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कार्टून क्लिक: अब तेल के दाम बढ़ना कोई ख़बर नहीं है साहेब !

पेट्रोल, डीजल के दाम में लगातार नौवें दिन वृद्धि हुई है, लेकिन आज यह कोई मुद्दा नहीं है। एक समय ख़ासतौर से 2014 से पहले तेल के दाम बढ़ने पर मुख्य धारा के मीडिया में बड़ी-बड़ी हेडलाइन बनतीं थी और घंटों बहस होती थी। बीजेपी रोज़ सड़कों पर उतरती थी और मनमोहन सरकार से इस्तीफा मांगती थी, लेकिन अब वो बात कहां।
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तेल कंपनियों ने सोमवार को लगातार नौवें दिन पेट्रोल, डीजल के दाम में उनकी लागत के मुताबिक समायोजन करते हुये वृद्धि की है। सोमवार को पेट्रोल का दाम 48 पैसे और डीजल का दाम 23 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया गया।

इस वृद्धि के बाद दिल्ली में पेट्रोल का दाम 75.78 रुपये से बढ़कर 76.26 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 74.03 रुपये से बढ़कर 74.26 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया।

तेल कंपनियों द्वारा सात जून 2020 को इन ईंधनों के दाम में दैनिक संशोधन, समायोजन की पुन: शुरुआत करने के बाद यह लगातार नौंवा दिन है जब इनके दाम बढ़ाये गये हैं। लगातार नौ दिन की वृद्धि के बाद पेट्रोल के दाम में पांच रुपये और डीजल के दाम में 4.87 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है।

एक समय ख़ासतौर से 2014 से पहले यूपीए सरकार के समय में तेल के दाम बढ़ने पर मुख्य धारा के मीडिया में बड़ी-बड़ी हेडलाइन बनतीं थी और उस पर घंटों-घंटों बहस होती थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो उस समय विपक्ष में थी लगातार तेल, गैस के दामों को लेकर सड़कों पर उतरती थी और मनमोहन सरकार से इस्तीफ़ा मांगती थी। तेल-गैस के साथ सभी तरह की महंगाई उस समय एक बड़ा मुद्दा था, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद से ऐसा नहीं रहा। टीवी स्क्रीन पर अब लगातार नौवें दिन तेल के दाम बढ़ने पर हेडलाइन और बहस नहीं दिखाई देती।

तेल विपणन कंपनियों द्वारा जारी मूल्य अधिसूचना में कहा गया है कि ईंधनों के दाम पूरे देश में एक साथ बढ़ाये गये हैं लेकिन राज्यों में इन पर लगने वाले बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (वैट) की दर अलग होने से यह वृद्धि अलग अलग हो सकती है।

सरकार ने मार्च 2020 के मध्य में पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की थी तब से दोनों ईंधनों के दाम में घटबढ रुकी हुई थी। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों इंडियन आयल कार्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने उत्पाद शुल्क वृद्धि को ग्राहकों पर डालने के बजाय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आने वाली गिरावट के साथ उसका समायोजन किया। इससे दाम स्थिर रहे। हालांकि जानकारों का कहना था कि जिस स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई, उसकी तुलना में भारतीय उपभोक्ता को कोई भी लाभ नहीं दिया गया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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