करने को ही अपना “राजकर्म” बनाने पर आमादा दीख रही है।  जबकि विडंबना है कि एक ओर, पूरे राज्य में बेलगाम “अपराध-हिंसा-छिनतई-लूट-मर्डर-अपहरण-बलात्कार” इत्यादि वारदात को रोक पाने में सरकार के पुलिस-प्रशासन की विफलता हर दिन उजागर हो रही है। 

लेकिन पुलिस अपनी “बहादुरी” दिखलाती है निहत्थे परीक्षा अभ्यर्थियों पर। शांतिपूर्ण ढंग से BPSC मुख्यालय के सामने आवाज़ उठा रहे परिक्षार्थी छात्रों को बिना किसी कारण के पीटती और सड़कों पर घसीटती रही। इतने से भी मन नहीं भरा तो 250 से भी अधिक प्रदर्शकारी छात्रों पर “सचिवालय थाना” में संगीन आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया। अभ्यर्थी छात्रों का नेतृत्व कर रहे पांच छात्रों के खिलाफ नामज़द प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। 

आन्दोलनकारी अभ्यर्थी छात्र एक स्वर से ये मांग करते रहे कि आयोग परीक्षा को लेकर स्थिति स्पष्ट करे कि वह किस फार्मूला/आधार पर परीक्षा लेने के पुराने पैटर्न में अचानक से बदलाव लाया है। वह यह भी स्पष्ट करे कि किस आधार पर प्राप्तांक में औसत-अंक का निर्धारण करेगा। लेकिन कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हुई और अभ्यर्थी छात्रों के हर सवाल का जवाब “लाठी-दमन” से ही दिया गया। 

उधर, परिक्षार्थी छात्रों पर हुए पुलिस-दमन का सभी विपक्षी दलों और उसके नेताओं ने ज़ोरदार विरोध किया। राज्य के सभी वाम दलों के साथ साथ नेता प्रतिपक्ष व INDIA गठबंधन के तेजस्वी यादव ने घटना की तीखी निंदा की। अपने बयान में कहा कि- जिनकी राजनीति से रिटायर होने की उम्र हो चली है वह पढ़ने-लिखने वाले छात्र-छात्राओं और परीक्षा की तैयारी कर रहे मासूम छात्र-अभ्यर्थियों पर लाठियां चलवा रहें हैं। नीतीश कुमार-बीजेपी सरकार द्वारा छात्रों पर बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज किया गया है वह असहनीय और निंदनीय है।    

(लेखक संस्कृतिकर्मी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।) 

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