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कोविड-19: दूसरी लहर अभी नहीं हुई ख़त्म

दैनिक नए मामले करीब 40 प्रतिशत हैं जोकि पहली लहर में आए सबसे ज़्यादा मामलों से अधिक हैं और कई राज्यों में, वायरस अभी भी सक्रिय रूप से फैल रहा है।
कोविड-19: दूसरी लहर अभी नहीं हुई ख़त्म
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

जनता और सरकार दोनों के बीच किसी भी किस्म की खुशखबरी सुनने की ऐसी बेताबी है कि जो चीज आपको घूर रही होती है आप उसे अक्सर नजरंदाज कर देते हैं। ऐसा ही कुछ पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत में कोविड-19 की पहली लहर के थमने के बाद हुआ था। और, अब जब देश भयावह दूसरी लहर का सामना कर रहा है, तो वैसा ही कुछ हो रहा है। इस बार भी दूसरी लहर को लगभग समाप्त घोषित कर दिया गया है। और फिर से खोलने की तत्काल प्रत्याशा महसूस की जा रही है। हालांकि पहले से अधिक सावधानी बरती जा रही है लेकिन वह तेजी से वाष्पित होती नज़र आ रहा है।

वास्तविकता इन बचकानी इच्छाओं से कहीं अधिक गंभीर है। 1 जून को भारत में 1.33 लाख नए मामले दर्ज किए गए थे। ये लगभग एक महीने पहले, 6 मई को पहुंचे 4.12 लाख के विशाल  शिखर से नीचे है। [नीचे दिया चार्ट देखें] तो ऐसे बचकानी इच्छाओं या हरकतों के पर्याप्त कारण मौजूद है कि दूसरी लहर घट रही है। लेकिन पहली लहर का शिखर क्या था उस पर दोबारा नज़र डालनी चाहिए। 16 सितंबर, 2020 को दैनिक नए मामले 96,424 पर पहुंच गए थे। इसलिए, 1 जून को नए मामले पिछले साल की तुलना में लगभग 38 प्रतिशत अधिक हैं। उक्त डेटा स्वास्थ्य मंत्रालय से लिया गया है।

कोविड-19 के कारण जानमाल का नुकसान स्वाभाविक रूप से उसी पैटर्न पर काम कर रहा है। इस प्रकार, 15 सितंबर, 2020 को पहली लहर में दैनिक मौतों का शिखर 1,290 पर पहुंच गया था। वर्तमान में, यह कहीं अधिक है। 1 जून को, भारत में 3,207 लोगों की मौत की सूचना आई थी - जो कि पहली लहर की चोटी से डेढ़ गुना अधिक है।

संक्षेप में कहें तो इस साल मई की शुरुआत की तुलना में चीजें बेहतर हैं, लेकिन पिछले साल के मुक़ाबले स्थिति से कहीं ज्यादा खराब हैं। काफी संख्या में कोविड से लोग पीड़ित हो रहे हैं, और कई मर रहे हैं - और देश 2.8 करोड़ (28 मिलियन) कोविड-19 मामलों का अनुचित बोझ ढो रहा है और सभी को मालूम है कि कोविड से 3.35 लाख मौतें हो चुकी हैं। इसलिए दूसरी लहर के शांत होने का जश्न मनाना अनैतिक और अमानवीय होगा।

कोविड प्रसार में परिवर्तन 

लेकिन यह सिर्फ एक अकादमिक मुद्दा नहीं है। क्या कोई दूसरी लहर की उग्रता और उसके व्यापक प्रसार से कुछ सीख सकता है, जबकि यह अभी भी घमासान मचाए हुए है? हां, इसे समझने के लिए दूसरी लहर की प्रकृति को समझना होगा।

यह लहर अपने प्रसार के मामले में पहली लहर से अलग है। यह घातक वायरस अब स्पष्ट रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में फैल गया है। कई विश्लेषणों ने इस बात को दर्शाया है, कि दूर-दराज के गांवों में लोग, आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की सुविधाओं से वंचित हैं, इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं, बिना किसी जांच और बिना निदान के गाड़ी चल रही है – इसलिए वे या तो बच जाते हैं या बीमारी का निवाला बन जाते हैं। आधिकारिक रिकॉर्ड में इसका कोई पैमाना नहीं हो सकता है लेकिन सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है। आधिकारिक आंकड़ों की कमी के बावजूद इस बात का पता चलता है कि मुख्य रूप से ग्रामीण जिले जो पहली लहर में कम प्रभावित हुए थे, वे अब इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं।

दूसरा पहलू यह है कि दूसरी लहर अभी भी सभी राज्यों में जारी है, जबकि अन्य में जो आमतौर पर अधिक प्रभावित राज्य हैं उनमें नए मामलों में गिरावट शुरू हो गई है। आइए आठ उत्तर पूर्वी राज्यों का उदाहरण लेते हैं।

