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बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़ छात्राएं आंदोलित हैं।
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राजधानी पटना स्थित प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य शिक्षण संस्थान पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जीएनएम नर्सिंग की प्रशिक्षण ले रही छात्राएं पिछले कई दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हुई हैं। इन छात्राओं की मांगों पर न तो पीएमसीएच का प्रबंधन ही कोई संज्ञान ले रहा है और ना ही बिहार की सरकार व उसका स्वास्थ्य विभाग। उलटे स्थानीय प्रशासन की ओर से लिखित और मौखिक दोनों स्तरों पर लगातार ये धमकी दी जा रही है कि तत्काल आंदोलन बंद कर वहाँ से हट जाएँ अन्यथा सभी पर मुकदमा कर दिया जाएगा।

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) स्थित जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान वर्षों से राज्य में नर्सिंग की पढ़ाई का एकलौता स्तरीय संस्थान माना जाता है। यहां राज्य के गरीब गुरबों व कमज़ोर आय वाले परिवारों की बेटियाँ भी अपनी प्रतिभा के दम पर प्रतियोगी परीक्षा पास कर नर्सिंग की औपचारिक पढ़ाई कर लेती हैं। लेकिन एक माह पूर्व पीएमसीएच प्रबंधन ने जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चित काल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अन्दर हॉस्टल खाली कर वैशाली जिला स्थित राजापकड़ जाने का फरमान जारी कर दिया। बिना किसी पूर्व जानकारी और बातचीत के जारी इस मनमाने फरमान को छात्राओं द्वारा नहीं माने जाने पर प्रबंधन ने बाहर से पुलिस बुलाकर जबरन सभी छात्राओं को हॉस्टल से निकालना शुरू कर दिया। छात्राओं द्वारा इसका विरोध किये जाने पर पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा बार्बर लाठीचार्ज करवाया गया।

जीएनएम छात्राओं की मांग है कि जब उन्होंने पीएमसीएच में नर्सिंग की पढ़ाई के लिए 3 साल के कोर्स में अपना एडमिशन कराया है तो वे आगे की पढ़ाई के लिए राजापाकड़ क्यों जाएँ? पीएमसीएच में आईसीयू जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं जिससे इन्हें काफ़ी कुछ सीखने जानने का अवसर मिलता है जो कहीं और संभव नहीं है। सवाल उठता है कि यहाँ पढ़ाई का समुचित वातावरण समेत प्रैक्टिकल के अच्छे साधन मौजूद हैं तो वे दूसरी जगह पर क्यों जाएँ। पटना से 50 किलोमीटर दूर राजापाकड़ जाकर पढ़ाई करना उनके लिए संभव नहीं है इसलिए उनकी मांग है कि पीएमसीएच या पटना में ही उनके लिए हॉस्टल की व्यवस्था की जाए। जिस पर पीएमसीएच प्रबंधन अथवा सरकार ने अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।

मजबूरन सभी जीएनएम नर्सिंग छात्राएं इन दिनों- ‘हम छात्राओं की एक पुकार, पटना में हॉस्टल दे सरकार / क्या यही है मुख्यमंत्री महोदय, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान? / जीएनएम संस्थान प्राचार्या पर कारवाई हो / छात्राओं पर पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा किये गए बर्बर लाठीचार्ज की निष्पक्ष जांच हो / कोरोना काल में मरीजों की सेवा करने का क्या यही है ईनाम? / एडमिशन पीएमसीएच में तो राजापकड़ क्यों पढ़ने जाएं' ।।। जैसे पोस्टरों के साथ ‘दम है कितना दमन में तेरे देख लिया है देखेंगे’ के नारे लगाते हुए गर्दनीबाग धरना स्थाल पर खुले असमान के नीचे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हुई हैं।

नर्सिंग छात्राओं की मांगों और आंदोलन का शुरू से समर्थन कर रहे भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलाम ने 2 जून अनशन स्थल पर जाकर पुनः उनकी हौसलाअफ़जाई की। उनकी मांगों के प्रति बिहार सरकार व पीएमसीएच प्रबंधन के संवेदनहीन रवैये की तीखी आलोचना की। खुले आसमान के नीचे सड़क पर अनशन कर रही सभी नर्सिंग छात्राओं की मांगों को अविलम्ब पूरा करने की मांग करते हुआ कहा कि- बेटियों के साथ नाइंसाफ़ी नहीं सहेगा बिहारी समाज!

