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भारत बंद को सफल बनाने के लिए हर वर्ग से समर्थन मिल रहा हैः सीपीआई (एम)

पटना के जमाल रोड स्थित सीपीआई (एम) के कार्यालय में "भारत बंद" की तैयारियों को लेकर आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस कॉन्फ्रेंस में तीन वाम दलों सीपीआई (एम), सीपीआई और सीपीआई (एमएल) शामिल हुए।
Bharat Band

27 सितंबर को 'भारत बंद' करने के संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर सभी वाम दलों की बिहार इकाईयों ने समर्थन किया है। आज यानी 24 सितंबर को पटना के जमाल रोड स्थित सीपीआई (एम) के कार्यालय में बंद की तैयारियों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस कॉन्फ्रेंस में तीन वाम दलों सीपीआई (एम), सीपीआई और सीपीआई (एमएल) शामिल हुए।

कॉन्फ्रेंस में सीपीआई (एम) की ओर से अरुण मिश्रा और गणेश शंकर सिंह, सीपीआई (एमएल) की ओर से केडी यादव और धीरेंद्र झा और सीपीआई के इरफान अहमद व इंदुभूषण शामिल हुए। सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण मिश्रा ने कहा कि इस बंद को लेकर तैयारियां शुरु हो गई है। गुरुवार को मोटरसाइकिल जुलूस निकाला गया था। हर जगह सभाएं हो रही है। ये बंद बड़े पैमाने पर किया जाएगा। लगातार बैठकें हो रही हैं और तमाम जन संगठनों की ओर से प्रचार अभियान जारी है। इसको लेकर काफी अच्छा रेस्पॉन्स है और बंद काफी सफल होगा। इस बंद में हर वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। बंद में शामिल होने के लिए हमलोगों ने व्यापारियों से भी कहा है। उन लोगों की तरफ से भी काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। युवा संगठन और महिला संगठन समेत हर वर्ग के लोग इस बंद में शामिल हो रहे हैं। मिश्रा ने कहा कि अन्य विपक्षी दलों ने भी भारत बंद के लिए समर्थन दिया है।

पूछे जाने पर कि क्या कृषि कानूनों के अलावा और कोई मुद्दा है जिसको इसमें शामिल किया जाएगा, तो मिश्रा ने कहा कि जनता के तमाम मुद्दों को इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मजदूरों का कानून खत्म कर उनके लिए जो संहिताएं बना दी गई हैं उसे भी इसमें पूरजोर तरीके से उठाया जाएगा। साथ ही पब्लिक सेक्टर को बेचने और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले का मुद्दा भी काफी अहम है जिसे इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम जनता के तमाम मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे हैं। बिहार में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हो रहा है। खासकर यहां जो जल नल योजना है, उसमें एक बड़ी धांधली सामने आई है। बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के परिवार के लोग ठेकेदारी वगैरह से जुड़े हुए हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से कहा कि उसमें एक रिपोर्ट छपी है जिसमें बताया गया है कि कहीं नल लगा है तो उसमें पानी नहीं है। इस तरह भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस बंद में हमले बाढ़ के मुद्दे को भी शामिल किया है। बिहार में बाढ़ से किसानों की काफी क्षति हुई है। उनके पुनर्वास और मुआवजा दिलाने की भी मांग इसमें शामिल है।

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अरुण मिश्रा ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य सेवा काफी लचर है। बिहार सरकार ने पिछली घटनाओं से भी सबक नही ली है। अगर खुदा न ख्वास्ते तीसरी लहर आती है तो फिर वैसी ही परिस्थिति उत्पन्न हो जाएगी जो परिस्थिति दूसरी लहर में देखी गई थी। इस पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सरकार ये समझ रही है कि कोरोना का मामला खत्म हो गया है लेकिन इसकी तैयारी तो रखनी होगी। इसको लेकर सरकार पूरी तरह से निश्चिंत है। अभी अभी हाल में बच्चों के बुखार का मामला सामने आया है। जिस तरह वायरल फीवर से बच्चों की मृत्यु हो रही है और बड़ी संख्या में बच्चे अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं वह बेहद चिंता की बात है। दूसरी तरफ क्रोनिक बीमारी से ग्रसित लोग काफी उपेक्षित हैं।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल वाम दलों के अन्य नेताओं ने कहा कि पिछले 10 महीनों से किसान दिल्ली के मोर्चे पर डटे हुए हैं, अब तक 600 किसानों की शहादत हो चुकी है। इसके बावजूद अंबानी-अडानी परस्त केंद्र सरकार किसानों से वार्ता करने को तैयार नहीं है। यह संवेदनहीनता का चरम है। प्रस्तावित बिजली विधेयक के जरिए केंद्र सरकार बिजली का कारपोरेटीकरण करने में लगी है। जनता की गाढ़ी कमाई से खड़ी राष्ट्रीय सम्पदाओं जैसे रेल, सेल, भेल, सड़क, अस्पताल, बैंक, बीमा आदि को सरकार बेचने में लगी है।

