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कोविड-19 : अस्पतालों में भारी भीड़ों से तेलुगू सरकारें ख़ौफ़ में 

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की मौजूदा तैयारियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि अगर कोविड-19 से संक्रमण का ग्राफ इसी तरह से लगातार बढ़ता रहा तो दोनों राज्यों की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा सकती हैं।
कोविड-19 : अस्पतालों में भारी भीड़ों से तेलुगू सरकारें ख़ौफ़ में 
प्रतीकात्मक  चित्र ।  सौजन्य :  टाइम्स ऑफ इंडिया

कोविड-19 की दूसरी लहर के पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लेने के साथ, पिछले कुछ हफ्तों में,  अस्पतालों में कोरोना  गंभीर रूप से पीड़ित  मरीजों तक के लिए भी बिस्तरों का अकाल हो गया है। यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए विकराल समस्या बन गयी है क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या रोज ब रोज बढ़ती ही जा रही है। 

ताजा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, तेलंगाना में बृहस्पतिवार की रात 8 बजे तक, 24 घंटे में कोरोना से संक्रमित होने के 6,206 नये मामले सामने आए हैं। यह एक दिन में पीड़ित होने वाले मरीजों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस अवधि के दौरान, 29 लोगों ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही, कोरोना से मरने वालों की तादाद बढ़ कर 1,928 हो गई है। तेलंगाना में कोरोना के 52,726 सक्रिय मामलों की खबर है। इसमें राहत की बात यह है कि अब तक 3.24 लाख लोग कोरोना के संक्रमण से सकुशल उबर गये हैं। 

वृहत्तर हैदराबाद नगरपालिका निगम (जीएचएमसी) ने 22 अप्रैल 2021 तक कोरोना से संक्रमित होने वाले 10,001 लोगों का ब्योरा दर्ज किया है, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है। इसके बाद, तेलंगाना के मेढ़क-मलकाजगिरि, रंगारेड्डी और महबूबनगर जिले कोरोना से अधिक संक्रमित हैं। 

आंध्र प्रदेश बीते शुक्रवार को कोरोना से संक्रमितों होने के एक मिलियन का आंकड़ा पार कर  लिया। राज्य के 13 जिलों में से चार में हर दिन 10,000 से ज्यादा कोरोना के नये मामले सामने आ रहे हैं। यह दर बताती है कि वायरस कितनी तेजी से और कितनी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। 

हालांकि दोनों राज्यों ने  कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के लिए अपने अस्पतालों के बिस्तरों के ऊपर लाइव डैशबोर्ड लगा रखे हैं जबकि  तेलंगाना के  हैदराबाद में,  सरकारी अस्पतालों के  आईसीयू के  सभी बेड गंभीर मरीजों से भरे पड़े हैं।   जैसा कि स्थानीय मीडिया की खबरों में कहा गया है, कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले की संख्या में बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए ऑक्सीजन की सुविधा से लैस बिस्तरों का कोटा भी फुल हो गया है।  यही स्थिति प्राइवेट और कॉरपोरेट अस्पतालों की है,  जहां कोविड-19 के लिए आरक्षित सभी बेड मरीजों से भरे पड़े हैं। उदाहरण के लिए तेलुगू  अखबार इनाडु ने खबर दी है कि हैदराबाद के गचीबोली के  एक प्राइवेट अस्पताल में 50 से अधिक कोविड-19 के मरीजों को  भर्ती कराया गया है,  जो  अस्पताल की देखभाल की वास्तविक क्षमता से कहीं ज्यादा है। 

राज्यों की तैयारियां

आंध्र प्रदेश में अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों के आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि प्रदेश के कुल 13 जिलों के 206 से ज्यादा हॉस्पिटल में कोविड-19 के लिए सुरक्षित किए गए तमाम बिस्तरों, इनमें आइसीयू के बेड, ऑक्सीजन लगे बेड और जनरल वार्ड के बिस्तर भी शामिल हैं, उनमें आधे से अधिक भर गये हैं। इन पर गंभीर रूप से संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। यद्यपि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एकेके श्रीनिवास ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या दोगुनी की जा रही है। 

