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कोविड-19: वायरस में उत्परिवर्तन क्षमता मौजूदा टीकों से बचाव में सक्षम है

एक नए शोध में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि वायरस के उत्परिवर्ती रूपान्तरों के खिलाफ एक सुदृढ़ प्रतिरोध को पैदा करने के लिए ये टीके पर्याप्त क्षमतावान साबित न हो पाएं।

Vaccine
चित्र साभार: एएफपी

वर्तमान में कोविड-19 महामरी को लेकर सबसे प्रमुख चिंताएं टीकों और एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस द्वारा हासिल की जा सकने वाले उत्परिवर्तनों को लेकर बनी हुई हैं। ये टीके सटीक तौर पर कितने प्रभावी होने जा रहे हैं, और वायरस के खिलाफ ये कितने लंबे समय तक प्रतिरक्षण को मुहैया करा पाने में सक्षम होंगे। इसके अलावा क्या जिन टीकों को हम वर्तमान में इस्तेमाल में ला रहे हैं वे वायरस के उत्परिवर्ती रूपान्तरों के खिलाफ एक सुदृढ़ प्रतिरक्षा प्रदान कर पाने में सक्षम होंगे, ये सवाल अभी भी शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बने हुए हैं।

8 मार्च को नेचर में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि नवीनतम कोरोनावायरस ने हालिया उत्परिवर्तनों के दौरान जो कुछ हासिल किया है, वह इसे वर्तमान में उपयोग में लाये जा रहे टीकों के प्रभावों से बचने की दिशा की ओर प्रेरित कर सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि ये टीके वायरस के उत्परिवर्ती रूपांतरों के खिलाफ सुदृढ़ प्रतिरोध को उत्पन्न करने में पर्याप्त कुशल साबित न हो सकें।

अध्ययन में किये गए पूर्वानुमानों में कुछ टीकों की प्रभावोत्पादकता के नैदानिक आंकड़ों के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। उदहारण के लिए, यूके में जब नोवावैक्स वैक्सीन का परीक्षण किया गया था तो इसमें करीब 90% प्रभावोत्पादकता देखने को मिली थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के परीक्षणों में इसी वैक्सीन की प्रभावशीलता 49.4% तक कम हो गई थी। ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि, दक्षिण अफ्रीका में ज्यादातर कोविड-19 के मामले, बी.1.351 नामक संस्करण की वजह से उत्पन्न हुए हैं।

इस अध्ययन से संबंधित लेखक डेविड एचओ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि “हमारे अध्ययन एवं नए क्लिनिकल परीक्षण आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि वायरस उस दिशा में यात्रा कर रहे हैं, जिससे कि ये हमारे मौजूदा टीकों और उपचारों से बच सकें, जो कि इस वायरल बढ़ोत्तरी के खिलाफ निर्देशित हैं।”

उन्होंने आगे कहा “यदि वायरस का व्यापक प्रसार इसी प्रकार जारी रहा और इसके चलते और ज्यादा महत्वपूर्ण उत्परिवर्तन होते रहे, जैसा कि हमने लंबे समय तक इन्फ्लूएंजा वायरस के मामले में किया था, तो उसी प्रकार लगातार विकसित हो रहे एसएआरएस-सीओवी-2 का पीछा करते रहने के लिए हमारी निंदा की जायेगी। इस लिहाज से हमें चाहिए कि हम वायरस के संक्रमण को रोकने के उपायों को तत्काल प्रभाव से अमल में लायें। इसे हम न्यूनीकरण उपायों को दोगुनी रफ्तार देकर और टीकाकरण अभियान में तेजी लाकर कर सकते हैं।”

टीकाकरण शरीर में उन एंटीबॉडीज के उत्पादन करने में सक्षम बनाता है जो वायरस के खिलाफ विशिष्ट हैं। ये एंटीबॉडीज वायरस को बेअसर करने में सक्षम साबित हो सकते हैं।

हो की टीम ने पाया कि जिन लोगों को मोडेरना या फाइज़र के टीके लगाये गए थे उनके रक्त के नमूनों में से एकत्र किये गए एंटीबाडीज, वायरस के दो उत्परिवर्ती रूपान्तरों के मुकाबले कम असरकारक पाए गए थे। इनमें से एक वैरिएंट बी.1.1.7 था, जो पिछले साल सितम्बर में ब्रिटेन में सामने आया था और दूसरा रूपान्तर बी.1.351 था, जो 2020 के अंत में दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था। उन्होंने पाया कि ब्रिटेन में जो रूपांतर पैदा हुआ था, उसके सामने टीके की बेअसर करने की क्षमता 2-गुना से कम हो गई थी, जबकि दक्षिण अफ्रीका में उभरने वाले रूपांतर के खिलाफ बेअसर करने की क्षमता में 6.5 से लेकर 8.5 गुने तक की चौंका देने वाली गिरावट दर्ज की गई थी।

इस अस्थिरता के बारे में बताते हुए हो का कहना था “यूके वायरस के रूपांतर के खिलाफ गतिविधि को बेअसर करने में जो लगभग 2-गुना नुकसान देखने को मिला है, उसमें अवशिष्ट तटस्थता की गतिविधि के विशाल ‘अनुकूलता’ के चलते प्रतिकूल पभाव पड़ने की संभावना नहीं है। इसे हमने नोवावैक्स के नतीजों में परिलक्षित होते देखा है, जहाँ यूके संस्करण के खिलाफ टीके में 85.6% प्रभावकारिता देखने को मिली थी।”

हालाँकि दक्षिण अफ्रीका में उभरने वाले रूपांतर के खिलाफ एंटीबॉडी निष्प्रभावन की प्रभावोत्पादकता में गिरावट कहीं ज्यादा चिंताजनक है।

अध्ययन ने यह भी पाया कि इस रोग से निपटने के लिए इस्तेमाल किये जा रहे एक अन्य राह – मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज भी उत्परिवर्ती रूपान्तरणों के मामले में पीड़ित हो सकती हैं। इसमें यह पाया गया है कि बी.1.351 रूपांतरों (जो दक्षिण अफ्रीका में उभरा) के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कारगर नहीं हो सकते हैं।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज वे एंटीबॉडीज होते हैं जिन्हें एक विशिष्ट प्रकार की कोशिका से प्रयोगशालाओं में उत्पन्न किया जाता है। एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को एक विशिष्ट लक्ष्य के खिलाफ लक्षित किया जाता है, और कोविड-19 के केस में इसे ज्यादातर नवीनतम कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ इस्तेमाल में लाया जाता है। ये एंटीबॉडीज शरीर में मौजूद वास्तविक एंटीबॉडीज की नकल कर सकते हैं, और वायरस के निष्प्रभावीकरण की प्रक्रिया को बढ़ा सकते हैं। एंटीबॉडीज मूलतः प्रोटीन अणु हैं।

इस अध्ययन में इन दोनों रूपान्तरों में स्पाइक प्रोटीन की उत्परिवर्तन प्रक्रिया की विस्तृत पैमाने पर जांच की गई है। इस टीम द्वारा तैयार किये गए एसएआरएस-सीओवी-2 छद्म वायरस में वे सभी उत्परिवर्तन हैं जो इन दो संस्करणों में मौजूद हैं। विशेषतौर पर यूके संस्करण में आठ उत्परिवर्तन हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीकी संस्करण में नौ उत्परिवर्तन हैं। 

इस तथ्य पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है कि वायरस के डीएनए में उत्परिवर्तन की प्रक्रिया में एक बेतरतीब बदलाव देखने को मिला है। ये सभी परिवर्तन अपनेआप में नए संस्करणों या एक नए तनाव को लाने में सक्षम नहीं हैं। एक नए तनाव या रूपांतरण के लिए उत्परिवर्तनों को वायरस की विषाक्तता, संक्रामकता, जीवित बने रहने की क्षमता या कार्यात्मक पहलुओं में परिवर्तन लाने में सक्षम होना पड़ता है।

 

 

 

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