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बिहार : मेरिट लिस्ट घोटाला के ख़िलाफ़ नौजवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद शिक्षा मंत्री ने मानी गलती

25 जून की शाम इनौस व आइसा के माले विधयाकों तथा आन्दोलनकारी शिक्षक अभ्यर्थी प्रतिनिधियों से हुई वार्ता में राज्य के शिक्षा मंत्री को यह स्वीकारना पड़ा कि मेरिट लिस्ट में घोटाला हुआ है।
बिहार : मेरिट लिस्ट घोटाला के ख़िलाफ़ नौजवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद शिक्षा मंत्री ने मानी गलती

यूं तो हाल के कोविड महामारी की दूसरी लहर के आपदा काल में प्रदेश के विपक्ष द्वारा लगाये गए ‘ एम्बुलेंस और वैक्सीन घोटाला ‘ आरोप पर तो नितीश कुमार और उनकी सरकार के सहयोगी भाजपा व जदयू के मंत्री नेता काफी हमलावर बने रहे. लेकिन शिक्षक अभ्यर्थी बहाली के लिए बिहार परीक्षा बोर्ड द्वारा ली गयी एसटीएटी ( STET ) परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट के नाम पर सिरे से हटाये जाने पर ‘ मेरिट घोटाला ‘ का आरोप गले की फांस बन गया. जिसके खिलाफ पिछले मार्च महीने से ही प्रदेश के सारे अभ्यर्थी युवा लगातार आंदोलित हैं. लॉकडाउन बंदी से मामला थोड़ा ठंडा हो गया था लेकिन अनलॉक की स्थिति बनते ही यह फिर से सरगर्म हो उठा है.

सनद हो कि पिछले बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य में शिक्षक बहाली को लेकर 12 मार्च को एसटीएटी 2019 का परिणाम घोषित किया था. जिसमें निर्धारित कोटे से भी कम संख्या में छात्र उत्तीर्ण हुए थे. बावजूद इसके उसमें से भी तथाकथित मेरिट लिस्ट बनाकर कई उत्तीर्ण छात्रों को बाहर कर दिया गया. साथ ही उसमें सरकार निधारित महिला आरक्षण को भी सिरे से नकार दिया गया. सरकार द्वारा जारी नयी मेरिट लिस्ट के खिलाफ व्यापक आक्रोश फूट पड़ा. सभी उत्तीर्ण छात्रों को रोज़गार से वंचित किये जाने का मुद्दा पूरी तरह से सरगर्म हो उठा था. इस सवाल पर राजधानी में छात्र युवाओं ने कई आक्रोश प्रदर्शन भी हुए थे. जिसपर नितीश कुमार सरकार द्वारा भीषण पुलिस दमन काफी चर्चित रहा.

25 जून को पुरे बिहार में युवाओं ने राजधानी पटना समेत भोजपुर , नालंदा , गया , बेगुसराय , मुज्ज़फरपुर और भागलपुर समेत कई जिलों में शिक्षक पात्रता परीक्षा एसटीएटी ( STET ) में मेरिट घोटाला के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपना तीखा आक्रोश प्राकट किया. जिसकी तीव्रता इसी से समझी जा सकती है कि राजधानी स्थित बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड मुख्यालय पर जुटे प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए गेट तोड़कर परिसर में घुस गए. बाद में उनके आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे इनौस के राष्ट्रिय महासचिव और माले विधायक मनोज मंजिल तथा आइसा के राष्ट्रिय महासचिव और विधायक संदीप सौरभ के हस्तक्षेप से प्रशासन द्वारा राज्य के शिक्षा मंत्री से वार्ता कराये जाने के आश्वासन के बाद स्थिति नियंत्रण में आ सकी.

एसटीएटी में हुए मेरिट लिस्ट घोटाला के खिलाफ इन्क़लाबी नौजवान सभा और आइसा के साथ साथ एआईएसऍफ़ व नया कई छात्र युवा संगठनों ने भी 25 जून को राज्यव्यापी प्रतिवाद की घोषणा कर रखी थी . जिसके तहत पुरे राज्य में जगह जगह काफी संख्या में छात्र युवाओं ने सड़कों पर उतरकर ‘ नितीश कुमार सरकार होश में आओ ,मेरिट लिस्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा बंद करो ! छात्र युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बंद करो , सभी सफल अभ्यर्थियों की बहाली अविलम्ब करो ! जैसे नारों के साथ जुझारू प्रतिवाद प्रदर्शित किया.

