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बिहार : एमएसपी और खाद्य सुरक्षा पर केंद्र सरकार के धोखे के ख़िलाफ़ 'किसान संवाद यात्रा'

इस यात्रा के माध्यम से किसानों को आगामी 23 सितम्बर को प्रदेश के बिक्रमगंज में आयोजित किसानों की महापंचायत में भी शामिल होने आह्वान किया गया। जिसमें देश भर के 50 हज़ार से भी अधिक की संख्या में किसान जुटेंगे।
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एमएसपी कानून देश में हुए किसान आन्दोलन का एक अहम् मुद्दा था। जिसे लेकर केंद्र की सरकार ने समुचित क़दम उठाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन इतना समय बीत जाने के बावजूद वह इस मुद्दे को जिस तरह से लगातार टाल रही है, सरकार के खिलाफ किसानों का क्षोभ और अविश्वास फिर से बढ़ने लगा है। किसानों को यह भी बात असर करती जा रही है कि केंद्र की सरकार अपने किसान विरोधी रवैये में ज़रा भी बदलाव लाने को तैयार नहीं है। परिणामस्वरूप नए सिरे से देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों का विरोध फिर से सड़कों पर प्रदर्शित होने लगा है।

इसी क्रम में अखिल भारतीय किसान महासभा ने बिहार में एमएसपी और खाद्य सुरक्षा के सवाल पर ‘किसान संवाद यात्रा’ निकाल कर किसानों की गोलबंदी शुरू कर दी है। प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम स्थित पुराने मगध व शाहाबाद जोन स्थित सोन नदी के प्रभाव वाले सघन कृषि क्षेत्र के सभी 8 जिलों (पटना, अरवल) के गावों-कस्बों से होकर यह यात्रा निकाली गयी। इसके माध्यम से यात्रा के केंद्रीय मुद्दे के साथ साथ बिहार व सोन क्षेत्र के खेती-किसानों के सभी ज्वलंत सवालों को भी मुखरता के साथ उठाते हुए किसानों और ग्रामीण समाज के सभी लोगों से सीधा संवाद किया गया।

इस संवाद में 2009 से बिहार में बंद की गयी सभी मंडियों को फिर से चालू करने, सोन नहर के आधुनिकीकरण, सोन नदी पर इंद्रपुरी जलाशय निर्माण के साथ साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य को 50% करने व विस्थापनकारी कैमूर टाइगर प्रोजेक्ट रद्द करने इत्यादि मुद्दे भी प्रमुख रहे।

1 सितम्बर से 9 सितम्बर तक चली इस किसान संवाद यात्रा की शुरुआत 1 सितम्बर को राजधानी पटना स्थित देश में किसान आन्दोलनों के अग्रणी प्रणेता प्रख्यात किसान नेता स्वामी सहजानंद स्मारक से माल्यार्पण करके की गयी। इसके पश्चात पटना ग्रामीण के नौबतपुर में यात्रा के तत्वाधान में आयोजित पहली किसान नुक्कड़ सभा से उदबोधन अभियान शुरू किया गया। यह यात्रा पटना ग्रामीण से शुरू होकर अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर व बक्सर जिलों के विभिन्न इलाकों से होते हुए भोजपुर पहुंची, जहां इसका समापन हुआ।

इस अभियान का नेतृत्व कर रहे अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा सदस्य राजाराम सिंह के अलावे महासभा के उपाध्यक्ष शिव सागर शर्मा, राजेन्द्र पटेल व बिहार प्रदेश अध्यक्ष रामाधार सिंह के अलावे कई वरिष्ठ किसान नेताओं ने किया। इसके अलावे पालिगंज में माले विधायक संदीप सौरभ, अरवल में महानंद प्रसाद, भोजपुर में अरुण प्रसाद व सुदामा प्रसाद तथा भोजपुर के ही किसान नेता व पूर्व विधायक चन्द्रदीप सिंह इत्यादी ने भी यात्रा में अपनी सक्रिय भागीदारी करते हुए यात्रा के दौरान किसानों की सभाओं को संबोधित किया। कई स्थानों पर भारी संख्या में इकट्ठे होकर किसानों ने यात्रा का भव्य स्वागत करते हुए इसमें शामिल किसान नेताओं को सम्मानित किया।

