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अब नेहरू स्मारक संग्रहालय का नाम बदला

दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी’ कर दिया गया है।
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मोदी सरकार में 2014 के बाद से नाम बदलने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वो अभी तक थमा नहीं है। सड़कों और शहरों के नामों से शुरू हुआ ये सिलसिला स्मारक और संग्रहालयों के नाम बदलने तक पहुंच गया है।

अब दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी (एनएमएमएल) का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी’ कर दिया गया है, जिसे लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है।

तीन मूर्ति भवन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक आवास था।

संस्कृति मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि एनएमएमएल की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलने का फैसला किया गया है।

उसने बताया कि सोसाइटी के उपाध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की।

बयान में बताया गया है कि सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए ‘‘नाम में बदलाव के प्रस्ताव का स्वागत’’ किया क्योंकि अपने नए प्रारूप में यह संस्थान जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनके सामने आई विभिन्न चुनौतियों के दौरान उनकी प्रतिक्रियाओं को दर्शाता है।

सिंह ने प्रधानमंत्रियों को एक संस्था बताते हुए और विभिन्न प्रधानमंत्रियों की यात्रा की इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों से तुलना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ‘‘इंद्रधनुष को सुंदर बनाने के लिए उसके सभी रंगों का उचित अनुपात में प्रतिनिधित्व किया जाना’’ चाहिए।’’

इसमें कहा गया, ‘‘इसलिए प्रस्ताव में एक नया नाम दिया गया है, हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का सम्मान किया गया है और इसकी सामग्री लोकतांत्रिक है।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एनएमएमएल का नाम बदले जाने की निंदा की है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय 59 वर्षों से अधिक समय से एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का खजाना रहा है। अब से इसे प्रधानमंत्री स्मारक एवं सोसाइटी कहा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राष्ट्र के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे? अपनी असुरक्षा के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है।’’

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