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केरल : कोविड-19 पर क़ाबू पाने में दो क़दम आगे

दुनिया भर में सबसे बेहतरीन रिकवरी की दर हासिल करने के साथ-साथ केरल ने महामारी से जूझने के बावजूद कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और प्रदेश में निवेश आकर्षित करने को लेकर बड़ी पहल की है।
Kerala

भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। एक भी पॉजिटिव केस सामने आने से पहले ही राज्य की तरफ से इस नई बीमारी से निपटने की तैयारी कर ली गई थी, जिसके बारे में दुनिया उस समय तक जानने में प्रयासरत थी। इसलिए केरल यह सुनिश्चित कर पाने में सफल रहा कि शुरू-शुरू में जो मामले हुए उनसे इस वायरस का प्रसार आगे न हो सके। इस रोग की दोबारा पुनरावृत्ति की घटना मार्च के शुरूआती दिनों में हुई थी, तब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इसे एक वैश्विक महामारी घोषित नहीं किया गया था। प्राथमिक और माध्यमिक प्रसार के तौर पर यह एक संकट के रूप में प्रकट हुआ और एक महीने बाद तक पॉजिटिव मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज होती रही थी।

8 मई 2020 तक केरल को कोरोना वायरस से जूझते हुए 100 दिन पूरे हो चुके हैं। जबकि इस संकट को शुरू हुए दो महीने बीत चुके हैं, और अब यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि केरल ने इस संकट को दूर करने में सफलता पा ली है। राज्य 96.22% की रिकवरी दर के साथ दुनिया भर में अव्वल स्थान पर है और इसकी मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम 0.60% है। और अब केरल देश और दुनिया भर से आने वाले अपने प्रवासी लोगों का स्वागत कर रहा है। ये वे क्षेत्र हैं जहां कोरोना वायरस का प्रकोप केरल की तुलना में कहीं अधिक छाए हुए थे। राज्य के मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि लौट कर आ रहे सभी प्रवासियों की देखभाल करने के लिए राज्य पूरी तरह से तैयार है, और यदि ग़लती से वायरस का एक और संकट उठ खड़ा होता है तो इससे निपटने और उबरने के लिए भी राज्य पूरी तरह तैयार है।

खाद्य सुरक्षा

स्वास्थ्य को लेकर आपात स्थिति में घिरे होने के बावजूद केरल ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष योजना तैयार कर रखी है। खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए व्यापक पैमाने पर जन अभियान के तौर पर 'सुभिक्षा केरलम' की परिकल्पना की गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य में कृषि क्षेत्र को एक नया जीवन प्रदान कर किसानों की आय में वृद्धि करना, युवाओं को खेती के प्रति आकर्षित करना और घर लौट रहे प्रवासियों के पुनर्वासन को सुनिश्चित करना है। राज्य में समूचे कृषि क्षेत्र में मात्र एक वर्ष के भीतर 3,860 करोड़ का निवेश किये जाने की योजना है। कृषि पर 1,449 करोड़ रूपये, मत्स्य पालन पर 2,078 करोड़ रुपये, डेयरी क्षेत्र में विकास के लिए 215 करोड़ और पशुपालन पर 115 करोड़ रूपये ख़र्च किये जाने का अनुमान है।

धान की खेती 5,000 हेक्टेयर में, सब्ज़ियों और केले की खेती 7,000 हेक्टेयर में, 5,000 हेक्टेयर में कंदमूल की खेती के साथ दाल एवं छोटे अनाज की खेती 500 हेक्टेयर में की जाएगी। कुल मिलाकर 25,000 हेक्टेयर अतिरिक्त बंजर ज़मीन पर स्थानीय स्वशासित सरकारों के नेतृत्व में कृषि विभाग और सार्वजनिक सहयोग के मार्गदर्शन में खेती की जाएगी। सभी घरों में किचन गार्डन को प्रोत्साहित किया जाना है, और इसके लिए बीज और पौधे सरकार की ओर से मुहैया किये जाएंगे। फसलों की कटाई के बाद उपज को संरक्षित रखने को सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की एक श्रृंखला की परिकल्पना की गई है। अपने बढ़े हुए उत्पादन की पर्याप्त मात्रा में मार्केटिंग की तैयारी करके भी राज्य प्रयासरत है कि उसे बाज़ार में पहले से अधिक की हिस्सेदारी हासिल हो सके।

