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चिन्मयानंद केस : 'जब हमें सिक्योरिटी देने वाला सिस्टम ही करप्ट होने लगे तो हम कहाँ जाएँ'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक विधि छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जमानत याचिका मंजूर कर ली।
चिन्मयानंद

वाराणसी : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक विधि छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जमानत याचिका सोमवार को मंजूर कर ली। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने चिन्मयानंद की जमानत याचिका पर जमानती आदेश पारित किया। स्वामी चिन्मयानंद को पिछले साल 20 सितंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसके बाद एसआईटी ने बताया था कि स्वामी चिन्मयानंद ने खुद पर लगे लगभग सभी आरोप स्वीकार कर लिए हैं।

आरोप को स्वीकार करने के बावजूद स्वामी चिन्मयानंद को जमानत मिलने से महिलाओं में वर्तमान सरकार के खिलाफ रोष है। बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) की प्रोफेसर प्रतिमा गौण कहती हैं कि, 'ऐसे लोगों को तो जमानत नहीं मिलनी चाहिए, इस तरह के जमानत से विक्टिम को सबसे ज्यादा खतरा होता है।' उन्नाव केस का उदाहरण देते हुए प्रोफेसर गौण कहती हैं कि, 'इस तरह के फैसले से हमारा यकीन टूटता है क्योंकि डेमोक्रेटिक देश में हम इंसाफ के लिए कानून का सहारा लेते हैं, कानून से हम इंसाफ की मांग करते हैं लेकिन जब वही आधार हमें न्याय नहीं देता है तो हम कहाँ जाएँ।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर प्रतिमा कहती हैं कि, 'जस्टिस का कॉन्सेप्ट निरपेक्ष होना चाहिए सापेक्ष नहीं, मतलब जिसको न्याय की जरुरत उसे ही न्याय नहीं मिल रहा है। हम तो इससे यही समझेंगे ना जो गरीब है, एक तरह से हासिए पर रखा वर्ग, जिसकी सत्ता तक पहुँच नहीं है, उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है। जब हमें सिक्योरिटी देने वाला सिस्टम ही करप्ट होने लगे, और इस तरह से जैसे कि, बड़ी मुखरता से करप्शन हो रहा है, एक होता है कि गवाह को कोर्ट नहीं पहुँचने दिया जाता है, सबूत दबा दिया गया, वो एक मैटर हो जाता है लेकिन जो ये सारी चीजें सामने आ रही हैं ये बड़ी मुखरता से सामने आ रही हैं कि हमें कोई दर नहीं है लॉ का।

स्वामी चिन्मयानंद को मिली जमानत से आक्रोशित वाराणसी की सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम वर्मा कहती हैं कि, 'हमारे मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम कानून का राज्य स्थापित करेंगे। इतने साल में हमने यही देखा है कि कानून का राज तो स्थापित नहीं हुआ, गुंडाराज जरूर स्थापित हुआ है। कुसुम वर्मा कहती हैं कि, यौन उत्पीड़न की बात खुद स्वामी चिन्मयानंद ने स्वीकारा है तो क्या यौन उत्पीड़न के मामले में एफ़आईआर दर्ज करके उनपर कोई कड़ी कार्रवाई की गई? यौन उत्पीड़न को लेकर उनपर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी। छात्रा ने उनके ऊपर बलात्कार के आरोप भी लगाए थे, इस तरह से एक बलात्कारी को खुला छोड़ दिया गया।

उत्तर प्रदेश के अंदर जब गायों का उत्पीड़न होता है तो उस समय तो हमारे योगी जी बहुत संवेदन शील हो जाते हैं, ठीक बात है। किसी का भी उत्पीड़न हो, जानवर का भी तो संवेदनशील होना भी चाहिए लेकिन अगर उत्तर प्रदेश की बेटियों का, बहनों का, महिलाओं का उत्पीड़न होता है तो उनकी संवेदनाएं कहाँ चली जाती हैं? क्या गायों के लिए आपकी (सीएम योगी की) संवेदना रहेंगी, इन्सानों के, महिलाओं के लिए, बेटियों के लिए आपकी संवेदना नहीं रहेगी? और एक अपराधी को बचाने के लिए आपकी संवेदना रहेंगी? इस तरह से एक गुंडाराज प्रदेश में नहीं चलेगा, ये बिलकुल गलत है। स्वामी चिन्मयानंद पर सीबीआई जांच होनी चाहिए और इस केस को भी सीबीआई को देखना चाहिए।