उत्तर-पूर्वी राज्य

जनसंख्या के मामले में इस क्षेत्र का सबसे बड़ा राज्य असम है, यह भी कई अन्य बड़े राज्यों के समान पैटर्न अपर ही चल रहा है। असम में 15 अप्रैल, 2021 को 3,480 नए मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद नए मामले लगातार बढ़ते गए और 28 अप्रैल को 8,075 के अपने शिखर पर पहुंच गए थे। यह दिन एक अलग दिन हो सकता है क्योंकि इस एक दिन में बहुत विषम बढ़ोतरी नज़र आती है। शायद असली चरम 6 मई को पहुंचा था जब नए मामले 6,974 की संख्या को छू गए थे। उसके बाद 31 मई को 831 मामलों के साथ गिरावट देखी गई थी। दूसरी लहर थम गई थी।

लेकिन अन्य सात पूर्वोत्तर राज्य (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा) एक अलग ही सूरत दिखाते हैं, जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट में दिखाया गया है। इन सात राज्यों में कुल मामले 15 अप्रैल को मामूली 235 मामलों से बढ़कर 31 मई को 3,015 हो गए हैं। यह एक सीधी रेखा नहीं है, लेकिन प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से बढ़ने की है, पिछले कुछ दिनों में धीमा होने के कुछ झिझकते से संकेत के साथ ये आंकड़े सामने आए।

इन छोटे राज्यों में दूसरी लहर अभी भी जारी है। उनकी नाजुक स्वास्थ्य प्रणाली, दूरदराज के समुदायों और टकराव और संघर्ष के खतरों के साथ, भारत के इन हिस्सों में कोविड-19 का प्रसार एक अशुभ संकेत है। आबादी छोटी और बिखरी हुई है, इसलिए संख्या बड़े राज्यों की तरह चौंकाने वाली नहीं है, लेकिन आपदा को किसी अन्य जगह की तरह ही महसूस किया जा सकता  है। और, यह लंबे समय तक दुख देने वाले ज़ख़्मों को छोड़ सकता है।

पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु और तेलंगाना 

चार अन्य राज्यों में, पूर्व के दो और दक्षिण के दो राज्यों में, दूसरी लहर अभी भी उसी तरह आगे बढ़ रही है, धीमी गति से लेकिन महत्वपूर्ण गिरावट के संकेत नहीं दिखा रही है। ये राज्य पूर्व में पश्चिम बंगाल और ओडिशा और दक्षिण में तेलंगाना और तमिलनाडु हैं। [नीचे चार्ट देखें]

अधिकांश अन्य प्रभावित राज्यों में नए मामलों में उल्लेखनीय गिरावट के विपरीत, 15 अप्रैल से दर्ज किए गए दैनिक नए मामले, विशेष रूप से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में, मई के अंतिम सप्ताह में थोड़े कम हुए है। ओडिशा में, 15 अप्रैल को दर्ज किए गए नए मामले 2,898 थे, जो 23 मई को बढ़कर 12,852 हो गए थे, जो लगभग साढ़े चार गुना अधिक है। इसके बाद 31 मई को ये संख्या गिरकर 8,313 पर आ गई हैं। यह अभी भी 15 अप्रैल से ढाई गुना अधिक है।

पश्चिम बंगाल में, नए मामले 15 अप्रैल को 6,769 से बढ़कर 14 मई को 20,846 हो गए थे और 31 मई को धीरे-धीरे घटकर 10,137 पर आ गए थे। यह अभी भी दूसरी लहर की शुरुआत से 30 प्रतिशत अधिक है। तमिलनाडु में भी, नए मामले 15 अप्रैल को 7,987 से बढ़कर 21 मई को 36,184 हो गए थे और फिर 31 मई को 27,936 हो गए थे, जो अपने चरम से लगभग 30 प्रतिशत कम है, लेकिन फिर भी अप्रैल 15 की तुलना में तीन गुना अधिक है। 

यह सब दर्शाता है कि कई बड़े और छोटे राज्यों में, वायरस लगातार बड़े और अछूते इलाकों में घुस रहा है, जहां अभी भी अछूते लोगों का बड़ा भंडार है। यह न केवल कोविड से प्रभावित लोगों की संख्या में वृद्धि कर रहा है, बल्कि जैसा कि महामारी विज्ञानियों ने बार-बार बताया है, मीडिया की सुर्खियों से दूर, अधिक म्यूटेंट वायरस को विकसित करने और महामारी को जीवित रखने के लिए एक उपजाऊ जमीन तैयार कर रहा है। फिर, ये इलाके अपने शिखर को छूने लगेंगे तो बाद में यही तीसरी लहर का कारण बन वापस सुर्खियों में आ जाएंगे।   

[डेटा पुलकित शर्मा ने इकट्ठा किया है]

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

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