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CAA-NRC : 'मुंबई बाग' में विरोध कर रहीं 300 महिलाओं के खिलाफ केस

ये केस बीएमसी ने दर्ज कराया है। बीएमसी की शिकायत पर महिलाओं पर बॉम्बे पुलिस एक्ट की कई धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि केस दर्ज होने के बावजूद महिलाएं पीछे हटने को तैयार नहीं हैं,
Mumbai Bagh

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ मुंबई बाग में चल रहे प्रदर्शन पर मुंबई पुलिस ने कार्रवाई की है। प्रदर्शनकारी 300 महिलाओं और आयोजकों पर मामला दर्ज किया गया है। महिलाओं पर बॉम्बे पुलिस एक्ट की कई धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि केस दर्ज होने के बावजूद महिलाएं पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, उनका दावा है कि जब तक सरकार सीएए को वापस नहीं लेती, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

देशभर में सीएए और एनआरसी का भारी विरोध देखने को मिल रहा है। दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर ही मुंबई में महिलाएं बीते दो हफ्तों से नागपाड़ा में 'मुंबई बाग' बना कर प्रदर्शन कर रही हैं। अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से शुक्रवार 7 फरवरी की शाम को इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसके बाद नागपाड़ा पुलिस ने 300 महिलाओं पर कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि सीएए एक काला कानून है और सरकार इसे जबरजस्ती लोगों पर थोपना चाहती है। लोगों को बांटने वाले इस कानून के जरिए सरकार अपने हिंदू राष्ट्र के ऐजेंडे को लागू करना चाहती है। इसलिए जब तक सरकार इस इसे वापस नहीं ले लेती हम अपना प्रदर्शन भी खत्म नहीं करेंगे, फिर चाहे केस हो या जेल।

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एक प्रदर्शनकारी रूबिना कहती हैं, ‘हम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, हमसे भला किसी को क्या दिक्कत होगी? हम तो संविधान बचाना चाहते हैं, अपने राष्ट्र को बचाना चाहते हैं। अब सरकार राज है तो सरकार जो मर्जी करे हमारे साथ, लेकिन हम बिना कानून वापस लिए, यहां से नहीं हटेंगे।'

धरने में शामिल शबनम ने बताया, ‘हम लोग आम लोग हैं, इस देश के नागरिक हैं। अगर मोदी सरकार 'सबके साथ' की बात करती है, तो आज वो उन लोगों को अनसुना कैसे कर सकती है, जो इस कानून का विरोध कर रहे हैं। हम सरकार को बताना चाहते हैं कि हम किसी के बहकावे में नहीं हैं और न ही किसी भ्रम में हैं। हमें अच्छे से पता है कि सीएए क्या है और एनआरसी लागू होने से क्या होगा। अगर हमें जेलों में भी डाल दिया गया तब भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा।'

इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, ' बीएमसी द्वारा शिकायत में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने मोरलैंड रोड पर एक मंच बनाया है और सड़क पर कुर्सियां रखी हुई हैं जिससे इलाके में यातायात बाधित हो गया है। इसके कारण नगर निकाय मोरलैंड रोड पर निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है।’

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उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 341 (गलत तरीके से रोकना) और 34 (साझा आपराधिक इरादा) और बीएमसी कानून की धारा 313 और 314 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस प्रदर्शन के बारे में स्थानीय पत्रकार विकास सिन्हा बताते हैं, ‘प्रशासन की ओर से इस धरना प्रदर्शन की सीमा 6 तारीख गुरुवार शाम, 5 बजे समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी भी महिलाएं वहां से हटने को तैयार नहीं हैं। दिन-प्रतिदिन इस प्रदर्शन में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले सैकड़ों की संख्या में महिलाएं विरोध में हिस्सा ले रहीं थीं लेकिन अब उनकी संख्या हजारों में है। केस दर्ज होने के बावजूद उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई है।

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाओं पर सैकड़ों की संख्या में मामले दर्ज हो चुके हैं। कई जगहों से महिलाओं को धरने से जबरन उठा दिया गया तो कहीं उन्हें पुलिस चेतावनी और नोटिस तक जारी कर चुकी है।

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शुक्रवार 7 फरवरी को कानपुर स्थित मोहम्मद अली पार्क, चमनगंज और बाबूपुरवा फूल पार्क में सीएए के खिलाफ महीने भर से चल रहे धरने को खत्म कराने के लिए पुलिस ने हर सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है।

डीआईजी अनंत देव ने मीडिया को बताया कि 80 लोगों को नोटिस, 200 लोगों को पाबंद करने के बाद भी अगर अब धरना खत्म न हुआ तो पुलिस देशद्रोह की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तारी करेगी। धरने का चेहरा बने और उपद्रवियों को पनाह देने के आरोपियों पर रासुका के तहत कार्रवाई होगी।

गौरतलब है कि दिल्ली के शाहीन बाग में बीते 55 दिनों से महिलाओं का प्रदर्शन जारी है। इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए-एनआरसी और एनपीआर को लेकर जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। छात्रों और महिलाओं ने आंदोलन का मोर्चा संभाल रखा है। सरकार भले ही सीएए पर एक इंच पीछे ना होने की बात कर रही हो लेकिन इसका विरोध कर रहे लोगों के भी मनोबल में कोई कमी नहीं है

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