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अमेरिका और ब्रिटेन के पास उपलब्ध अतिरिक्त वैक्सीन खुराकों से पूरे अफ़्रीका का टीकाकरण किया जा सकता है

मौजूदा वैक्सीन असमानता ओमिक्रॉन के फैलने के साथ भयावह होती जा रही है। फ़िलहाल अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के पास उपलब्ध अतिरिक्त खुराकों से अफ़्रीका की टीकारहित आआबड़ी का टीकाकरण किया जा सकता है।
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कोविड-19 का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन अब पूरी दुनिया में फैल रहा है, ऐसे में वैक्सीन की असमता अब ना सिर्फ़ कम टीकाकृत क्षेत्रों को ख़तरा बन रही है, बल्कि यह अमीर देशों में टीकाकरण करवा चुके लोगों के लिए भी जोख़िम पैदा कर रही है। दुनिया में कोरोना के दो साल हो चुके हैं और इसकी वैक्सीन को आए हुए एक साल हो चुका है। फिर भी दुनिया का एक बड़ा हिस्सा असुरक्षित है और उसका टीकाकरण भी नहीं हुआ है। इस तरह की आबादी का ज़्यादातर हिस्सा अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका में है।

नीचे चित्र-1 बड़े देशों और देशों के समूहों में वैक्सीन असमता को दिखाता है। अफ्रीकी देशों में आबादी का बहुत छोटा हिस्से का ही पूरी तरह टीकाकरण हुआ है। यूरोप और अफ्रीका में पूरी तरह टीकाकृत हो चुकी आबादी की तस्वीर में बहुत अंतर है। यूरोप में 64 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका है, जबकि अफ्रीका में यह आंकड़ा सिर्फ़ 8 फ़ीसदी है।  

अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना जैसे कुछ ही देशों ने क्रमश: करीब़ 26 और 22 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण में कामयाबी पाई है। इथियोपिया (1.2%), तंजानिया (1.8%) और केन्या (6%) जैसे दूसरे देशों में यह आंकड़ा बेहद कम है। जबकि अफ्रीका का औसत 8 फ़ीसदी है। 

बड़े देशों और देशों के समूहों में वैक्सीन असमता (कुल आबादी का टीकाकृत हिस्सा प्रतिशत में)

(यह न्यूज़क्लिक द्वारा "अवर वर्ल्ड इन डेटा" से आंकड़े लेकर बनाया गया है।

दूसरी तरफ ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीडन और यूरोप के दूसरे अमीर देशों में कुल आबादी के 70 फ़ीसदी से भी ज़्यादा हिस्से का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड ने अपनी आबादी के कुल 75 फ़ीसदी हिस्से और चीन ने 80 फ़ीसदी हिस्से का टीकाकरण कर लिया है। जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 60 फ़ीसदी है। 

अमीर देशों में लगाए जा रहे बूस्टर डोज़ की संख्या गरीब़ देशों में कुल टीका खुराकों से ज़्यादा

कोविड-19 टीकाकरण के लिए बूस्टर डोज़ पर एक अंतरिम वक्तव्य (4 अक्टूबर, 2021) में विश्व स्वास्थ्य संगठन और "प्रतिरोधक क्षमता पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकारी समूह (SAGE)" ने एक टिप्पणी में कहा, "बूस्टर डोज़ लगाए जाने का कदम मजबूत सबूतों के आधार पर ही उठाया जाना चाहिए और जिस समूह के लिए इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत है, उसे ही लगाया जाना चाहिए।" विशेषज्ञों का मानना है कि बूस्टर डोज़ लगाए जाने के लिए जरूरी तत्वों, जैसे प्रतिरोधकता का स्तर और वैक्सीन प्रभावोत्पादकता, के साथ-साथ वैक्सीन की वैश्विक आपूर्ति और राष्ट्रीय समता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

लेकिन अमीर देशों ने इस सलाह को पूरी तरह नकार दिया। एक ऐसे दौर में जब गरीब़ देश अपनी आबादी के लिए पहली खुराक पाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं, अमीर देश बूस्टर डोज़ लगाना शुरू कर चुके हैं।

जैसा चित्र-2 बताता है कि कई अमीर देश अपनी आबादी के एक हिस्से को बूस्टर डोज लगा चुके हैं, जो अफ्रीका में टीकाकृत हुए लोगों की संख्या से कहीं ज़्यादा है। जैसे यूरोपीय संघ में लगाए गए कुल बूस्टर डोज़ की संख्या, अफ्रीका में अब तक टीकाकृत हुए लोगों की संख्या से ज़्यादा है।

अमेरिका और ब्रिटेन में भी बूस्टर डोज़ की संख्या में इज़ाफा हो रहा है। अमेरिका में बूस्टर डोज की यह संख्या अफ्रीका में कुल वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के बराबर पहुंचने वाली है। यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन में बूस्टर डोज लगाने की गति तेज है, यह एकदम से ऊंचाई पर जाते वक्र से भी दिखाई दे रहा है, जबकि अफ्रीका में टीकाकरण की कम गति तुलनात्मक तौर पर सीधे वक्र से देखी जा सकती है। 

बल्कि यूरोप में जितने लोगों को बूस्टर डोज लगाए गए हैं, वह लगभग अफ्रीका में कुल टीकाकृत हुए लोगों की संख्या के बराबर है। 12 दिसंबर 2021 तक, अफ्रीका में कुल 10.9 करोड़ लोगों का पूर्ण टीकाकरण हुआ है, मतलब उन्हें वैक्सीन के दो डोज़ लगे हैं। जबकि यूरोप में 10.7 करोड़ लोगों को अब तक बूस्टर डोज मिल चुका है। 

