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भारत में कोविड-19 टीकाकरण की रफ़्तार धीमी, घरेलू उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत 

टीकाकरण की वर्तमान गति से भारत की वयस्क आबादी का टीकाकरण 2022 की दूसरी तिमाही तक पूरा हो पाएगा।
भारत में कोविड-19 टीकाकरण की रफ़्तार धीमी, घरेलू उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत 
Image courtesy : Business Today

राज्यों में फिर से वैक्सीन की किल्लत हो रही है। जिसके चलते 15 जुलाई को दिल्ली में कई कोविड केंद्रों को बंद करना पड़ा था। इसी तरह की खबरें दूसरे राज्यों से भी सुनने को मिल रही  हैं। महाराष्ट्र में, स्वास्थ्य मंत्री ने शिकायत की कि वैक्सीन स्टॉक की कमी का मुख्य कारण, केंद्र सरकार का अपनी क्षमता से कम काम करना हैं, जिसके कारण राज्य सरकार केवल 2-3 लाख लोगों को ही टीका लगा पा रही है, जबकि सरकार की 15 लाख लोगों को टीका लगाने की क्षमता है। राजस्थान और पंजाब ने भी वैक्सीन की आपूर्ति में कमी की शिकायत की है, जिसके कारण इन राज्यों में कोविड केंद्रों को बंद करना पड़ा है।

यद्यपि केंद्र ने सीमित आपूर्ति को देखते हुए टीकों के कुप्रबंधन के लिए राज्यों को दोषी ठहराया है, जबकि लग ऐसा रहा है कि केंद्र ने खुद विभिन्न स्रोतों से टीकों की आपूर्ति के मामले में कुप्रबंधन किया है। सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे के मुक़ाबले, केंद्र ने अगस्त-दिसंबर 2021 की अवधि के दौरान टीकों की अनुमानित उपलब्धता को काफी कम कर दिया है।

तालिका 1: अगस्त 2021 से दिसंबर 2021 तक कोविड-19 टीकों की अनुमानित उपलब्धता (करोड़ में)

मई के महीने में, केंद्र ने अगस्त-दिसंबर 2021 के दौरान लगभग 217 करोड़ टीकों की उपलब्धता का अनुमान लगाया था। इनमें विभिन्न निर्माताओं के टीके शामिल थे। ये इस अनुमान पर आधारित थे कि वैश्विक फार्मा कंपनियों के टीके उपलब्ध होंगे और घरेलू उत्पादन में भी तेजी आएगी।

हालांकि करीब डेढ़ महीने के बाद जून में यह अनुमान टीकों की 135 करोड़ खुराक तक सिमट कर रह गया है। इस अनुमान से भारत दिसंबर के अंत तक वैक्सीन की करीब 173 करोड़ ख़ुराक तक पहुंच जाएगा। मई की एक प्रेस विज्ञप्ति में, केंद्र ने कहा था कि इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड सितंबर 2021 से कोवैक्सिन का उत्पादन शुरू करने की स्थिति में आ जाएगी, जबकि हैफ़किन इंस्टीट्यूट और बीआईबीसीओएल नवंबर 2021 से कोवैक्सिन का उत्पादन शुरू करेंगे।

मामला ये है कि केंद्र अब तक टीकों की खरीद के लिए एक उचित रणनीति तैयार नहीं कर पाया है, इसलिए सरकार का टीकों का अनुमान वास्तविकता से परे है, जिसके परिणामस्वरूप भारत को "दुनिया की फार्मेसी" कहे जाने के बावजूद यह कमी बनी हुई है। इससे पहले, मार्च में, गलत योजना के कारण, भारत को कोविड-19 संक्रमण में उछाल के बीच अन्य देशों को टीकों की आपूर्ति अचानक बंद करनी पड़ी थी, और इस प्रकार ये देश भी टीके की कमी के मंझदार में फंस गए थे। 

घरेलू स्तर पर भी, केंद्र टीकों की खरीद और वितरण के मॉडल के मामले एक किस्म का प्रयोग कर रहा है। जनवरी से अप्रैल तक, मॉडल यह था कि केंद्र सरकार निर्माताओं से टीके खरीदती थी और राज्यों को वितरित करती थी। 1 मई से, 'उदारीकृत और त्वरित नीति' पेश की गई, जिसमें टीकों के कोटे का 50 प्रतिशत केंद्र और बाकी 50 प्रतिशत निर्माता और निजी प्रदाताओं से राज्यों को खरीदने को कहा गया था। नतीजतन, राज्यों को टीकों की खरीद के लिए वैश्विक निविदाएं जारी करनी पड़ीं, जिन्हें दवा कंपनियों से ज्यादा प्रतिक्रिया या भाव नहीं मिला।  नतीजतन, यह नीति पूरी तरह से विफल हो गई, और बढ़ते असंतोष और सर्वोच्च न्यायालय से फटकार के बाद, केंद्र को इस नीति को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 21 जून से, 75 प्रतिशत टीके केंद्र द्वारा राज्यों के लिए खरीदे जाने थे और वितरित किए जाने थे और बाकी 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र द्वारा खरीदे जा सकते थे।

