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कोविड-19 : नकली सैनिटाइज़र से है जान को ख़तरा 

पुणे पुलिस ने पिछले पांच दिनों में लगातार दूसरी बार, नकली सैनिटाइज़र बनाने वाले रैकेट का पर्दाफ़ाश किया है।
नकली सैनिटाइज़र

पुणे में 17 मार्च को पुणे पुलिस ने नकली सैनिटाइज़र और 27 लाख रुपये की सामग्री को ज़ब्त कर लिया और छह लोगों को हिरासत में ले लिया है। जब पुलिस ने पुणे की मार्केटयार्ड कार्यशाला में छापा मारा तो निर्माता-विक्रेता कथित तौर पर बोतलों पर ‘मेड इन नेपाल' और 'मेड इन ताइवान' का लेबल लगा रहे थे।

कोविड -19 संक्रमण के फैलने से देश भर में हैंड सैनिटाइज़र और मास्क की मांग में अचानक उछाल आ गया है। और परिणामस्वरूप, "नकली" या आयुर्वेदिक सैनिटाइज़र बाज़ारों में बेचे जा रहे हैं, जो विशेषज्ञों के अनुसार कोरोनोवायरस के ख़िलाफ़ लोगों की रक्षा करने में कोई मदद नहीं कर पाएंगे।

यह दूसरी बार है जब पुणे पुलिस ने पिछले पांच दिनों में नकली सैनिटाइज़र बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इसी तरह की छापेमारी दिल्ली-एनसीआर में भी की जा रही है, जबकि हैदराबाद पुलिस ने भी 1.4 करोड़ रुपये की सामग्री ज़ब्त कर बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

सैनिटाइज़र को बनाने का लाइसेंस खाद्य और औषधि प्राधिकरण से ड्रग्स और कॉस्मेटिक अधिनियम 1945 के तहत हासिल किया जा सकता है। सैनिटाइज़र में 60-70 प्रतिशत तक अल्कोहल बेस होता है। महाराष्ट्र के केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव अनिल बेलकर ने न्यूज़क्लिक को बताया, “ग्राहकों को सैनिटाइज़र ख़रीदने से पहले लाइसेंस नंबर, बैच नंबर, विनिर्माण और समाप्ति तिथि और एमआरपी की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें खरीदते वक़्त दुकानदार से रसीद भी मांगनी चाहिए।"

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जैसा कि विशेषज्ञों ने राय दी है कि साबुन और पानी न उपलब्ध होने पर सैनिटाइज़र का इस्तेमाल किया जा सकता, बहुत से लोगों ने सैनिटाइज़र के बड़े स्टॉक ख़रीदने शुरू कर दिए हैं। कई फ़ार्मेसी के पास अब सैनिटाइज़र का स्टॉक नहीं बचा है।

सैनिटाइज़र और मास्क की क़ीमत, उपलब्धता और गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम को लागू करते हुए इन वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम में जोड़ दिया है। लेकिन यह क़ानून भी रैकेटर्स को नकली सैनिटाइजर बेचने से नहीं रोक पाया है।

बेल्कर ने कहा, “मिलावटी सैनिटाइज़र जिसे नकली घोल के साथ मिलाया जाता है उसे नकली स्टिकर लगाकर शुद्ध रूप से नकली सैनिटाइज़र बेचा जा रहा है। केमिस्ट/फ़ार्मासिस्ट ऐसा नहीं करेंगे, लेकिन सौंदर्य प्रसाधन, सामान्य दुकानदार या किराने की दुकान वाले इन्हे बेच सकते हैं। रैकेटियर इन्हे झुग्गी-झोपड़ी या बाहरी इलाके की दुकानों पर बेचने की कोशिश करते हैं जहां एफडीए छापा नहीं मारेगा।''

ललिता यादव, जो एक घरेलू कामगार महिला हैं, जो एकतानगर के पाशन में रहती हैं, ने भी सेनीटाइजर्स  की बोतल खरीदी है, जो लाल रंग की है और 120 रुपए में बिक रही है। ललिता ने कहा, "मैं काम करने के लिए विभिन्न घरों में जाती हूं और इसलिए उन्हे हाथों को साफ करने की जरूरत है।" हालांकि, यह फैंसी-दिखने वाली बोतल अपने स्टिकर पर लाइसेंस नंबर नहीं दिखाती है।

महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के डिप्टी कमिश्नर आर पी चौधरी ने बताया कि एफडीए उन कार्यशालाओं या दुकानों पर छापा मार रहा है, जहां नकली सेनिटाइजर बेचे जा रहे हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा, “हमारे दस्ते केमिस्ट की दुकानों, सामान्य दुकानों का निरीक्षण कर रहे हैं ताकि यह देखा जा सके कि सैनिटाइज़रस नकली हैं या नहीं। लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि बाजार में नकली सैनिटाइज़रस भी मौजूद हैं।”

उन्होंने ग्राहकों से अपील की कि अगर उनके आस पास नकली सैनिटाइजर आते हैं और जिन्हे उनके इलाके में बेचा जा रहा तो उन्हे एफडीए कार्यालय को सूचित करने की जरूरत है। ग्राहकों की मदद के लिए, पुणे नगर निगम, एफडीए और केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने एक हेल्पलाइन भी शुरू की है, जिसके माध्यम से मास्क और सैनिटाइज़र की होम-डिलीवरी की जा सकती है।

आयुर्वेदिक सैनिटाइज़र के बारे में बात करते हुए, बेल्कर ने कहा, “आयुर्वेदिक उत्पादों की बात करें तो कोई नियम कायदे ही नहीं हैं। और अब, आयुर्वेदिक सेनीटाइजर्स कों हर जगह बेचा जा रहा है। एफडीए को इसकी जांच करनी चाहिए क्योंकि यह साबित नहीं कर पाते हैं कि ये उत्पाद संक्रमण को रोकने के लिए उपयोगी हैं या नहीं।”

सोशल मीडिया पर एलोए, कपूर, आदि के साथ सैनिटाइज़र बनाने के वीडियो और पोस्ट वायरल हो रहे हैं। बेलकर ने कहा, “किसी को नहीं पता कि घर में बने हैंड सैनिटाइटर कितने प्रभावी होते हैं। लोगों को ऐसे उत्पादों कों अपने जोखिम पर ही इस्तेमाल करना चाहिए।”

उन्होंने यह भी मांग की कि स्वास्थ्य मंत्रालय आयुर्वेदिक और घर पर बनाने वाले सेनीटाईजर्स  के बारे में एक सलाह (Advisory) जारी करें। "अन्यथा, यह हजारों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।"

पैथोलॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र के सदस्य डॉ॰प्रसाद कुलकर्णी ने ज़ोर देकर कहा कि सरकार को नकली सैनिटाइजर, आयुर्वेदिक सैनिटाइजर और होममेड सैनिटाइजर के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है, क्योंकि ये नकली सैनिटाइजरस लोगों को संक्रमित होने से नहीं बचा पाएंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है। अब तक, 1.98 लाख लोग संक्रमित हैं और 7,991 रोगियों ने वायरस के कारण दम तोड़ दिया है। भारत में अब तक 166 मामले दर्ज किए हैं। देश में वायरस के कारण अब तक तीन की मौत हो चुकी हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID-19: Fake Sanitisers Could Risk People’s Lives, Homemade Not Effective Either

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