इसके अलावा 10,000 क्रॉस ब्रीड पशु इकाइयां भी स्थापित की जानी हैं। सभी स्थानीय स्व शासनों में कुल मिलाकर 8,000 डेयरी इकाइयों को स्थापित किया जाना है। इनमें से 200 इकाइयां सरकारी मदद से पूरी तरह से मशीनीकृत होंगी। दूध निकालने वाली मशीनों की ख़रीद में भी किसानों की मदद की जाएगी। पनीर और दही जैसे डेयरी उत्पादों में मूल्यवृद्धि करने वाले उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने की योजना है। घरेलू पोल्ट्री फार्मों और सूकर पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा और मदद पहुंचाई जाएगी। पर्ल स्पॉट मछली के पालन के लिए 3,000 हेक्टेयर में खारे पानी के तालाब बनाए जाने हैं। इसके अलावा मछली पालन के लिए नमक की 5,000 इकाइयां स्थापित की जानी हैं ताकि इसके उत्पादन में 5,000 टन की वृद्धि हो सके। पांच हज़ार प्लास्टिक से बने तालाबों को भी स्थापित करना है, जिनकी लागत 1 लाख रूपये प्रति यूनिट है। इनकी गुणवत्ता को बनाए रखने और रोग नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए सभी 14 ज़िलों में मोबाइल एक्वा लैब स्थापित किए जाएंगे। अकेले मछली पालन क्षेत्र से केरल सरकार 23,000 रोज़गार सृजित करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है।

‘सुभिक्षा केरलम’ जैसी पहल का महत्व इसलिए भी काफी बढ़ जाता है क्योंकि खासकर अनाज, सब्जियों और मांस की ज़रूरतों को लेकर केरल एक उपभोक्ता राज्य है। अब जैसा कि दुनिया भर से ख़बरें आ रही हैं कि लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है, इसलिए इस बारे में राज्य भी सचेत लग रहा है कि इसके प्रवासी लोगों का एक बड़ा हिस्सा राज्य वापसी का रुख कर सकता है। यदि ऐसे हालात बनते हैं तो राज्य को पहले से अधिक लोगों के भोजन की व्यवस्था करनी होगी और राज्य प्रत्येक व्यक्ति को भोजन मुहैय्या कराने को लेकर प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य राहत एजेंसी के तत्वावधान में विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने चेतावनी दी है कि विश्व को जल्द ही

अकाल से जूझना पड़ सकता है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के इमरजेंसी एंड रेजिलिएशन डिवीजन के निदेशक ने कहा है कि 'संकट के भीतर एक संकट' उभर सकता है, जिसमें भूख के संकट के चलते स्वास्थ्य का संकट कई गुना गहरा सकता है। ऐसा लगता है कि केरल पहले से ही इस हक़ीक़त से बाख़बर था, और इस बात को सुनिश्चित करने में प्रयासरत है कि राज्य में कोई भी भूखा न सोने पाए। यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान सामुदायिक रसोई स्थापित करते वक्त भी सीएम ने ज़ोर देकर कहा था कि राज्य में एक भी इंसान को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा।

आय की सुरक्षा का प्रश्न

हर चुनौती अपने साथ एक अवसर लेकर आती है और इन चुनौतियों से निपटने का संबंध पूरी तरह इस बात से जुड़ा होता है कि उसके साथ ही उपलब्ध अवसरों का किस खूबी से इस्तेमाल किया जाता है। हाल के वर्षों में केरल परेशानियों से उबरा है और इस बार भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है। कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ भारत ने जो जंग छेड़ रखी है, उसमें यह राज्य अगुआ बनकर उभरा है। यह हक़ीक़त है कि इन सभी चुनौतियों के बीच में समूचे सरकारी तंत्र और समाज ने एकजुट होकर जिसमें स्वयंसेवी संगठन भी शामिल हैं, पूरे तौर पर तारतम्यता बनाये हुए दिखे। परिणामस्वरूप राज्य आज निवेश के लिए एक सुरक्षित लक्ष्य के रूप में नज़र आ रहा है। मुख्यमंत्री ने खुद इस बात को कहा है कि कई निवेशकों और अन्वेषकों की ओर से राज्य में संभावनाओं के बारे में पूछताछ का क्रम जारी है।

इस पृष्ठभूमि में केरल सरकार ने सभी प्रमुख औद्योगिक लाइसेंस और परमिट के लिए आवेदन करने के एक सप्ताह के भीतर उन्हें मंज़ूरी देने का फैसला किया है। इसके साथ सिर्फ एक शर्त जुड़ी है कि सभी उद्यमी एक साल के भीतर निर्दिष्ट प्रक्रियाओं को पूरा कर लेंगे। तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम, कोझीकोडे और कन्नूर में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स केंद्र स्थापित किए जाने की ज़रूरत है, जिससे कि इन शहरों को हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे और सड़कों के ज़रिए आपस में जोड़ दिया जाए। एक बार यदि यह योजना मूर्त रूप में साकार हो जाए तो राज्य की भूमिका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखने को मिल सकती है। निर्यात और आयात के अवसरों का लाभ उठाने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में लॉजिस्टिक पार्क स्थापित किए जाने हैं। अजहीकल बंदरगाह को भारी मात्रा में कार्गो हैंडल करने के लिए सुसज्जित किया जाना शेष है।

कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के काम को प्रोत्साहित किए जाने की ज़रूरत है और इस सेक्टर के लिए मेगा फूड पार्क, पलक्कड़ में उद्योगों को ज़मीन मुहैय्या कराई जाएगी। मूल्य संवर्धन पर विशेष बल देते हुए उत्तरी केरल में एक कोकोनट पार्क को स्थापित किया जाना है। एक स्टार रेटिंग प्रणाली शुरू की जानी है, जो निवेश की मात्रा और कुल रोज़गार के अवसरों को मुहैय्या कराने के आधार पर उद्योगों को स्वर्ण, रजत और कांस्य के रूप में ग्रेड देगी, जिससे कि सरकार पता लगा सके कि किस उद्योग से कितना लाभ हुआ और उन्हें क्या रियायते दी जानी चाहिए। निवेश के लिहाज से केरल को एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मुख्यमंत्री की सहायता के लिए एक निवेश सलाहकार समिति का गठन किया गया है, जिसमें निवेशकों, नीति निर्माताओं और उद्योगों के प्रमुख लोगों को जोड़ा गया है।

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने चेतावनी दी है कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल 1.6 अरब श्रमिकों की संख्या, जो कि वैश्विक श्रमिक वर्ग का लगभग आधा हिस्सा है, उनके सामने अपनी आजीविका को खोने का संकट आन खड़ा है। आईएमएफ के चीफ इकोनॉमिस्ट के अनुसार 2020 और 2021 के बीच में विश्व अर्थव्यवस्था में 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होने जा रहा है। इस 'कोरोना शॉक' के दौरान केरल ने इस बात को समझा है कि आज ज़रूरत इस बात की है कि बने बनाए ढर्रे के बाहर निकलकर सोचा जाए। पहले से ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध मानव संसाधनों के होते हुए, लौटकर वापस आ रहे प्रवासियों की आमद के साथ इसमें बढ़ोत्तरी ही होनी है। ऐसी स्थिति में राज्य को अपने पास उपलब्ध संसाधनों पर भरोसा है और निवेश को लुभाने की हरसंभव कोशिश करने के लिए वह प्रतिबद्ध है ताकि अपने नागरिकों की नौकरियों और आय में जितना भी संभव हो उसे सुनिश्चित किया जा सके।

क़ाबू पाने में दो क़दम आगे

यदि केरल या यहां तक कि भारत में जो संख्या कोरोना वायरस से संक्रमित थी, यदि हम उससे उबरकर निकल आने के रूप में देखते हैं तो इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि इसने जो खतरे पैदा कर दिए थे उनसे अब निजात मिल चुकी है। इसकी वजह ये है कि अभी तक कोरोना वायरस के लिए किसी विशिष्ट उपचार का प्रोटोकॉल तैयार नहीं हो सका है और अभी तक इसके टीके का भी आविष्कार नहीं हो सका है। इसलिए यदि दुनिया में कहीं भी SARS-CoV-2 की उपस्थिति बनी रहती है तो यह पूरी दुनिया के लिए एक ख़तरा है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हमें अपने दिलो-दिमाग को ‘सबसे ख़़राब हालात’ के लिए तैयार रखना चाहिए। अभी तक जो जानकारी हमें मिल सकी है उसके हिसाब से जो देश या इलाक़े सबसे विषम परिस्थितियों के लिए तैयार थे, वही बाकियों की तुलना में कोरोना वायरस से मुकाबले में बेहतर तरीक़े से लड़ पाने में सक्षम रहे। भले ही स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने में काफी हद तक सफलता मिल जाए, किंतु विशेषज्ञों के विचार में इस वैश्विक महामारी से कृषि और आर्थिक तौर पर जो दुष्परिणाम भुगतने होंगे, उसे ख़त्म होने में कुछ और साल लग जाएंगे।

केरल से अभी जो हम देख रहे हैं वह एक छोटे राज्य सरकार द्वारा सक्रिय हस्तक्षेप है, जो उस 'सबसे खराब स्थिति' को ध्यान में रखकर लिया गया है। लॉकडाउन में जाने से पहले जब केरल के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार इंटरनेट बैंडविड्थ बढ़ाने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ बातचीत कर रही है, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे ‘अगले स्तर की योजना’ के रूप में सराहा गया था। अब जो कुछ हम देख रहे हैं वो कहीं अधिक क्रांतिकारी क़दम है। एक तरफ जहां राज्य महामारी से जूझ रहा है वहीँ इसके साथ ही इसकी ओर से कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और निवेश आकर्षित करने को लेकर बड़ी पहल की गई है। इस समूचे संकट काल के दौरान यह कुछ ऐसा है जिसे किसी अन्य राष्ट्रीय या प्रांतीय सरकार ने अभी तक घोषित नहीं किया है। खाद्य और आय की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की कोशिश करके, राज्य ने भविष्य के लिए दो तरफा रणनीति तैयार की है, जिसमें जीवन और आजीविका को ध्यान में रखा गया है। जिस प्रकार से इसने स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक दखल पर अपना पूरा ध्यान दिया है उससे केरल दो क़दम आगे है और राज्य ने अभी से ही कोरोना वायरस से बाद की स्थिति पर विचार करना शुरू कर दिया है।

लेखक स्वतंत्र शोधार्थी हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेज़ी में लिखा मूल आलेख आप नीचे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID-19 in Kerala: Staying Ahead of the Curve

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