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8 साल में 22 करोड़ आवेदन, सिर्फ़ 7 लाख को मिली नौकरी! 9 लाख पद अभी भी ख़ाली

मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था।
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हाल ही में संसद में पूछे गए दो सवालों के जवाब में सरकार ने जो कहा वह केंद्र सरकार में नौकरियों के खाली पड़े पदों की भयावह तस्वीर को उज़ागर करता है। पहला प्रश्न (#1803 का जवाब 27 जुलाई को दिया गया था) जिसमें पूछा गया था कि कितने लोगों ने केंद्र सरकार की

नौकरियों के लिए आवेदन किया था और वास्तव कितनें लोगों को स्थायी नौकरी मिली थी। जवाब में, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री - जो प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री भी हैं - ने जवाब दिया कि 2014 और 2022 के बीच, केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए 22.06 करोड़ आवेदन आए थे। सरकार जिसमें से कुल 7.22 लाख लोगों की ही भर्ती कर पाई थी। इसका मतलब है कि लगभग 0.3 प्रतिशत की भर्ती थी, या प्रत्येक 1,000 आवेदकों में से 3 को नौकरी मिली थी। 

केंद्र सरकार में रिक्तियों की कुल संख्या के बारे में एक अन्य प्रश्न (#463 का उत्तर 20 जुलाई को दिया गया था)। उन्ही मंत्री ने जवाब दिया कि 1 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार में 40.35 लाख स्वीकृत पद खाली थे जिनमें से 30.56 लाख पद भरे गए थे। यानी करीब 9.79 लाख पद आज भी खाली पड़े हैं। 

संसद में दिए गए इन दो उत्तरों की व्याख्या कैसे की जा सकती है? सबसे तार्किक व्याख्या यह हो सकती है कि 7 लाख लोगों की भर्ती के बाद, सरकार में अभी 9 लाख से अधिक पद खाली पड़े है। 

बढ़ती बेरोज़गारी 

हालाँकि हाल ही में, प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 10 लाख रिक्त पदों को जल्द ही भरा जाएगा, और ऐसा लगता है कि उन्होंने सभी मंत्रालयों और विभागों को ऐसा करने के लिए उपाय करने के निर्देश दिए थे, ये जवाब खुद देश में मौजूद बेरोज़गारी के चौंकाने वाले स्तर को दर्शाते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं, लेकिन साथ ही वे बेहतर वेतन और सरकारी नौकरी से मिलने वाले  विभिन्न सामाजिक सुरक्षा लाभों को पाने की आकांक्षा भी रखते हैं। दूसरे शब्दों में, 22 करोड़ से अधिक आवेदक जो बेरोजगार भी हैं साथ हे अल्प-रोजगार या प्रच्छन्न बेरोजगारों की श्रेणी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है, जिसे मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों से हासिल किया गया है, आवेदकों की संख्या में 2018-19 तक लगातार वृद्धि हुई, उस वर्ष इसने 5 करोड़ को छू लिया था। उसके बाद, यह हर साल 2 करोड़ के निशान से थोड़ा नीचे रही है।

आश्चर्यजनक रूप से, नियुक्तियां एक उलटी कहानी दिखाती हैं। वे 2014-15 में 1.3 लाख से लगातार घटकर 2018-19 में लगभग 38,000 पर रह गई, जिसके बाद भर्ती ऊपर और नीचे हुई, 2021-22 में फिर से केवल 38,000 लोगों को ही रोज़गार मिला। ध्यान दें कि आम चुनाव मई-जून 2019 में हुए थे, और यह वह वर्ष है जिसमें नियुक्तियों की संख्या सबसे अधिक है – यानि 1.47 लाख। ऐसा लगता होता है कि नियुक्ति संबंधी कुछ निर्णय राजनीतिक/चुनावी कारणों से संचालित होते हैं।

स्थायी रिक्तियां

केंद्र सरकार में मौजूद रिक्तियों के बारे में क्या? सबसे पहले, यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये केवल मंत्रालयों और विभागों की रिक्तियां हैं, न कि विभिन्न स्वायत्त निकायों और सरकार के अन्य अंगों की रिक्तियां हैं। और, ज़ाहिर है, राज्य सरकार की रिक्तियां इससे अलग हैं।

मंत्री ने मौजूदा रिक्तियों पर अपनी प्रतिक्रिया में, मंत्रालय-वार डेटा और कर्मचारी के स्तर के अनुसार - श्रेणियों ए, बी (राजपत्रित और अराजपत्रित दोनों) और सी (अराजपत्रित) का ब्यौरा दिया है। यह गोलमाल नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है।

जैसा कि देखा जा सकता है, सबसे बड़ी संख्या में पद अराजपत्रित 'सी' श्रेणी में हैं, और इस खंड में रिक्तियां भी बहुत अधिक हैं – जो 8.36 लाख से अधिक हैं। कुल मिलाकर लगभग एक चौथाई सरकारी पद खाली पड़े हैं। 'ए' श्रेणी में रिक्तियां बहुत कम हैं - केवल 18 प्रतिशत - जो कि शीर्ष अधिकारियों वाले पद हैं। 

इसे भी पढ़ें : 8 साल में केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन, नौकरी मिली महज़ 0.33 फीसदी

सरकार, नौकरियों के बारे में प्रश्नों का उत्तर देते समय, रोज़गार सृजन या आय वृद्धि के लिए चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को गिनाती है, जिसमें सस्ते बैंक ऋण (मुद्रा या विक्रेताओं की योजना), उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं आदि शामिल हैं। हालांकि, इस सबके बावजूद बेरोज़गारी अभी भी पिछले 2-3 वर्षों से 7-8 प्रतिशत के आस-पास मंडरा रही है और शहरी औद्योगिक क्षेत्र या सेवा क्षेत्रों/केंद्रों तथा कृषि में लोगों के बड़े पैमाने पर विस्थापन से नौकरियों का संकट बेरोकटोक जारी है। यह मोदी सरकार की व्यापक विफलता का संकेत देता है, जो हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा करने के वादे पर सत्ता में आई थी। साफ है कि केंद्र सरकार इसमें पूरी तरह विफल रही है। केंद्र सरकार की रिक्तियों और भर्ती के आंकड़ों से पता चलता है कि उन नौकरियों पर भी जिन्हें वह सीधे नियंत्रित करती है, उनके पास उन्हें भरने की इच्छाशक्ति या दूरदर्शिता नहीं है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं-

Central Government: 22 Crore Applied, 7 Lakh got Jobs, 9 Lakh Posts Still Vacant

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