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इसमें महंगाई का मुद्दा भी उठाया गया। वाम नेता ने कहा कि कमरतोड़ मंहगाई से त्रस्त जनता के ऊपर टैक्स का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। आज़ादी के बाद अर्थव्यवस्था की ऐसी बुरी हालत कभी नहीं हुई थी। बेरोजगारी की बढ़ती दर हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही है। वहीं मज़दूरी दर में हाल के दिनों में भारी गिरावट हुई है। 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिता लाया गया है। इसके खिलाफ आगामी 27 सितंबर को संयुक्त किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित भारत बंद बिहार में ऐतिहासिक होने वाला है। वाम दल पूरी मुस्तैदी से बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे।

वामदल के नेताओं ने आगे कहा कि बिहार में बाढ़, किसानों-बटाईदारों को प्रति एकड़ 30 हजार रुपये मुआवजा, मनरेगा मज़दूरों का कार्ड, काम और समय पर मज़दूरी भुगतान की गारंटी, मनरेगा में दैनिक मज़दूरी 600 रुपये करने, वायरल फीवर से लगातार हो रही मौत आदि सवालों को भी उठाया जाएगा।

वाम नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार की बहुप्रचारित नल-जल योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार व लूट बिहार में संस्थागत भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। इन तथ्यों से जाहिर है कि भाजपा-जदयू संरक्षित ताकतों ने आम लोगों से पेयजल छीनने का काम किया है। इसलिए वाम दल इस पूरे मामले की हाईकोर्ट के सीटिंग जज से न्यायिक जांच कराने की मांग करते हैं। साथ ही, वाम नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर की किसी प्रतिष्ठित एजेंसी से सभी पंचायतों में नल-जल योजना की भौतिक स्थिति का सर्वे कराने की भी मांग की। यह भी कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं होती है तब तक नल-जल योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद को कैबिनेट से बाहर रखा जाए। वाम नेताओं ने बिहार की जनता से 27 सितंबर के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने की अपील की है।

ज्ञात हो कि बिहार में इस बंद को सफल बनाने के लिए सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (माले) लिबरेशन, फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रदेश इकाई के नेताओं ने जमाल रोड स्थित सीपीआई (एम) के कार्यालय में पिछले सप्ताह भी बैठक की थी। इस बैठक की अध्यक्षता सीपीआई (एम) के प्रदेश सचिव अवधेश कुमार ने की थी।

इस बैठक में वाम दलों की प्रदेश की सभी जिला इकाईयों से 27 सितंबर को भारत बंद सफल बनाने का आह्वान किया गया। वाम दल इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि संयुक्त मोर्चा ने इस बंद के मद्देनजर तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के अलावा बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी संपत्ति को बेचने के साथ साथ श्रम कानून जैसे तमाम जन मुद्दों को अपने आंदोलन में जोर शोर से उठाने की योजना बनाई है। बता दें कि बिहार में वायरल फीवर ने बच्चों को परेशान कर रखा है। इसको लेकर सैंकड़ों की संख्या में बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए। इस फीवर ने कई मासूम बच्चों की जान ले ली। उधर उत्तर बिहार में आई बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। इसमें जान माल का भारी क्षति हुई है। वाम दलों ने बाढ़ पीड़ितों को तत्काल सहायता के लिए पुनर्वास तथा फसलों के नुकसान को लेकर मुआवजा देने की मांग की है।

सीपीआई (एम) कार्यालय में हुई बैठक में सभी जिला समितियों को बैठक कर इस बंद को सफल बनाने के लिए बड़े पैमाने प्रचार प्रसार करने, लोगों को मुद्दों से परिचित कराने और उन्हें इस बंद में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया। बैठक में सभी जिलों में 26 सितंबर को मशाल जुलूस निकालने का निर्णय लिया गया था।

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