जनआंदोलन में लगातार हिस्सा लेने वाली बीएचयू की पीजी की छात्रा आकांक्षा कहती हैं कि, 'ये कानून व्यवस्था अमीरों के लिए, बड़ी जातियों के लिए और पावरफुल लोगों के लिए बिकती है।" हैदराबाद केस का उदाहरण देते हुए आकांक्षा कहती हैं कि, 'प्रियंका रेड्डी वाले केस में इतना माहौल बनाया गया और उनका (सभी आरोपियों का) एंकाउंटर कर दिया गया। उन्नाव केस में लड़की को जला दिया गया, इसमें रेपिस्ट का हाथ था, सब जेल में थे उनको जमानत मिली, जेल से जमानत पर बाहर आए और लड़की को जला दिए। बाद में लड़की की मौत हो गई। तो हम वही देख रहे हैं कि यहाँ पर पूरा न्याय बिकता है, पूरी न्याय व्यवस्था बिक चुकी है।

सरकार पर तंज़ कसते हुए आकांक्षा कहती हैं कि, 'ये जो सरकार हैम जो योगी सरकार और मोदी सरकार जो बोलती है, 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' लेकिन हमारे देश में बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं। पावरफुल लोग सब कुछ करने के बाद भी कितनी आसानी से बच गए। इतना सब कुछ होने के बाद उन्होने (स्वामी चिन्मयानंद) कबूल भी किया कि उसने (स्वामी चिन्मयानंद) ऐसा किया है इसके बाद भी उन्हें जमानत मिल गई है। ये पूरा चरित्र ही दिखा रहा है कि पूरी न्याय व्यवस्था बिक चुकी है।'

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद बैंक में काम करने वाली प्रिया त्रिपाठी बताती हैं कि, 'इस केस के बाद से तो न्याय से भरोसा ही उठने लगा है। निर्भया केस को इतने साल हो गए लेकिन अभी तक उन्हें फांसी नहीं दी गई। जबकि दो बार फांसी की तारीख टल गई। रेप तो रोज हो रहे हैं और सजा सालों बाद भी नहीं मिल रही है।

सरकार को उन्नाव केस को याद रखना चाहिए जब तीन लड़के जमानत पर छूटने के बाद उस लड़की को जलाकर मार सकते हैं जिसका उन लोगों ने रेप किया था तो जब पावरफुल आदमी जेल से जमानत पर बाहर निकलेगा तो क्या होगा? कुलदीप सिंह सेंगर जेल में रहते हुए पीड़िता के खिलाफ क्या नहीं किया। प्रिया कहती हैं कि, अगर ऐसे ही रहा तो यहाँ महिलाएं कभी सुरक्षित नहीं रह पाएँगी।

गौरतलब है कि शाहजहांपुर स्थित स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने पिछले साल 23 अगस्त को सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण तथा कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाने के साथ ही उसे तथा उसके परिवार को जान का खतरा बताया था।

एसआईटी को दिए बयान में पीड़िता ने बताया पीड़िता का कहना है कि चिन्मयानंद ने ब्लैकमेल कर रेप किया है। पीड़िता का हॉस्टल के बाथरूम में नहाने का वीडियो बनाया गया और उस वीडियो को वॉयरल करने की धमकी देकर एक साल तक रेप करता रहा। साथ ही पीड़िता ने बताया कि चिन्मयानंद ने शारीरिक शोषण का वीडियो भी बनाया है। चिन्मयानंद पीड़िता से मसाज करने का भी दबाव बनाता था और कई बार उसके साथ बंदूक के दम पर भी रेप हुआ है।

इस मामले में चिन्मयानंद को पिछले साल 20 सितंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।  एसआईटी ने बताया था कि स्वामी चिन्मयानंद ने खुद पर लगे लगभग सभी आरोप स्वीकार कर लिए हैं। एसआईटी प्रमुख और पुलिस महानिरीक्षक नवीन अरोड़ा ने कहा, था ‘स्वामी चिन्मयानंद ने खुद पर लगे लगभग सभी आरोप स्वीकार कर लिए हैं, जिसमें यौन वार्तालाप और मालिश के आरोप भी शामिल हैं।''

अरोड़ा ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चिन्मयानंद को मसाज (मालिश) की वीडियो क्लिपिंग भी दिखायी गई, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जब आपको सब पता ही चल गया है तो मुझे कुछ नहीं कहना। मैं अपने कृत्य के लिए शर्मिंदा हूँ।

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