हालांकि दि न्यूज़ मिनट  ने खबर दी है कि सरकारी डैशबोर्ड पोर्टल में अस्पतालों में  उपलब्ध बिस्तरों की संख्या को लेकर किए गए दावे और वास्तविकता में अंतर है। उदाहरण के लिए रिपोर्ट के मुताबिक “कुरनूल जिले में नादयाल के जिला अस्पताल के लिए, डैशबोर्ड अस्पताल में कुल 74 ऑक्सीजन सुविधा से लैस बेड के होने की जानकारी देता है। इनमें से बुधवार की दोपहर तक 12 मरीजों से भरे होने तथा 62 बेड के उपलब्ध होना बताया गया है। हालांकि अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों के लिए उस समय कुल 50 ऑक्सीजन बेड उपलब्ध थे, जिनमें 12 पर मरीज भर्ती थे औऱ 38 खाली थे।”

बृहस्पतिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री एटेला राजेंद्र ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने रेमडेसिवीर दवा और ऑक्सीजन के सिलेंडर पर्याप्त संख्या में मुहैया नहीं कराए हैं, जैसा कि उसने देश के अन्य राज्यों, जैसे गुजरात को ये सुविधाएं दी हैं। खबर है कि, बृहस्पतिवार को सरकार और दवा की दुकानों में रेमडेसिवीर 100एमजी के इंजेक्शन की मात्र 8,545  खुराकें ही बची हैं, जबकि  अकेले सरकारी अस्पताल में ही रोज 1000 इंजेक्शन लगाये जाते हैं। हालांकि राज्य सरकार ने अपने यहां ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत न होने देने के लिए दो विमान भी तैनात कर रखे हैं। 

आंध्र प्रदेश में,  विशाखापट्टनम स्टील प्लांट  पिछले साल से ही ऑक्सीजन का मुख्य आपूर्तिकर्ता रहा है। इस लिहाज से यहां ऑक्सीजन की तो कोई कमी नहीं है लेकिन रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी हो जाने की खबर है। विशाखापट्टनम पुलिस ने 22 अप्रैल को प्राइवेट अस्पतालों के कई कर्मचारियों को भारी कीमतों पर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते रंगे हाथों पकड़ा था। इसी तरह के मामले दोनों तेलगू राज्यों के सभी जिलों में उजागर हो रहे हैं। 

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तैयारियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि अगर कोविड-19 का ग्राफ इसी तरह से लगातार बढ़ता रहा तो दोनों राज्यों की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा सकती हैं।

निजी अस्पतालें

निजी/कॉरपोरेट अस्पतालों में कोविड-19 के संक्रमितों की जांच और उपचार के संबंध में राज्य सरकारों से स्पष्ट दिशा-निर्देश दिये जाने के बावजूद इन सुविधाओं के लिए दोनों राज्यों में मरीजों से मनमाना शुल्क वसूले जाने के बहुतेरे उदाहरण मिल रहे हैं। बृहस्पतिवार को, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने निजी/कॉरपोरेट अस्पतालों में मनमानी फीस वसूली से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से इसे रोकने की दिशा में उठाये गये आवश्यक कदमों के बारे अपना हलफनामा पेश करने को कहा। 
 
टीकाकरण (वैक्सिनेशन) की स्थिति 

तेलंगाना में, 22 अप्रैल तक, 31,59,780 लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है। इनमें 2,38,182 स्वास्थ्यकर्मी हैं, अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले 2,21,275 स्वास्थ्यकर्मी हैं और 27,00,323 लाख लोग 45 वर्ष से अधिक आयु के हैं। आंध्र प्रदेश में, बृहस्पतिवार तक, 50.32 लाख लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने का काम पूरा हो गया था।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

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