आन्दोलन का शुरू से ही नेतृत्व कर रहे विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि मैंने मार्च में ही विधान सभा सत्र में शिक्षक अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट बनाने के नाम पर शिक्षा विभाग द्वारा की गयी धांधलेबाजी का मुद्दा उठाया था. साथ ही पूछा था कि जब 37 हज़ार बहाली के लिए सिर्फ 30597 अभ्यर्थी ही सफल हुए हैं तो फिर इसमें मेरिट लिस्ट के नाम पर कईयों को बाहर किस अधर पर किया गया है. तब सदन में लिखित जवाब देते हुए खुद शिक्षा मंत्री ने कहा था कि ज़ल्द ही आवश्यक त्रुटी सुधार कर सबकी बहाली सुनिश्चित की जायेगी. सरकार अपने वायदों से मुकरकर छात्र युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं कर सकती.

विधायक संदीप सौरभ ने प्रदर्शनकारियों के तेवर को उचित बताते हुए साफ़ कहा कि एसटीएटी 2019 के परिणाम के नाम पर सरकार द्वारा किया गया घोटाला सबके सामने आ गया है जिसे सरकार को ही अविलम्ब ठीक करना होगा. इसलिए हमें अब न तो कोई कमिटी चाहिए और न ही कोरा आश्वासन. शिक्षकों के हजारों पद यूं ही खली पड़े हुए हैं इसलिए बिना कोई देरी किये सरकार को सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में जगह देकर उनकी नियुक्ति सुनिश्चित करनी होगी.

25 जून की शाम इनौस व आइसा के माले विधयाकों तथा आन्दोलनकारी शिक्षक अभ्यर्थी प्रतिनिधियों से हुई वार्ता में राज्य के शिक्षा मंत्री को यह स्वीकारना पड़ा कि सरकार से गलती हुई है. सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बहाल किया जाएगा और इसके लिए सोमवार ( 28 जून) तक पत्र भी जारी कर दिया जाएगा.

शिक्षक अभ्यर्थियों के आन्दोलन का साथ दे रहे इनौस , आइसा व अन्य वामपंथी छात्र युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने काफी आक्रोशित अंदाज़ में कहा कि राज्य में नियोजित शिक्षकों की बहाली को लेकर खुद को छात्र आन्दोलन की पैदाइश कहनेवाली नितीश कुमार सरकार राज्य के छात्र युवाओं की किसी भी सरकारी बहाली के सवाल पर हमेशा कोई न कोई वितंडा खड़ा करती रही है. जिसका विरोध करने पर सरकार लाठी गोली की भाषा करके फर्जी मुकदमे थोप देती है. अब पानी सर से ऊपर जा चुका है और बिहार के छात्र युवा मोदी – नितीश कुमार की कोई जुमलेबाजी नहीं सुनेंगे.

सोशल मिडिया में भी भाकपा माले समेत महागठबंधन के कई विधयाकों ने इस प्रकरण पर नितीश कुमार सरकार की निंदा करते हुए लिखा है कि एक समय था जब टीचर ट्रेनिंग कर लेने के बाद नौकरी पक्की हो जाती थी. अब जब सरकार ने एसटीएटी करने पर ही नौकरी देने की घोषणा कर रखी है तो इसमें भी घोटाला कर रही है. सरकार द्वारा निर्धारित सभी मेधा योग्यताओं को पास कर लेने के बावजूद यहाँ हजारों हज़ार उत्तीर्ण अभियार्थियों की बहालियाँ तो नहीं ही हो रही हैं ,आये दिन कोई न कोई पेंच लगाकर योग्य युवाओं के नियोजन पर ग्रहण ज़रूर लगाया जा रहा है.

सर्व विदित है कि इस बार संपन्न हुए बिहार के विधान सभा चुनाव में युवाओं के रोज़गार का सवाल प्रदेश के लिए किस तरह से एक अहम् चुनावी मुद्दा बन गया था. महागठबंधन द्वारा 10 लाख को नौकरी देने के जवाब में नितीश कुमार के एनडीए गठबंधन ने 19 लाख को रोज़गार देने की घोषणा की थी. जिसे पूरा कराने का सवाल तो बिहार के छात्र युवा उठाएंगे ही ..... !

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