जून में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी विभिन्न देशों को दी जाने वाली मदद के रूप में अपने कोविड-19 ग्लोबल रिस्पांस एंड रिकवरी फ्रेमवर्क के तहत वैक्सीन खुराक आपूर्ति की घोषणा की थी। इसके तहत फाइजर और मॉडर्न जैसे निर्माताओं से भारत का हिस्सा करीब 20 लाख डोज के बराबर बनता है। हालाँकि, यह आपूर्ति वर्तमान में क्षतिपूर्ति खंड के आसपास कानूनी बातचीत के कारण रुकी हुई है, जिस पर ये फार्मा कंपनियां जोर दे रही हैं।

भारत में टीकाकरण की गति

इस दौरान भारत में टीकाकरण की दर अपेक्षाकृत काफी धीमी रही है। मध्यम आय वाले कुछ अन्य देशों के साथ भारत की तुलना करने से पता चलता है कि पूर्ण टीकाकरण की गति मेक्सिको, ब्राजील और रूस जैसे देशों से बहुत कम है। टीकाकरण की कुल संख्या और टीकाकरण की दर के मामले में भी पड़ोसी देश श्रीलंका ने भारत को पीछे छोड़ दिया है।

आंकड़ा: 1

टीकाकरण की वर्तमान दर के मुक़ाबले तय लक्ष्य 

यदि हम टीकाकरण की वर्तमान दर से अनुमान लगाए, तो भारत में वयस्क आबादी (दो खुराक के साथ) पूरी तरह से टीकाकरण का लक्ष्य केवल अप्रैल-मई 2022 तक ही पूरा किया जा सकता है। यहाँ हम 1 अप्रैल, 2021 से टीकाकरण की प्रवृत्ति का अध्ययन कर रहे हैं (लगभग 100 दिन का)।

हमारी गणना के अनुसार, लगभग 94 करोड़ वयस्क आबादी के टिककरण और कुल खुराक में लगभग 20 प्रतिशत के नुकसान (94x2.4 = 226 करोड़ खुराक) के हिसाब से लगभग 226 करोड़ वैक्सीन खुराक का लक्ष्य बनता है। इस अंदाजे के अनुसार यह मान कर चलना होगा कि टीकाकरण अभियान बिना किसी अंतराल और दैनिक आधार पर भी सुचारू रूप से चल रहा होगा या चलाना पड़ेगा। 

सुप्रीम कोर्ट में दिए गए केंद्र के हलफनामे के अनुसार, अगस्त 2021 से दिसंबर 2021 तक कोविड-19 टीकों की अनुमानित उपलब्धता 135 करोड़ खुराक हो जाएगी। यानी दिसंबर के अंत तक भारत वैक्सीन की लगभग 173 करोड़ खुराक (पहले से दी जा चुकी लगभग 38 करोड़ खुराकों सहित) को दे पाएगा। हालांकि, हमारी अनुमानित गणना के अनुसार, 31 दिसंबर तक, भारत केवल 112 करोड़ खुराक देने में सक्षम होगा, जो लक्षित 226 करोड़ टीकाकरण का केवल लगभग 50 प्रतिशत है।

आंकड़ा 2: अनुमानित वैक्सीन देने का परिदृश्य

यह देखते हुए कि भारत आने वाले महीनों में तीसरी लहर का सामना कर सकता है, वायरस के नए उत्परिवर्तन या म्यूटेशन के साथ, सरकार को सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। वैश्विक फार्मा निर्माताओं की तरफ से टीकों की आपूर्ति के संबंध में अनिश्चितताओं के चलते, भारत को टीकों के घरेलू उत्पादन में तत्काल वृद्धि करने की जरूरत है। हालांकि, सरकार आश्वस्त करती रही है कि वह घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन सार्वजनिक डोमेन में डेटा विरल है। हम केवल एक ही उम्मीद कर सकते हैं कि वैक्सीन उत्पादन में अंतर जल्द से जल्द पूरा किया जाए और टीकाकरण दर को बढ़ाया जाए।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

COVID-19 Vaccination Slow in India, Need to Augment Domestic Production

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