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गुरुग्राम में इमारत ढही: दो श्रमिकों की मौत, यूनियन ने उठाए गंभीर सवाल 

पुलिस ने यह जानकारी दी  कि मृतकों की पहचान गुड्डू (35), प्रताप (24) के तौर पर हुई है, जबकि घायलों की पहचान रमाकांत (27) और नरेश (26) के तौर पर की गई है। सभी उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के फतेहपुर चौरासी के निवासी हैं।
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गुरुग्राम: हरियाणा के गुरुग्राम शहर में सोमवार को एक कारखाने की पुरानी इमारत को तोड़ा जा रहा था, तभी वह भरभरा के ढह गई और उसके मलबे में दबकर दो मजदूरों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए।  मजदूर यूनियन ने इस घटना के बाद एकबार फिर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
 
पुलिस ने यह जानकारी दी  कि मृतकों की पहचान गुड्डू (35), प्रताप (24) के तौर पर हुई है, जबकि घायलों की पहचान रमाकांत (27) और नरेश (26) के तौर पर की गई है। सभी उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के फतेहपुर चौरासी के निवासी हैं।

उन्होंने कहा, जिला प्रशासन के अनुसार लगभग छह मजदूर तीन मंजिला इमारत को ढहाने का काम कर रहे थे और इसलिए परिसर में ही मौजूद थे।

गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि हादसा सुबह करीब आठ बजे उद्योग विहार फेस-1 इलाके में हुआ। उन्होंने बताया कि चार मजदूर इमारत को गिराने के काम में जुटे थे, जबकि दो मजदूर घटना के वक्त बाहर गए हुए थे।

पुलिस ने कहा कि इमारत छह महीने से बंद थी और इमारत को ढहाने का काम एक महीने पहले शुरू हुआ था।

उपायुक्त ने बताया कि उपमंडल मजिस्ट्रेट रविंदर यादव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि श्रम विभाग का एक दल जानकारी जुटा रहा है और मृतकों व घायलों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।

पुलिस के मुताबिक, इमारत की दो मंजिलें पहले ही ढहा दी गई थीं और घटना तब हुई जब पहली मंजिल की छत धंस गई और पूरी इमारत ढह गई।

सूचना मिलने के बाद पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) दीपक सहारन के नेतृत्व में पुलिस का दल, नागरिक सुरक्षा और दमकल की टीम के साथ मौके पर पहुंचा और बचाव अभियान शुरू किया।

राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को भी मौके पर बुलाया गया और चार घंटे में बचाव अभियान पूरा किया गया।

उपायुक्त ने बताया कि एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि इमारत के ढहने के वास्तविक कारण का पता लगाया जा रहा है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, शवों को शवगृह में रखवा दिया गया है और परिजनों को सूचना दे दी गई है। नरेश को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि रमाकांत का इलाज चल रहा है।

थाना प्रभारी (उद्योग विहार) निरीक्षक अनिल कुमार ने कहा, “हम मृतकों के परिजनों का इंतजार कर रहे हैं और उनके द्वारा दिए गए बयान के अनुसार प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।"

निर्माण मजदूर यूनियन के नेता धर्मवीर जो गुड़गांव मे निर्माण मजदूरों के साथ काम करते हैं, उन्होंने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। अभी कुछ दिनों पहले ही फ़ारुख नगर में, एक मजदूर जो ईंट चढ़ाने की मशीन पर काम कर रहा था उसकी करंट लगने से मौत हो गई। लेकिन उसकी सुध लेने वाल कोई नहीं था। चुपचाप मालिक ने प्रशासन के गठजोड़ से उसकी लाश और उसके परिवार को शहर से बाहर भेज दिया ।

वो कहते हैं इसस तरह की घटना आम बात हो गयी है, बस कुछ की चर्चा हो जाती है क्योंकि वो अखबारों में  छप जाती है, लेकिन अधिकतर मामले दाब जाते हैं। इन हादसों का सबसे बड़ा कारण है असुरक्षा के माहौल में काम करना। मजदूरों के पास हेलमेट , जूता जैसे बेसिक सुरक्षा उपकरण भी नहीं होते हैं। घटना के बाद बचाव के लिए कोई व्यवस्था की तो बात ही छोड़ दीजिए। 

धर्मवीर ने आगे कहा कि जहां तक मजदूरों के मुआवजे का सवाल है, उसमें सरकारी अमला बहुत लापरवाह तरीके से काम करता है। जो पंजीकृत मजदूर है उन्हें भी मुआवजा नहीं मिल रहा है। यह तो पंजीकृत भी नहीं थे । हम इस हादसों को लेकर श्रम आयुक्त से मिलेंगे और उन्हें मजदूर के हालत की जानकारी देंगे। इसके साथ ही उनसे दोषियों पर सख़्त कारवाई की मांग करेंगे।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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