पटना के नागरिक अधिकार आंदोलन से जुड़े कई संगठन और एक्टिविस्ट भी नर्सिंग छात्राओं के साथ पुलिस द्वारा किये गए दुर्व्यवहार और लाठीचार्ज का कड़ा विरोध करते हुए आंदोलनकारी छात्राओं के आंदोलन में शामिल होकर अपना समर्थन दे रहें हैं।

4 मई को हॉस्टल से जबरन निकाले जाने का विरोध कर रहीं नर्सिंग छात्राओं पर हुए पुलिस दमन को लेकर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व राजद के युवा विधायक तेजप्रताप यादव इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर विरोध जताते हुए कुछ देर के लिए पुलिस व प्रबंधन के लोगों को पीछे हटने पर विवश कर दिया। मगर उनके जाने के बाद पुलिस व प्रबंधन के लोग अपने पुराने रवैये पर आ गए। इसके विरोध में वीडियो सन्देश जारी करते हुए तेजप्रताप यादव ने नितीश कुमार सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि, "जिस प्रकार से कौरवों और दुश्शासन ने द्रौपदी का चीर हरण किया था, आज जदयू-भजापा की सरकार द्वारा महिलाओं का चीर हरण कर रही है। नितीश कुमार महिला सशक्तिकरण का दवा करते हैं लेकिन आज हमारी माताओं को मारा जा रहा है और बहनों के साथ अत्याचार किया जा रहा है। नर्सिंग छात्राओं को अगर न्याय नहीं मिला तो हम मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे।"

जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान और पीएमसीएच प्रबंधन का कहना है कि उन्हें ऐसा करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश देते हुए कहा है कि प्रशिक्षु नर्सों का हॉस्टल तोड़ कर इस स्थान पर नया वार्ड बनाया जाएगा। लेकिन नर्सिंग छात्राओं की मांगों के सवाल पर सभी मौन हो जा रहें हैं।

चर्चाओं में यह भी कयास लगाए जा रहें हैं कि पीएमसीएच जैसे राज्य के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण स्वास्थय संस्थान में वर्षों से जीएनएम नर्सिंग की पढ़ाई हो रही है। यहाँ से अच्छी खासी संख्या में हर साल अच्छी व प्रशिक्षित नर्सें तैयार होकर राज्य के सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में पूरी लगन के साथ अपना योगदान देते हुए मानवता की सेवा करती रही हैं। लेकिन बिहार की सरकार द्वारा इस महत्वपूर्ण सरकारी नर्सिंग संस्थान को तोड़ा जाना, निस्संदेह निजी नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थानों को ही बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। जो कि एनडीए सरकारों द्वारा जन स्वास्थ्य क्षेत्र का भी निजीकरण किये जाने का ही सबूत है।

फ़िलहाल सभी नर्सिंग छात्राओं को पुलिस के बल पर जबरन उनके सरकारी हॉस्टलों से निकाला जा चुका है और वे बिना आश्रय के ही रहने को विवश बना दी गयी हैं। उनका नर्सिंग संस्थान और पढ़ाई दोनों ही अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं सभी नर्सिंग छात्राएं भी अपनी मांगों को लेकर अनवरत आंदोलन में डटी हुई हैं। लेकिन राज्य सरकार से लेकर राज्य का स्वास्थ्य विभाग और पीएमसीएच संस्थान, सभी अपने संवेदनहीन रवैये पर क़ायम हैं।

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