बच्चों और किशोरों को वैक्सीन लगाने पर अपने अंतरिम वक्तव्य में (जिसे 29 नवंबर, 2021 को अपडेट किया गया) विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने दोहराया कि "वैक्सीन के उपयोग की प्राथमिकता पर दिए गए किसी भी निर्देश में, जिसमें बूस्टर डोज़ नीति भी शामिल है, वह वैश्विक वैक्सीन पहुंच में मौजूदा असमता को दरकिनार नहीं कर सकती। उच्च आय वाले देश जहां अपना टीकाकरण कार्यक्रम किशोरों और बच्चों की तरफ ले जा रहे हैं, कई देशों में बूस्टर डोज़ लगाए जा रहे हैं, जबकि कई कम आय वाले देशों में अब भी प्राथमिकता वाले वर्ग के लिए टीकाकरण के लिए वैक्सीन आपूर्ति कमजोर है।"

अमीर देशों द्वारा वैक्सीन पर आपराधिक कब्जा

वैक्सीन की यह कम आपूर्ति अमीर देशों द्वारा वैक्सीन पर कब्ज़ा जमाए जाने को लेकर पैदा हुई है। इन देशों ने अपनी घरेलू मांग से कहीं ज़्यादा वैक्सीन खरीद लिया था। 

ड्यूक ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़े बताते हैं कि नवंबर, 2021 तक कई अमीर देश इतने वैक्सीन खरीद चुके थे कि उनकी संख्या उनकी पूरी आबादी के टीकाकरण से भी ज़्यादा थी। इन आंकड़ों के मुताबिक़, अमेरिका ने इतने वैक्सीन खरीदे हैं कि वो अपनी 278 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण कर सकता है। इसी तरह नवंबर 2021 तक कनाडा, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने इतने वैक्सीन खरीद लिए थे कि वे अपनी आबादी का क्रमश: 577 फ़ीसदी, 340 फ़ीसदी और 323 फ़ीसदी टीकाकरण कर सकते हैं।

अमेरिका द्वारा कब्जाई गई वैक्सीनों की संख्या से हमने अंदाजा लगाया कि इससे अफ्रीका की कुल वयस्क आबादी के 93 फ़ीसदी हिस्से का टीकाकरण किया जा सकता था। हम नीचे बहुत कच्ची गणना बता रहे हैं, जो इस आंकड़े को निकालने के लिए की गई है। 

नवंबर 2021 तक अमेरिका ने 1725 मिलियन डोज़ इकट्ठे कर लिए थे, जबकि वहां की वयस्क आबादी 251 मिलियन है। मतलब अमेरिका को अपनी पूरी आबादी के टीकाकरण के लिए 502 मिलियन वैक्सीन डोज़ की जरूरत है। इसमें 10 फ़ीसदी खराब होने वाली वैक्सीन संख्या को भी जोड़ देते हैं, तो यह आंकड़ा 552 मिलियन पहुंच जाता है।  मतलब अपनी आबादी के पूरे टीकाकरण और 10 फ़ीसदी खराब वैक्सीन को जोड़ने के बाद भी अमेरिका के पास 1,173 मिलियन अतिरिक्त वैक्सीन डोज़ हैं।

अफ्रीका में 681 मिलियन वयस्क आबादी है। इसमें से 109 मिलियन का पहले ही पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। मतलब बचते हैं 572 मिलियन लोग। हम यहां आंशिक तौर पर वैक्सीन लगवा चुकी आबादी को गणना में नहीं ले रहे हैं। जबकि इसे शामिल करने से अफ्रीका की वैक्सीन जरूरत का आंकड़ा और भी कम हो जाता। इस 572 मिलियन वयस्क आबादी के टीकाकरण के लिए 1,144 मिलियन डोज़ की जरूरत है, इसमें 10 फ़ीसदी खराब होने वाली वैक्सीन को और जोड़ दें, तो यह आंकड़ा 1258 मिलियन हो जाता है। मतलब अफ्रीका की कुल वयस्क आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लिए अभी 1,258 मिलियन वैक्सीन डोज़ की जरूरत है। अमेरिका के पास जितनी अतिरिक्त वैक्सीन हैं, यह उनका 93 फ़ीसदी है।

जैसा चित्र-3 दिखाता है कि अगर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा अपने अतिरिक्त डोज़ का कुछ हिस्सा साझा कर दें, तो अफ्रीका की बची हुई आबादी (जिसका टीकाकरण अभी तक नहीं हुआ है) के टीकाकरण के लिए जरूरी वैक्सीन की आपूर्ति हो सकती है। 

अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन अतिरिक्त खुराकों की संख्या बनाम् अफ्रीका में वैक्सीन खुराकों की जरूरत (मिलियन में)

अमीर देशों द्वारा वैक्सीन पर आपराधिक ढंग से किए गए इस कब्ज़े से ही दुनिया में वैक्सीन की असमता पैदा हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लगातार वैक्सीन असमता के समाधान की अपील के बावजूद इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट से पैदा हुआ ख़तरा अमीर देशों को जगाने का काम करेगा और सुनिश्चित करेगा कि गरीब़ देश भी प्रभावी ढंग से अपनी आबादी का टीकाकरण कर पाएं?

वैक्सीन असमानता बताने वाला दुनिया का नक्शा एलोरा चक्रबर्ती और पीयूष शर्मा ने बनाया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Surplus Doses in US and UK can Vaccinate all of Africa

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