Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

नीतीश ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया, हुए महागठबंधन के नेता निर्वाचित; राजद, कांग्रेस, माले का समर्थन हासिल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात करने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद कुमार तेजस्वी यादव से बातचीत करने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंचे। आपको बता दें कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के आवास पर जा कर किसी भी वक्त उन्हें समर्थन का पत्र सौंप सकते हैं।
nitish kumar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात करने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश अपनी पार्टी जद (यू) की बैठक में भाजपा नीत राजग से अलग होने का फैसला लिए जाने के बाद राज्यपाल से मिलने पहुंचे। 

इस्तीफे के बाद कुमार तेजस्वी यादव से बातचीत करने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंचे जहां उन्हें ‘‘महागठबंधन’’के नेता निर्वाचित किया गया। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि 'महागठबंधन’ के मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार के गठन का दावा पेश करने के लिए नीतीश कुमार राज्यपाल आवास पहुंच चुके हैं।

माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने विधायकों और सांसदों के साथ हुई बैठक में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें बाध्य किया, क्योंकि उसने पहले चिराग पासवान से विद्रोह कराकर और फिर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को सामने खड़ा करके जदयू को कमजोर करने की कोशिश की।

कुमार अपने आवास से काफिले में निकले और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।

आपको बता दें कि विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन की बैठक में पार्टी के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी मां एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के दस सर्कुलर रोड स्थित आवास पर बुलाई, जिसमें वाम दल और कांग्रेस ने हिस्सा लिया। कहा जा रहा है कि यहां सभी विधायकों ने कुमार के समर्थन वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर किए।

कुमार ने आठ वर्ष में दूसरी बार अपने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ा है।

बिहार में धर्मनिरपेक्ष ताकतों की मजबूती में मदद के लिए गैर-भाजपा सरकार का समर्थन करेंगे: कांग्रेस

कांग्रेस ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मंगलवार को कहा कि प्रदेश में धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करने में मदद के लिए वह गैर-भाजपा सरकार का समर्थन करेगी।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस प्रदेश में राष्ट्रीय जनता दल के फैसले और अपने विधायकों की राय के आधार पर आगे कदम उठाएगी तथा पार्टी के भीतर इस पर सहमति है कि सत्ता परिवर्तन होने पर वह गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के साथ होगी।

राज्य में कांग्रेस के 19 विधायक हैं।
   
कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारी लड़ाई वैचारिक है और हम सत्ता के लिए नहीं लड़ रहे हैं। कांग्रेस किसी भी गैर-भाजपा सरकार का सहयोग करेगी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत बनाने में मदद करेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं, इसलिए हम उनका सहयोग करेंगे।’’

भाकपा-माले ने भी गैर-भाजपा सरकार के समर्थन का ऐलान किया
 
भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि, ‘‘यदि जदयू भाजपा से गठजोड़ तोड़ती है और नयी सरकार बनती है तो हम मदद का हाथ बढ़ाएंगे।’’

भट्टाचार्य ने कहा कि जदयू और भाजपा के बीच विवाद (भाजपा अध्यक्ष) जे पी नड्डा के हाल के इस बयान के बाद हुआ कि क्षेत्रीय दलों का ‘‘कोई भविष्य नहीं है।’’

गौरतलब है कि कुमार वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे। भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे।
 
प्रदेश के 242 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 121 विधायकों की आवश्यकता है, राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं।

उधर चिराग पासवान ने की बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की और नीतीश कुमार पर लगाया जनादेश का दूसरी बार अपमान करने का आरोप लगाया।

बिहार में जदयू के गठबंधन से बाहर निकलने के बाद भाजपा विकल्पों पर कर रही है विचार

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बाहर होने और बिहार की राजनीति में अचानक से बदले घटनाक्रमों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं को चौंका दिया। हालांकि, भाजपा नेतृत्व कई मुद्दों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की असहजता से अवगत था।

भाजपा के कई वरिष्ठ नेता सोमवार तक यही समझ रहे थे कि जदयू की ओर से अस्थिरता का माहौल बनाकर एक राजनीति के तहत बयानबाजी की जा रही थी ताकि गठबंधन के बड़े सहयोगी को दबाव में रखा जा सके।

इसके बावजूद भाजपा नेता यह मान रहे थे कि गेंद पूरी तरह जदयू के पाले में है और नीतीश कुमार एक सहयोगी को छोड़कर दूसरे सहयोगी के पाले में जाते रहे हैं। उनका मानना था कि राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने के लिए वैसे भी कुमार 2014 के बाद दो बार ऐसा कर चुके हैं।

बहरहाल, भाजपा के नेता राजग से अलग होने की औपचारिक घोषणा के बाद जदयू के आरोपों का जवाब देंगे और अपनी भावी रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे।

भाजपा और जदयू के बीच, पिछले कुछ समय से बढ़ रही दूरियों के मद्देनजर भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को कई मौकों पर पटना भी भेजा ताकि संकट को दूर किया जा सके।

हाल ही में पटना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगले लोकसभा चुनाव में जदयू के साथ गठबंधन बना रहेगा और वह अगले विधानसभा चुनाव में भी साथ लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा नेताओं को उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे। हालांकि कई मुद्दों पर अपने सहयोगी से पहले से ही नाराज चल रहे जदयू ने इसे भाजपा का प्रभुत्व बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest