गंगा में तैरती लाशों पर बक्सर प्रशासन का खुलासा योगी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करता है!
गंगा नदी के किनारे बसा बक्सर ज़िला, बिहार और उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती ज़िला है। इसके उत्तर में यूपी का बलिया, दक्षिण में बिहार का रोहतास ज़िला, पश्चिम में यूपी का ग़ाज़ीपुर और पूरब में बिहार का भोजपुर ज़िला लगता है। यहां उस समय भारी अफरा-तफरी मच गई जब जिले में गंगा घाटों पर लाश मिलने का मामला सामने आया। 10 मई तक बक्सर प्रशासन ने तक 30 से 40 लाशें होने की बात कही लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये संख्या कहीं ज्यादा बताई गई। इसके बाद भी अलग-अलग इलाकों से लाशें मिलने का सिलसिला जारी था। क्योंकि बक्सर दो राज्यों से लगा ज़िला था, इसलिए लाशों की जिम्मेदारी के नाम पर एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंकने का खेल शुरू हो गया।
घाटों के किनारे बसे स्थानीय लोगों और प्रशासन की अलग-अलग कहानियां सामने आईं। मामले ने तूल पकड़ा तो बिहार सरकार और प्रशासन की काफी किरकिरी भी हुई। पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से जवाब तलब किया। आरोप लगे कि बिहार में कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की लाशों को नदी में बहाया जा रहा है। प्रशासन ने दावा किया कि लाशें यूपी से बहकर बिहार की तरफ आ रही हैं। इधर, यूपी सरकार अपनी साख बचाने के जुगाड़ में लग गई, कहा गया कि मामले की जांच जारी है। हालांकि अब खुद बक्सर प्रशासन ने अपने बदनामी के दाग को धोते हुए, यूपी की सीमा में घुसकर पता लगाया है कि गाजीपुर के बारा थाना क्षेत्र से लाशों को गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है।
बिहार नहीं यूपी से लाशें गंगा में हो रही हैं प्रवाहित!
एक गुप्त अभियान के तहत बक्सर जिला प्रशासन की टीम रात के अंधेरे में बिहार से यूपी की सीमा में घुसी। इस टीम ने वहां एक मल्लाह को पकड़ा। यह मल्लाह लाशों को यूपी के बारा थाना की पुलिस के कहने पर गंगा में प्रवाहित कर रहा था। बक्सर प्रशासन की टीम ने उसका एक वीडियो बनाया, और बतौर सबूत जारी किया।
वीडियो में यूपी के रहने वाले एक शख्स का दावा है कि उसने बारा पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों के कहने पर बीच गंगा में शवों को फेंका। खुद को बिहारी सिंह बताने वाला व्यक्ति खुद स्वीकार कर रहा है कि उसने कई शवों को उत्तर प्रदेश से लाकर बिहार की सीमा में फेंका है। नाव पर सवार वो बताता है कि अब तक देर रात वो छह की संख्या में शव बिहार की सीमा में प्रवाहित कर चुका है।
इस अभियान के बारे में बक्सर के जिलाधिकारी ने इंडिया टुडे को जानकारी देते हुए बताया, “अगर हम चौसा में लाश डालते हैं तो लाशें चार-पांच दिन बाद कई किलोमीटर दूर जाकर निकलेंगी। इसका पता लगाने के लिए हमारी टीम नदी किनारे गाजीपुर तक गई थी। वहां टीम ने देखा कि लोग गंगा में लाश डाल रहे हैं। ये काफी गंभीर विषय है। हम लोगों ने गंगा नदी पर महाजाल लगाया है। हम ये देखना चाहते थे कि कितनी लाशें बहकर आ रही हैं। बुधवार को माहजाल से आठ लाशें मिली हैं।”
क्या सरकार मौत के आंकड़ें छिपाने की जुगत में है?
गौरतलब है कि यूपी और बिहार पर लगातार कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े छुपाने के आरोप लगते रहे हैं। अब बक्सर के अधिकारियों के इस नए खुलासे के बाद यूपी प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर ये लाशें किनकी हैं और इन्हें इस तरह से रातों रात नदी में क्यों फेंका जा रहा है? हालांकि सिर्फ बक्सर ही नहीं बिहार के कई और जिलों से भी लाशें मिलने की खबरें अब सामने आ रही हैं और खुद स्थानीय लोग इसकी सच्चाई भी स्वीकार कर रहे हैं।
बहरहाल, यूपी में कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है। कोरोना वायरस का संक्रमण अब उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाक़ों में भी पहुंच गया है और वहां कहर ढा रहा है। अब तक संक्रमण से मौत के ज़्यादातर मामले शहरों से आ रहे थे, लेकिन अब ग्रामीण इलाक़ों में भी मौत का ग्राफ़ बढ़ने लगा है। ग़ाज़ीपुर और हमीरपुर में गंगा और यमुना नदियों में मिले दर्जनों शवों ने ऐसी आशंकाओं को और मजबूत कर दिया है और कहा जा रहा है कि मृतकों की संख्या छुपाई जा रही है।
ग़ाज़ीपुर का गहमर गांव जो बिहार के बक्सर ज़िले से लगा हुआ है। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि कोविड संक्रमण और अन्य तरह के बुख़ार की वजह से गांवों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है और परिजन कोविड के डर के मारे लोग शवों का अंतिम संस्कार करने की बजाय गंगा जी में ही डाल दे रहे हैं।
मालूम हो कि गंगा नदी गहमर से होते हुए ही बिहार में प्रवेश करती है। बक्सर ज़िले में जब बड़ी संख्या में शव मिले थे तब भी यही आशंका जताई जा रही थी कि ये शव उत्तर प्रदेश के विभिन्न जगहों से बहकर यहां आए होंगे। यहां कई स्थानीय पत्रकारों का दावा है कि गांव में कोरोना की जांच और इलाज का हाल बेहाल है लोगों में कुछ भ्रांतियां और ज्यादा डर बैठा हुआ है।
संक्रमण की रफ़्तार या जांच की संख्या कम?
यूपी की योगी सरकार के मुताबिक यूपी में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। वहीं राज्य सरकार के आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से संक्रमण की रफ़्तार लगातार कम हो रही है। हालांकि उस अनुपात में संक्रमित लोगों के मरने की संख्या में कमी नहीं आ रही है। गांव और शहरों में कोरोना से जूझते मरीज़ों की खबरें एक अलग ही कहानी बयां कर रही हैं। यूपी के जिस ज़िले में भी चले जाइए, ऐसे कई इलाकों की सूचना मिलेगी जहां पिछले कुछ दिनों में बुखार और सांस लेने में हुई दिक्कत के चलते कई लोगों की मौत हुई है और कई लोग अभी भी बीमार होकर घर पर ही या फिर आसपास के अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
ये हालात तब हैं जब राज्य सरकार कोरोना संक्रमण दर घटने का दावा कर रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले क़रीब एक हफ़्ते से कोविड जांच का विशेष मेगा अभियान चलाया गया है। इसके तहत दस लाख एंटीजन किट के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर लोगों की जांच कर रही हैं और ज़रूरी होने पर उन्हें दवाइयां और अन्य चीज़ें वितरित कर रही है। अभियान को पांच दिनों के लिए और आगे बढ़ा दिया गया है। हालांकि इस सिलसिले में यह बात भी सामने आई है कि सरकार ने जांच की संख्या कम कर दी है, इसलिए संक्रमण दर में कमी दिख रही है।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।