किसान संवाद यात्रा के क्रम में सभी प्रमुख इलाकों में दर्जनों छोटी बड़ी सभायें की गयीं। जिसमें काफी संख्या में स्थानीय किसानों के अलावे ग्रामीण समाज के विभिन्न तबकों के लोग भी शामिल हुए। जिनमें से कईयों ने अपने-अपने क्षेत्र की खेती-किसानी से जुड़े कई ज्वलंत सवालों को रखते हुए किसानों की दुर्दशा की ओर ध्यान दिलाया।

किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कई सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि- केंद्र की सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है। इसलिए इस किसान संवाद-यात्रा के माध्यम से बड़े स्तर पर किसानों से सीधा संवाद कर फिर से आंदोलन की रूपरेखा बनायी जायेगी। केंद्र की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक ओर, राष्ट्र की संपत्ति बेचने पर आमादा है। रेलवे, हवाई अड्डे और बंदरगाह से लेकर कोल ब्लॉक व स्टील समेत सभी सार्जनिक उपक्रमों को अदानी-अम्बानी के हाथों में सौंप रही है। बेलगाम महंगाई थोपे जाने के कारण देश में हाहाकर मचा हुआ है और लोगों की क्रय शक्ति गिर गयी है। रोज़गार के सभी नए अवसर बंद हो जाने से एक भयावह स्थिति बन गयी है। दूसरी ओर, अब किसानों की खेती पर भी कॉर्पोरेटी कब्जा कराये जाने से देश और जनता की खाद्य सुरक्षा खतरे में है। ऐसे में फिर से एक नया जुझारू किसान आन्दोलन खड़ा करके मोदी सरकार और कॉर्पोरेट कंपनियों की लूट का मुहतोड़ जवाब देना होगा।

प्रायः सभी सभाओं में किसान वक्ताओं ने एक स्वर से मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि उसकी खेती और किसान विरोधी नीतियों के कारण ही कॉर्पोरेट कम्पनियां अब जनता की भूख का सौदा करना चाह रही है। इसीलिए खेती और उसके पूरे उपज पर कब्जा कर अपने बड़े बड़े गोदामों में अनाज भरकर उसे अंजाम देना चाहती हैं। जिसके लिए अडानी ने देश भर में और अब बिहार में भी बड़े बड़े अनाज-गोदाम तैयार कर रखा है।

नए समीकरणों वाली बिहार की नयी सरकार से मांग की गयी कि वह ज़ल्द से ज़ल्द बिहार में बंद पड़ी सभी मंडियों को चालू करे। साथ ही भयावह गरीबी और तंगहाली का सामना करते हुए खेती-किसानी कर रहे बंटाईदार किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम खरीद मूल्य बढ़े हुए दामों पर तय कर उन्हें अविलम्ब संकटों से उबारा जाए। साथ ही तमाम छोटे किसान जो खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहें हैं, उनपर त्वरित संज्ञान लेकर विशेष कार्य योजनायें बनायी जाएँ। सोन नहर का आधुनिकीकरण किये जाने की विशेष मांग उठाते हुए क्षेत्र के निचले इलाकों में समुचित सिंचाई में हो रही पानी किल्लत को दूर करने पर जोर दिया गया।

किसान संवाद यात्रा के दौरान जन संस्कृति मंच के जन कलाकारों की जोशपूर्ण सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी लोगों को काफी प्रभावित किया। यात्रा में शामिल वरिष्ठ जन कलाकार प्रमोद यादव और निर्मोही जी ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं। इसलिए ये बेहद ज़रूरी हो गया है कि सिर्फ शहरों और मध्यवर्ग तक सिमटे हुए संस्कृति कर्म को गांवों और किसानों के बीच ले जाना।

यात्रा के माध्यम से किसानों को आगामी 23 सितम्बर को प्रदेश के बिक्रमगंज में आयोजित किसानों की महापंचायत में भी शामिल होने आह्वान किया गया। जिसमें देश भर के 50 हज़ार से भी अधिक की संख्या में किसान जुटेंगे और उन्हें किसान आन्दोलन के कई जाने माने नेतागण संबोधित करेंगे। किसानों की इस महापंचत से नए किसान आन्दोलन की शुरुआत किये जाने की भी जानकारी दी गयी।

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